जम्मू कश्मीर: विभाजन के बाद पहली बार केंद्र ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, परिसीमन पर चर्चा की संभावना

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मज़बूत करने की केंद्र की पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को वहां के सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं. यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी.

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गृहमंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला. (फोटो: ट्विटर/@AmitShah)

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मज़बूत करने की केंद्र की पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को वहां के सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं. यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी.

गृहमंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला. (फोटो: ट्विटर/@AmitShah)
शुक्रवार को एक बैठक में शामिल गृहमंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला. (फोटो: ट्विटर/@AmitShah)

नई दिल्ली: अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की केंद्र की पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को वहां के सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं.

यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना है.

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन को चर्चा के लिए आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

अब्दुल्ला और महबूबा दोनों तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

वहीं, बुखारी को छोड़कर, अन्य नेता जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त किए जाने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के केंद्र के अगस्त 2019 के फैसले के बाद हिरासत में रह चुके हैं.

महबूबा ने शुक्रवार रात बताया कि उन्हें केंद्र से 24 जून को बैठक के लिए फोन आया था. उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी फैसला नहीं किया है. मैं अपनी पार्टी के सदस्यों से चर्चा करके अंतिम फैसला लूंगी.’

महबूबा ने कहा कि बातचीत में शामिल होने या न होने का फैसला पार्टी लेगी, जिसके लिए रविवार को पीएसी की बैठक बुलाई गई है.

उन्होंने कहा, ‘बैठक के लिए कोई एजेंडा नहीं है, लेकिन मुझे बताया गया कि आम स्थिति की समीक्षा करने और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे कैसे ले जाया जाए, इसके लिए बैठक बुलाई गई है. कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं है.’

उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि मुख्यधारा के गठबंधन के सभी सदस्य- पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन- बैठक में शामिल होंगे.

महबूबा के नेतृत्व वाली राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) में आर वीरी, मुहम्मद सरताज मदनी, जीएन लोन हंजुरा, डॉ. महबूब बेग, नईम अख्तर, सुरिंदर चौधरी, यशपाल शर्मा, मास्टर तस्सदुक हुसैन, सोफी अब्दुल गफ्फार, निजाम उद्दीन भट, आसिया नकाश, फिरदौस अहमद टाक, मुहम्मद खुर्शीद आलम और एडवोकेट मुहम्मद युसूफ भट जैसे नेता सदस्य हैं. बहरहाल, मदनी अभी एहतियातन हिरासत में हैं.

केंद्र के साथ बातचीत की संभावना के बारे में पूछे जाने पर माकपा नेता और पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा कि नई दिल्ली से कोई संदेश नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा.

तारिगामी ने श्रीनगर से कहा, ‘हमने केंद्र के साथ सार्थक जुड़ाव के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए हैं. हालांकि मुझे किसी बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं है, अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा.’

पीएजीडी जम्मू कश्मीर में कुछ पार्टियों का गठबंधन है, जिसमें नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी शामिल हैं, जो केंद्र के अगस्त 2019 के फैसलों के बाद बनाया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हालांकि सिर्फ आठ दिन पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि वे केंद्र के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने 10 जून को पीएजीडी की बैठक के बाद कहा था, ‘हमने कोई दरवाजा या विकल्प बंद नहीं किया है. अगर वे हमें आमंत्रित करते हैं, तो हम उस समय फैसला करेंगे.’

जेकेएपी के अध्यक्ष बुखारी ने कहा, ‘मैं स्वागत करता हूं, यदि और कभी, बातचीत होती है. यह मार्च 2020 की हमारी स्थिति की पुष्टि करता है, जब हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू कश्मीर के लिए लोकतंत्र और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संवाद ही एकमात्र तंत्र है.’

उन्होंने कहा, ‘देर आए दुरुस्त आए, क्योंकि हमारी सभी समस्याओं का समाधान नई दिल्ली के पास है और कहीं नहीं है.’

भाजपा और कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाइयों के भी इन चर्चाओं का हिस्सा होने की संभावना है, जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.

बता दें कि बीते छह जून को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के साथ और अधिक अर्धसैनिक बलों को कश्मीर भेजे जाने से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र जम्मू कश्मीर पर कुछ बड़े फैसले करने वाला है.

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना

अधिकारियों ने कहा कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग, जिसे संसद में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के तुरंत बाद गठित किया गया था, के अपने काम में तेजी लाने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि परिसीमन आयोग ने पिछले मंगलवार को सभी 20 जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व और स्थलाकृति सहित कई पहलुओं पर नई जानकारी मांगी थी. सूत्र ने कहा, ‘लगभग सभी जिलों ने सूचना मुहैया करा दी है.’

आयोग का गठन फरवरी 2020 में किया गया था और इसे इस साल मार्च में एक साल का विस्तार दिया गया है.

आयोग की आखिरी बार बैठक बीते 18 फरवरी को हुई थी. इस दौरान आयोग के पांच में से केवल दो सहयोगी सदस्य केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और सांसद जुगल किशोर सिंह शामिल हुए थे. बाकी के तीन सदस्यों फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी (सभी नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद) बैठक में शामिल नहीं हुए थे.

इस बैठक में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पर एक अवलोकन- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और परिसीमन अधिनियम, 2002 के विभिन्न वर्गों का विवरण, सदस्यों के सामने प्रस्तुत किया गया.

अब तक नेशनल कांफ्रेंस परिसीमन आयोग की परामर्शी प्रक्रिया से दूर ही रहा है.

हालांकि नौ जून को छह महीने बाद पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन की बैठक आगे बढ़ने के रास्ते पर किसी तरह की व्यापक समझ पर पहुंचने को लेकर थी. बैठक के दौरान हुई चर्चा में पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने केंद्र द्वारा प्रस्तावित वार्ता में भाग लेने पर कहा था कि वह बहुत सख्त रूख नहीं अपनाएंगी.

सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने इस सप्ताह की शुरुआत में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया आगे बढ़ने से पहले राजनीतिक दलों को विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रण भेजा गया है.

केंद्र सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘कश्मीर में चीजें ठीक हो गई हैं. विकास कार्य प्रगति पर हैं. सुरक्षा स्थिति नियंत्रण में है. केवल राजनीतिक दलों तक पहुंचना उचित है. मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि इस तरह के कदम (प्रधानमंत्री दिल्ली में कश्मीर के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे हैं) की काफी संभावना है.’

सरकार के सूत्रों ने कहा कि जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, कोई आश्चर्य नहीं होगा. सूत्र ने कहा, ‘हां, इस प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है और इसे 2021 के अंत तक हासिल किया जा सकता है, लेकिन किसी भी मामले में यह परिसीमन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद ही होगा.’

जम्मू कश्मीर के लोगों का समग्र विकास मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में कार्यान्वित की जा रहीं अनेक विकास परियोजनाओं की शुक्रवार को समीक्षा की और कहा कि केंद्रशासित प्रदेश की जनता का समग्र विकास और कल्याण मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.

शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार की योजनाओं की पहुंच 90 प्रतिशत तक हैं. इसकी सराहना करते हुए उन्होंने कोविड-19 टीकाकरण अभियान में राज्य की 76 प्रतिशत आबादी को टीका लगाए जाने, वहीं चार जिलों में तो शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तथा उनकी टीम को भी सराहा.

गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, शाह ने जम्मू कश्मीर में कार्यान्वित की जा रहीं अनेक विकास परियोजनाओं की समीक्षा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘पारदर्शिता के साथ विकास’ के मंत्र के आधार पर इन परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है.

बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता का सर्वांगीण विकास और कल्याण मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है. उन्होंने अधिकारियों से प्रधानमंत्री के विकास पैकेज, महत्वाकांक्षी परियोजनाओं तथा औद्योगिक विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने को कहा.

गृह मंत्री ने निर्देश दिया कि शरणार्थी पैकेज के लाभ पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर, पश्चिम पाकिस्तान के सभी शरणार्थियों और उन सभी लोगों को जल्द से जल्द मिलें जिन्हें कश्मीर से पलायन करके जम्मू आकर बसना पड़ा.

उन्होंने अधिकारियों को पंचायती राज संस्थानों तथा शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत करने के लिए सदस्यों को तत्काल प्रशिक्षण दिलाने, उनके बैठने की उचित व्यवस्था करने तथा सुगम कामकाज के लिए बेहतर उपकरण और अन्य संसाधन मुहैया कराने का निर्देश दिया.

इसके साथ ही गृह मंत्री ने पंचायत सदस्यों को देश के अनेक हिस्सों का दौरा करने का भी निर्देश दिया, ताकि उन्हें देश की विकसित पंचायतों की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी मिल सके.

शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सेब की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए काम किया जाना चाहिए, ताकि सेब किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य मिले.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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