ममता बनर्जी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में जस्टिस कौशिक चंदा की पीठ को नंदीग्राम याचिका की सुनवाई सौंपने को लेकर पूर्वाग्रह की आशंका जताई गई है. टीएमसी ने जस्टिस चंदा की भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें साझा करते हुए उनकी निष्पक्षता को लेकर सवाल किए हैं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर नंदीग्राम से भाजपा के विधायत शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका दूसरी पीठ को सौंपे जाने का अनुरोध किया.
पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि ममता की याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस कौशिक चंदा ‘भाजपा के सक्रिय सदस्य’ रह चुके हैं और चूंकि चुनाव याचिका पर फैसले के राजनीतिक निहितार्थ होंगे, इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि विषय को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा दूसरी पीठ को सौंप दिया जाए.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के वकील ने पत्र में यह भी कहा कि उन्होंने (ममता ने) माननीय न्यायाधीश के नाम की कलकत्ता के माननीय हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी और इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है.
ममता के वकील ने अनुरोध किया है कि चुनाव याचिका को दूसरी पीठ को सौंपे जाने के लिए पत्र को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, ताकि किसी पूर्वाग्रह से बचा जा सके.
इससे पहले जस्टिस कौशिक ने नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को अवैध एवं अमान्य घोषित करने की ममता की याचिका पर सुनवाई 24 जून तक के लिए स्थगित कर दी थी.
इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ मंच साझा करते कौशिक की तस्वीर साझा की.
Justice Kaushik Chanda is seen sharing a stage with BJP's @DilipGhoshBJP. Unsurprisingly, he's also the judge who has been assigned to hear the #Nandigram case.
As the Indian Judiciary system gets murkier day by day, will there be any justice in this case? Only time will tell. pic.twitter.com/eE0W8pzbfw
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) June 18, 2021
ट्वीट में लिखा, ‘जस्टिस कौशिक चंदा भाजपा के दिलीप घोष के साथ स्टेज शेयर करते नजर आ रहे हैं. अप्रत्याशित रूप से वह नंदीग्राम मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त न्यायाधीश भी हैं. जैसा कि भारतीय न्यायपालिका प्रणाली दिन-ब-दिन अस्पष्ट होती जा रही है, क्या इस मामले में कोई न्याय होगा? केवल समय ही बताएगा.’
पार्टी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है.
डेरेक ने अपने ट्वीट में 2012-2014 के दस मुकदमों की सूची साझा करते हुए लिखा, ‘वो मामले जहां जस्टिस कौशिक चंदा कलकत्ता हाईकोर्ट में भाजपा की तरफ से पेश हुए थे. अब उन्हें नंदीग्राम चुनाव मामले को सुनने के लिए अधिकृत किया गया है. क्या यह एक बड़ा संयोग है? … क्या न्यायपालिका और नीचे गिर सकती है?’
See what we found👇
Matters where Justice Kaushik Chanda has appeared for the Bharatiya Janata Party before the Calcutta High Court.
And now he has been assigned to hear the Nandigram election case.
One big coincidence? pic.twitter.com/RGsHkb9Zw1
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) June 18, 2021
तृणमूल की राज्य इकाई के महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ‘हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है… हम जस्टिस चंदा की योग्यता पर सवाल नहीं कर रहे हैं… लेकिन उनकी निष्पक्षता पर तो सवाल उठते हैं.’ उन्होंने आगे जोड़ा कि न्यायाधीश को खुद इस मामले की सुनवाई से हट जाना चाहिए.
उधर भाजपा ने कहा है कि न्यायपालिका का सम्मान किया जाना चाहिए . दिलीप घोष ने कहा, ‘मैं बहुत से लोगों के साथ मंच साझा करता हूं. उन्होंने वकील रहते हमारे साथ मंच साझा किया तो इसमें क्या गलत है? अब, वह न्यायाधीश हैं. हमें न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए .’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूछे जाने पर कि क्या चंदा पार्टी के सदस्य थे, घोष ने कहा कि ‘वे इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते.’ हालांकि उन्होंने स्वीकारा कि हाईकोर्ट जज बनने से पहले उन्होंने पार्टी के कानूनी सेल के कार्यक्रमों में भाग लिया था और ‘ऐसा हो सकता है’ कि हाईकोर्ट के समक्ष पार्टी की तरफ से उपस्थित हुए हों.
घोष ने कहा कि उक्त तस्वीरें साल 2015 में किसी समय ली गई थीं. उन्होंने सवाल किया, ‘इसमें गलत क्या है?’
भाजपा के कानूनी सेल की सदस्य प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि इकाई के कार्यक्रमों में कई अधिवक्ताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे पक्षपाती हैं. टिबरेवाल ने कहा, ‘न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने के बाद वे कभी भी हमारे कार्यक्रमों से नहीं जुड़े.’
वहीं, वकीलों के एक समूह ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की चुनाव याचिका जस्टिस कौशिक को सौंपे जाने को लेकर हाईकोर्ट के सामने प्रदर्शन किया.
एक वकील ने कहा, ‘हमारा न्यायाधीश से कोई व्यक्तिग द्वेष नहीं है लेकिन वह एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को खुद ही ममता की याचिका पर सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए.
बता दें कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर पूर्व में उनके करीबी सहयोगी रहे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं.
निर्वाचन आयोग ने बताया था कि नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी 1,956 मतों से विजयी हुए थे. आयोग ने पुष्टि की थी कि शुभेंदु अधिकारी को 1,10,764 मत मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी बनर्जी के पक्ष में 108,808 मत पड़े.
दो मई 2021 को आधिकारिक नतीजे आने से पहले घंटों तक भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि मीडिया के एक धड़े में शुभेंदु अधिकारी पर ममता की जीत की खबर चलने लगी थी.
इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने इसके मद्देनजर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर दोबारा मतदान कराने की मांग की थी. हालांकि, चुनाव आयोग ने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर फिर से मतगणना कराने के तृणमूल कांग्रेस के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
ममता बनर्जी ने ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ और चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारी द्वारा दोबारा मतगणना की मांग को ठुकराने का आरोप लगाते हुए नतीजों की घोषणा के बाद कहा था कि इस मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा.
बनर्जी ने नंदीग्राम के निर्वाचन अधिकारी द्वारा सीईओ कार्यालय को भेजे एक कथित एसएमएस को सार्वजनिक करते हुए दावा किया था कि उन्होंने आशंका जताई थी कि अगर वह फिर से मतगणना के आदेश देते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और आत्महत्या तक करनी पड़ सकती है.
भाजपा विधायक अधिकारी वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)