तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि विधानसभा के आगामी बजट सत्र में केंद्र के कृषि क़ानून एवं सीएए के विरूद्ध प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र ने जब ये तीनों कृषि क़ानून बनाए तब से द्रमुक ने उन्हें वापस लेने की मांग की है, क्योंकि ये किसानों के हितों के ख़िलाफ़ हैं. इसी तरह सीएए ने देशभर के अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को प्रभावित किया है और उनके बीच डर फैल गया है.
चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि विधानसभा के आगामी बजट सत्र में केंद्र के कृषि कानून एवं संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरूद्ध प्रस्ताव पारित किए जाएंगे.
इस विषय पर सदन में अपनी बात रख रहे द्रमुक के सदस्य तमिलझारसी के बीच में दखल देते हुए स्टालिन ने कहा कि केंद्र ने जब ये तीनों कृषि कानून बनाए तब से ही द्रमुक ने उन्हें वापस लेने की मांग की है, क्योंकि ये किसानों के हितों के खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा कि (उनकी) सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित करने का अपना निर्णय स्पष्ट कर चुकी है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि चूंकि द्रमुक के सत्ता संभालने के बाद यह पहला सत्र है और जब राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस चल रही है, तब ऐसे प्रस्ताव स्वीकार करना उपयुक्त नहीं होगा.
स्टालिन ने कहा कि इसी प्रकार चूंकि सीएए ने देशभर के अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को प्रभावित किया है और उनके बीच डर फैल गया है,इसलिए केंद्र से इस संशोधित नागरिकता कानून को भी वापस लेने की मांग करते हुए बजट सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में छह महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
इसी तरह 11 दिसंबर 2019 को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) पारित होने के बाद से देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये विधेयक कानून बन गया.
इसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है बशर्ते ये 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हों.
वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे.
बता दें जनवरी 2020 में विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ केरल विधानसभा ने प्रस्ताव पास किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)