लक्षद्वीपः हाईकोर्ट ने डेयरी फार्म बंद करने, मिड डे मील से मांस हटाने के आदेश पर रोक लगाई

बीते कुछ समय से लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा लाए कुछ प्रावधानों का विरोध हो रहा है, जिसमें इस मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, गोवंश उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़े तोड़ने की बात कही गई थी.

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(फोटो साभार: swarajyamag.com)

बीते कुछ समय से लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा लाए कुछ प्रावधानों का विरोध हो रहा है, जिसमें इस मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, गोवंश उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़े तोड़ने की बात कही गई थी.

(फोटो साभार: swarajyamag.com)
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कोच्चिः केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के दो हालिया आदेशों पर मंगलवार को रोक लगा दी, जिनमें डेयरी फार्म बंद करने तथा स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना से मांस उत्पादों को हटाने संबंधी आदेश शामिल हैं.

चीफ जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी. पी चाली की पीठ ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह स्थगन आदेश जारी किया.

याचिकाकर्ता अजमल अहमद आर का आरोप है कि जब प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने पिछले साल दिसंबर में द्वीप के प्रशासक के रूप में पदभार संभाला था तो उनकी शीर्ष प्राथमिकता पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे डेयरी फार्म बंद करने और द्वीपवासियों की भोजन संबंधी आदतों को निशाना बनाने की थी.

पशुपालन निदेशक के 21 मई 2021 के आदेश को चुनौती देते हुए सभी डेयरी फार्मों को तत्काल बंद करने का निर्देश देते हुए अहमद ने कहा कि यह प्रस्तावित ‘पशु संरक्षण (विनियम), 2021’ को लागू करने के इरादे से किया गया था, जो गायों, बछड़ों और बैल के वध पर प्रतिबंध लगाता है.

उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित नियम के मुताबिक फार्म को बंद कर, लोगों के दूध उत्पादों के स्रोत को कम कर और उन्हें गुजरात से आयातित दूध उत्पादों की खरीद के लिए मजबूर कर बीफ और बीफ उत्पादों की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.

तारुषी असवानी ने हाल ही में द वायर  की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पशु संरक्षण विनियमन 2021 को फरवरी के अंत में पेश किया गया था और शराब से प्रतिबंध हटाया गया था, जिसका खासा विरोध हुआ था और जिसकी तुलना केंद्र के कश्मीर के प्रति रवैये से की गई थी.

अहमद ने आरोप लगाया, ‘यह लक्षद्वीप के लोगों के भोजन की आदतों को चुनने के अधिकार में हस्तक्षेप करने के अलावा कुछ नहीं है. यह अधिकार संविधान में निहित है.’

याचिकाकर्ता ने लक्षद्वीप में स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन के आहार से मांस और अन्य मांस संबंधी वस्तुओं को हटाने के प्रशासन के फैसले को भी चुनौती दी थी.

उन्होंने कहा, ‘अब प्रशासक हस्तक्षेप करना चाहते हैं और अपने छिपे एजेंडे को लागू करने के अपनी गलत मंशा के हिस्से के रूप में केंद्रशासित प्रदेश स्तर की निगरानी समिति की एक बैठक भी आयोजित की गई थी.’

27 जनवरी 2021 को हुई बैठक में इस समिति द्वारा लिए गए फैसलों के अनुरूप स्कूली बच्चों के लिए एक नई आहार सूची का सुझाव दिया गया, जो लक्षद्वीप के छात्रों के मौजूदा मिड डे मील को पूरी तरह से बदल रहा है.

बता दें कि हाईकोर्ट का यह आदेश लक्षद्वीप प्रशासन के उस प्रस्ताव के दो दिन बाद आया है, जिसमें प्रशासन ने विधिक न्यायाधिकार क्षेत्र को केरल हाईकोर्ट से हटाकर कर्नाटक हाईकोर्ट में करने का प्रस्ताव रखा. हालांकि, इस प्रस्ताव का बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है.

बता दें कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप हाल ही में लाए गए कुछ प्रस्तावों को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही है.

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.

इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)