उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते 17 जून को कहा था कि कोरोना संक्रमण की फ़र्ज़ी टेस्ट रिपोर्ट जारी होने का मामला उनसे पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुआ था. कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ मेले का आयोजन किया गया था.
हरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान कोरोना संक्रमण की फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी किए जाने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले कहा था कि फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी करने का मामला उनसे पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुआ था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को कहा कि लोगों में इस बात को लेकर आशंका हो सकती है कि जांच प्रभावित हो सकती है, इसलिए मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की जानी चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अक्सर लोग पूछताछ में एजेंसियों की पारदर्शिता पर संदेह करते हैं. विशेष जांच समिति (एसआईटी) ने पूर्व में भी अच्छा काम किया है, लेकिन यह कहने के बाद कि यह मामला पिछले कार्यकाल में हुआ था, यह मुद्दा अब हाई प्रोफाइल हो गया है, इसलिए मैं कहता हूं कि लोगों को जांच प्रभावित होने की आशंका हो सकती है.’
त्रिवेंद्र ने कहा कि चूंकि वरिष्ठ अधिकारी जांच करेंगे, इसलिए लोगों को इसकी पारदर्शिता पर संदेह हो सकता है.
त्रिवेंद्र ने कहा, इसलिए मैंने कहा कि न्यायिक जांच से ऐसी सभी आशंकाएं खत्म हो जाएंगी, क्योंकि लोग न्यायपालिका पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस बयान के बारे में पूछने पर कि कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोविड टेस्ट उनके (त्रिवेंद्र) के कार्यकाल में हुए हैं. इस पर उन्होंने कहा, ‘जांच में सब साफ हो जाएगा.’
मालूम हो कि राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े को लेकर विशेष जांच समिति (एसआईटी) जांच के आदेश दिए हैं.
बता दें कि बीते 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर तीरथ सिंह रावत ने राज्य की बागडोर संभाली थी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते 17 जून को कहा था कि फर्जी कोरोना टेस्ट का यह मामला मेरे मुख्यमंत्री बनने से पहले का है.
उन्होंने कहा था, ‘जैसे ही मैंने कार्यभार संभाला, मैंने इसकी जांच के आदेश दिए. जांच जारी है, सख्त कार्रवाई की जाएगी. दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.’
बता दें कि इस साल कोरोना संक्रमण के बीच केंद्र और राज्य सरकार की रजामंदी के साथ हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे.
इस दौरान निजी लैब द्वारा कोरोना टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया था.
यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को शिकायत की कि उसके मोबाइल पर कुंभ में उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने संबंधी एक संदेश प्राप्त हुआ, जबकि उसने जांच के लिए अपना नमूना दिया ही नहीं था.
सूत्रों के अनुसार, कुंभ के दौरान उन्हें एक एसएमएस आया, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 टेस्ट के लिए आपका सैंपल ले लिया गया है. हालांकि न ही उनका सैंपल लिया गया था, न ही कोई टेस्ट हुआ था.
इसके बाद शख्स ने ईमेल के जरिये आईसीएमआर को इसकी सूचना दी और आरोप लगाया कि फर्जी टेस्ट के लिए उनके मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है.
इस निजी लैब को कुंभ मेले के दौरान कोरोना के रैपिड एंटीजन टेस्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके लिए कम से कम 24 निजी लैब को यह काम सौंपा गया था, जिसमें से 14 लैब को जिला प्रशासन ने और 10 को कुंभ मेला प्रशासन ने जिम्मेदारी सौंपी थी.