कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक श्वेत पत्र भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कोविड की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अभी से पूरी तैयारी की जाए. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा था कि कोविड-19 से जान गंवा चुके हर व्यक्ति के परिवार को चार लाख का मुआवज़ा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि आपदा प्रबंधन क़ानून में केवल भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ही मुआवज़े का प्रावधान है.
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोविड-19 महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने में केंद्र द्वारा असमर्थता जताए जाने को लेकर बीते सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह सरकार की क्रूरता है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘जीवन की कीमत लगाना असंभव है- सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है, लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं.’
जीवन की क़ीमत लगाना असंभव है- सरकारी मुआवज़ा सिर्फ़ एक छोटी सी सहायता होती है लेकिन मोदी सरकार ये भी करने को तैयार नहीं।
कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आँकड़े और ऊपर से सरकार की क्रूरता! pic.twitter.com/ApSi5S7KAc
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 21, 2021
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता.’
गौरतलब है कि केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है और इससे आपदा राहत कोष समाप्त हो जाएगा.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि यह मुआवजा प्रदान नहीं किया जा सकता, क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ही मुआवजे का प्रावधान है.
केंद्र ने कहा था, ‘अगर पूरे एसडीआरएफ को कोरोना मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने पर खर्च किया जाता है तो राज्यों के पास विभिन्न आवश्यक चिकित्सा और अन्य आपूर्ति के प्रावधान के लिए या अन्य आपदाओं जैसे चक्रवात, बाढ़ आदि की देखभाल के लिए पर्याप्त धन नहीं होगा, इसलिए कोविड -19 की वजह से जान गंवा चुके सभी मृतकों के परिवारों को अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए याचिकाकर्ता का आग्रह राज्य सरकारों के वित्तीय सामर्थ्य से परे है.’
इसके अलावा सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई थी और कहा था कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है.
शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इनमें केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को कानून के तहत चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति का अनुरोध किया गया था.
मामले में एक याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल ने दलील दी थी कि आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 12 (तीन) के तहत हर वह परिवार चार-चार लाख रुपये मुआवजे का हकदार है, जिसके सदस्य की कोरोना वायरस से मौत हुई.
एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील रीपक कंसल ने दलील दी थी कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने की जरूरत है क्योंकि इसी के जरिए प्रभावित परिवार कानून की धारा 12 (तीन) के तहत मुआवजे का दावा कर सकते हैं.
इन याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
राहुल गांधी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर किए गए एक अन्य ट्वीट में सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि उसे योग दिवस के पीछे नहीं छिपना चाहिए.
कोविड-19 महामारी की स्थिति को लेकर ‘श्वेत पत्र’ जारी किया
राहुल गांधी ने कोविड-19 महामारी की स्थिति को लेकर मंगलवार को पार्टी की ओर से एक ‘श्वेत पत्र’ जारी किया और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कोविड की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अभी से पूरी तैयारी की जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से गरीबों को आर्थिक मदद दी जानी चाहिए और कोविड प्रभावित परिवारों को मदद देने के लिए कोविड मुआवजा कोष स्थापित करना चाहिए.
राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस श्वेत पत्र का लक्ष्य सरकार पर अंगुली उठाना नहीं है. हम सरकार की गलतियों का उल्लेख इसलिए कर रहे हैं ताकि आने वाले समय में गलतियों को ठीक किया जा सके.’
LIVE: Release of White Paper on GOI’s management of Covid19 & interaction with the Press https://t.co/17nlvyv6Op
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 22, 2021
उन्होंने दावा किया कि कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान सरकार का प्रबंधन त्रासदीपूर्ण रहा.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि दूसरी लहर से पहले हमारे वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने दूसरी लहर की बात की थी. उस समय सरकार को जो कदम उठाना चाहिए था, जो व्यवहार होना चाहिए वह देखने को नहीं मिला. इसके बाद दूसरी लहर का हम सब पर असर हुआ.’
उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए यह भी कहा, ‘पूरा देश जानता है कि तीसरी लहर आने वाली है. वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है. इसीलिए हम सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह पूरी तैयारी करे.’
राहुल गांधी ने कहा कि ऑक्सीजन, दवाओं, बेड और दूसरी जरूरतों को तीसरी लहर के लिए पूरा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि तीव्र गति से टीकाकरण किया जाए.
उन्होंने कहा, ‘श्वेत पत्र में हमने चार मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया है. पहला बिंदु तीसरी लहर की तैयारी है. दूसरा बिंदु यह है कि गरीबों, छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद दीजिए. तीसरा यह कि कोविड मुआवजा कोष बने. चौथा बिंदु पहली और दूसरी लहर की गलतियों के कारणों का पता लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि आगे यह गलतियां नहीं हों.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)