यूपीः ऑक्सीजन सप्लाई रोकने से 22 मरीज़ों की मौत के आरोप में सील अस्पताल को मिली क्लीन चिट

आगरा के पारस अस्पताल के मालिक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे मॉक ड्रिल के तौर पर पांच मिनट के लिए कोविड और ग़ैर कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की बात कह रहे थे. आरोप है कि इस दौरान 22 मरीज़ों की मौत हुई. मामला सामने आने के बाद एफआईआर दर्ज कर अस्पताल को सील कर दिया गया था.

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आगरा का पारस अस्पताल. (फोटो: पीटीआई)

आगरा के पारस अस्पताल के मालिक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे मॉक ड्रिल के तौर पर पांच मिनट के लिए कोविड और ग़ैर कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की बात कह रहे थे. आरोप है कि इस दौरान 22 मरीज़ों की मौत हुई. मामला सामने आने के बाद एफआईआर दर्ज कर अस्पताल को सील कर दिया गया था.

आगरा का पारस अस्पताल. (फोटो: पीटीआई)
आगरा का पारस अस्पताल. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के आगरा के श्री पारस अस्पताल में जून की शुरुआत में कथित तौर पर मॉक ड्रिल के दौरान पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने की घटना में 22 मरीजों की मौत के आरोपों की जांच में अस्पताल को क्लीन चिट दे दी गई है.

इस घटना के बाद इसके मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और अस्पातल को सील कर दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना की जांच के लिए बनाई गई सरकारी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पताल में इस कथित मॉक ड्रिल की वजह से किसी की मौत नहीं हुई.

चार सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया, ‘डेथ ऑडिट समिति ने जांच के दौरान पाया कि अस्पताल में सभी मरीजों का कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया गया था और उनके ऑक्सीजन का स्टेटस और सप्लाई की जानकारी को सूचीबद्ध किया गया था. यह भी पता चला कि किसी भी मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई बाधित नहीं हुई थी. जिन मरीजों की मौत हुई है उन्हें कई बीमारियां थी और उनकी स्थिति गंभीर थी. अस्पताल को पर्याप्त ऑक्सीजन दी गई थी.’

रिपोर्ट में पता चला कि मॉक ड्रिल के दिन कथित तौर पर 16 मरीजों की मौत हुई थी. हालांकि, रिपोर्ट में 26 अप्रैल को दम तोड़ने वाले हर मरीज की विस्तृत जानकारी दी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘अधिकारियों को पता चला कि जिस समय कोरोना चरम पर था, उस समय अस्पताल भ्रामक खबर फैलाने का दोषी है.’

जांच में पता चला है कि अस्पताल ने ऑक्सीजन पर्याप्त होने के बावजूद भी मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर डिस्चार्ज किया था.

अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल के खिलाफ महामारी अधिनियम की संबद्ध धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.

मालूम हो कि बीते दोनों सामने आए एक वायरल वीडियो में डॉ. अरिंजय जैन को कहते सुना जा सकता है, ‘एक मॉक ड्रिल हमने सुबह सात बजे की थी, सबकी ऑक्सीजन सप्लाई शून्य कर दी, जिस दौरान 22 मरीज छंट गए. इसके बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत खोल दी. 22 छंट गए कि ऑक्सीजन नहीं मिलने पर ये मरेंगे. ये मरीज छटपटा गए थे, उनके शरीर नीले पड़ने लगे थे. 74 बचे, इन्हें टाइम मिल जाएघा. सबसे बड़ा प्रय़ाग यही रहा.’

जांच में पाया गया कि अस्पताल के खिलाफ तीन सामाजिक संगठनों से 10 शिकायतें और ज्ञापन सौंपे थे.

इस जांच समिति में एसएन मेडिकल कॉलेज से तीन डॉक्टर और आगरा मेडिकल विभाग से एक अधिकारी शामिल है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘इस संदर्भ में डॉक्टर ने समिति के समक्ष कहा कि वीडियो में कुछ शब्द उनके नहीं है और इस वीडियो को सनसनी फैलाने के इरादे से सर्कुलेट किया गया था और यह आपराधिक साजिश का हिस्सा है. इस वीडियो का इस्तेमाल उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए भी किया गया.’

रिपोर्ट में कहा गया कि मामले में एक मीडियाकर्मी की भूमिका के साथ पुलिस द्वारा काउंटर आरोपों की अलग से जांच की जाएगी.

डॉ. जैन ने इससे पहले बताया था, ‘हमने यह जांचने के लिए मरीजों के ऑक्सीजन के फ्लो को एडजस्ट किया था कि ताकि पता चले कि उन्हें कितनी ऑक्सीजन की जरूरत है. हर कोई कह रहा था कि ऑक्सीजन का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए इसलिए हमने यह देखने के लिए ऑक्सीजन का लेवल एडजस्ट किया ताकि फैसला लिया जा सके कि क्या हम कम ऑक्सीजन का उपयोग कर सकते हैं या नहीं. हमने 22 मरीजों की पहचान की, जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की जरूरत है. ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर हम कई रात सोए नहीं थे और ऑक्सीजन की सप्लाई स्थिर करने के लिए यह हमारा एक्सपेरिमेंट था. हमने कोई ऑक्सीजन की सप्लाई बंद नहीं की, जैसा कि हर कहीं कहा जा रहा है.’

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में अस्पताल के मालिक डॉ. अरिंजय जैन का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें कहते सुना गया कि उन्होंने 26 अप्रैल को मॉक ड्रिल के तहत अस्पताल में कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई पांच मिनट के बंद कर दी थी.

वीडियो में वह कहते हैं कि दरअसल वह देखना चाहते थे कि इस दौरान कौन-कौन से मरीज जीवित बच सकते हैं. उन्होंने कहा था कि इस दौरान 22 मरीजों का पता लगा था और इस दौरान उनका शरीर नीला पड़ गया था. हालांकि, इस वीडियो में सिर्फ उनकी आवाज सुनी गई थी.