ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख रईसी की जीत

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी पहले ऐसे ईरानी राष्ट्रपति होंगे, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक क़ैदियों की सामूहिक हत्या के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

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इब्राहीम रईसी. (फोटो: रॉयटर्स)

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी पहले ऐसे ईरानी राष्ट्रपति होंगे, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक क़ैदियों की सामूहिक हत्या के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

इब्राहीम रईसी. (फोटो: रॉयटर्स)
इब्राहीम रईसी. (फोटो: रॉयटर्स)

दुबई: ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी ने शनिवार को बड़े अंतर से जीत हासिल की.

ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ. आधिकारिक परिणामों में रईसी ने कुल मिलाकर एक करोड़ 79 लाख मत हासिल किए, जो कुल मतों का लगभग 62 प्रतिशत है.

चुनावी दौड़ में उदारवादी उम्मीदवार अब्दुल नासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए. बहरहाल, खामेनेई ने रईसी के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य करार दे दिया था, जिसके बाद न्यायपालिका प्रमुख ने यह बड़ी जीत हासिल की.

रईसी की उम्मीदवारी के कारण ईरान में मतदाता मतदान के प्रति उदासीन नजर आए और पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, पूर्व लोकप्रिय राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह वोट नहीं डालेंगे और इस पाप का भागीदार नहीं बनेंगे. गार्जियन काउंसिल ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी.

ईरान के सरकारी टेलीविजन ने कम मतदान के लिए कोरोना वायरस की चुनौतियों और अमेरिकी प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया.

हालांकि, बहुत से लोगों ने इस पूरे चुनाव को पूर्व-नियोजित बताया और कहा कि यह कट्टरपंथी पकड़ को बनाए रखने के लिए किया गया है.

राजधानी तेहरान के एक दुकानदार सईद जरी ने कहा, ‘मैं वोट करूं या नहीं, कोई पहले ही जीत चुका है. यह चुनाव मीडिया के लिए करवाया गया है.’

सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका सहित कई मुद्दों पर रूढ़ीवादी नजरिया रखने वाले रईसी को ईरान की मीडिया वहां के सर्वोच्च नेता खामनेई का उत्तराधिकारी बताती है.

गौरतलब है कि ईरान का राष्ट्रपति ईरान की राजनीतिक प्रणाली में दूसरा सबसे शक्तिशाली नेता होता है. उसके ऊपर देश का सर्वोच्च नेता होता है.

वहीं, ईरान के 72 वर्षीय निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी संवैधानिक तौर पर अपना दो कार्यकाल पूरा करने के बाद अगस्त में पद छोड़ेंगे.

आधिकारिक परिणामों के अनुसार, रईसी को एक करोड़ 79 लाख वोट, पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 34 लाख मत हासिल किए और हेम्माती को 24 लाख मत मिले. एक अन्य उम्मीदवार आमिर हुसैन गाजीजादा हाशमी को 10 लाख मत मिले.

उदारवादी उम्मीदवार एवं ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख हेम्माती और पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने रईसी को बधाई दी है.

हेम्माती ने शनिवार तड़के इंस्टाग्राम के माध्यम से रईसी को बधाई दी और लिखा, ‘मुझे आशा है कि आपका प्रशासन ईरान के इस्लामी गणराज्य को गर्व करने का कारण प्रदान करेगा. महान राष्ट्र ईरान के कल्याण के साथ जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार करेगा.’

रेजाई ने मतदान में हिस्सा लेने के लिए खामेनेई और ईरानी लोगों की ट्वीट करके प्रशंसा की.

रेजाई ने लिखा, ‘मेरे आदरणीय भाई आयतुल्ला डॉ. सैयद इब्राहीम रईसी का निर्णायक चयन देश की समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत और लोकप्रिय सरकार की स्थापना का वादा करता है.’

चुनाव में किसी उम्मीदवार का शुरुआत में ही हार स्वीकार कर लेना ईरान के चुनावों में कोई नई बात नहीं है. यह बात का संकेत देता है कि सावधानी से नियंत्रित किए गए इस मतदान में रईसी ने जीत हासिल की है. कुछ लोगों ने इन चुनावों का बहिष्कार किया है.

रईसी की जीत के बाद वह पहले ऐसे ईरानी राष्ट्रपति होंगे, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

रईसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी और यह ऐसे समय में होगा, जब पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत ईरान के साथ विश्व शक्तियों की वियना में वार्ता जारी है.

ईरान फिलहाल यूरेनियम का बड़े स्तर पर संवर्धन कर रहा है. इसे लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है. माना जाता है कि इन दोनों देशों ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर कई हमले किए और दशकों पहले उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बनाने वाले वैज्ञानिक की हत्या करवाई.

रूहानी के नेतृत्व में ईरान ने दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ 2015 में परमाणु समझौता किया था. इसके तहत ईरान को खुद पर लगे प्रतिबंधों में छूट के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था, लेकिन 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश को इस समझौते से बाहर निकाल लिया, जिसके बाद समझौते को लेकर स्थिति अस्पष्ट रही.

साथ ही ईरान की पहले से खराब अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की बिक्री बंद होने, महंगाई बढ़ने और मुद्रा के कमजोर होने से और खस्ताहाल हो गई.

मोदी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को बधाई दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को रविवार को बधाई दी और कहा कि वह भारत तथा ईरान के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए उनके साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘इब्राहीम रईसी को इस्लामिक गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर बधाई. मैं भारत एवं ईरान के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)