केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- कोविड-19 से हुईं प्रत्येक मौत पर नहीं दे सकते चार लाख का मुआवज़ा

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि कोविड-19 से जान गंवा चुके हर व्यक्ति के परिवार को अनुग्रह राशि प्रदान नहीं कराई जा सकती, क्योंकि आपदा प्रबंधन क़ानून में केवल भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ही मुआवज़े का प्रावधान है. सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई और कहा कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है.

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15 अप्रैल 2021 को सूरत के एक श्मशान गृह में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि कोविड-19 से जान गंवा चुके हर व्यक्ति के परिवार को अनुग्रह राशि प्रदान नहीं कराई जा सकती, क्योंकि आपदा प्रबंधन क़ानून में केवल भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ही मुआवज़े का प्रावधान है. सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई और कहा कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है.

सूरत के एक श्मशान गृह में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव. (फोटो: पीटीआई)
सूरत के एक श्मशान गृह में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोरोना वायरस से जान गंवा चुके लोगों के परिवार को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देना संभव नहीं है, क्योंकि इससे आपदा राहत कोष समाप्त हो जाएगा.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि यह मुआवजा प्रदान नहीं किया जा सकता, क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ही मुआवजे का प्रावधान है.

केंद्र का यह बयान राहत के न्यूनतम मानकों और कोविड-19 मृतकों के परिवार को सहायता राशि दिए जाने की मांग करने वाली याचिका पर आया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस शुरू होने से लेकर अब तक 3.86 लाख लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर 183 पेजों के हलफनामे में कहा, ‘अगर कोरोना से जान गंवा चुके हर शख्स के परिवार को चार-चार लाख रुपये की मुआवजा राहत राशि दी जाए तो राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) की पूरी धनराशि अकेले इसी पर खर्च हो सकती है और कुल खर्च इससे अधिक भी हो सकता है.’

हलफनामे में कहा गया कि कोरोना के बजाय अन्य बीमारियों के लिए मुआवजा देने से इनकार करना अनुचित होगा.

केंद्र ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि और कम कर राजस्व के कारण लाखों कोविड पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान करना राज्यों के बजट से परे है.

केंद्र ने कहा, ‘अगर पूरे एसडीआरएफ को कोरोना मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने पर खर्च किया जाता है तो राज्यों के पास विभिन्न आवश्यक चिकित्सा और अन्य आपूर्ति के प्रावधान के लिए या अन्य आपदाओं जैसे चक्रवात, बाढ़ आदि की देखभाल के लिए पर्याप्त धन नहीं होगा, इसलिए कोविड -19 की वजह से जान गंवा चुके सभी मृतकों के परिवारों को अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए याचिकाकर्ता का आग्रह राज्य सरकारों के वित्तीय सामर्थ्य से परे है.’

केंद्र ने यह भी कहा कि अगर वे कोविड के लिए मुआवजा देते हैं, तो अन्य बीमारियों के लिए इसे अस्वीकार करना ‘अनुचित’ होगा.

मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने पहले ही कोविड की मौत के कारण 1 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. दिल्ली ने भी घोषणा की कि अगर दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की कोविड-19 से मौत होती है, तो परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई और कहा कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है.

सरकार ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के माध्यम से यह अच्छी तरह से तय हो गया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसे प्राधिकरण द्वारा निष्पादित किया जाना चाहिए, जिसे यह सौंपा गया है, न कि जहां अदालत कार्यपालिका द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के लिए अपने स्वयं के निर्णय को प्रतिस्थापित करेगी.’

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि हर पीड़ित के मृत्यु प्रमाण पत्र में ‘कोविड से मौत’ का जिक्र होगा. सरकार ने कहा कि जो डॉक्टर कोविड की मौतों को प्रमाणित करने में विफल रहते हैं, उन्हें दंडित किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा.