जीडीपी तीन साल के सबसे निचले स्तर पर, निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 10.7 से 1.2 पर पहुंची, सरकार पर विपक्ष हमलावर.
नई दिल्ली: नोटबंदी के करीब दस महीने बाद जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों ने केंद्र सरकार को बैकफुट पर ला दिया है, जबकि विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना शुरू कर दी है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नोटबंदी से सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को 2.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने नोटबंदी को आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से माफी मांगें.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने नोटबंदी को मोदी सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन बताते हुए कहा कि नोटबंदी करने और बड़े नोट को वापस लेने से गरीब, युवा और अनौपचारिक क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं जबकि बैंकों के कर्ज वापस नहीं कर रहे धन्नासेठ इससे अप्रभावित रहे.
सरकार ने अपने अवैध रुपयों को वैध किया
कांग्रेस ने नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि पिछले वर्ष नवंबर में बड़े नोटों को बंद किए जाने के समय मोदी द्वारा किया गया कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया.
उन्होंने कहा विमुद्रीकरण सबसे बड़ा घोटाला है क्योंकि सरकार ने इसके जरिये अपने अवैध रुपयों को वैध बनाने के लिए गलत लोगों की मदद की और झूठे वादे करके देश के गरीब लोगों के साथ धोखा किया है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की यह सीधी जिम्मेदारी है क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय था. प्रधानमंत्री को अपनी गलती स्वीकारते हुए इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.
झूठ बोलकर जनता से विश्वासघात
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के मुद्दे पर झूठे दावे करके लोगों के साथ विश्वासघात किया है.
शर्मा ने कहा कि मोदी ने कालाधन का पता लगाने, भ्रष्टाचार को समाप्त करने और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने पर रोक तथा जाली मुद्रा को समाप्त करने के वादे किये थे.
उन्होंने कहा मोदी द्वारा किया गया इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया. उन्होंने पूछा एक बार प्रधानमंत्री की कही बात का सम्मान समाप्त होने और लोगों का विश्वास खत्म होने के बाद उनकी विश्वनीयता कहां है और वह कहां खड़े हैं.
मारे गए दर्जनों लोगों के लिए कौन जिम्मेदार
भारतीय रिजर्व बैंक ने 30 अगस्त को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि नोटबंदी के बाद बैंकों को 15.28 लाख करोड़ रुपये या 99 प्रतिशत बंद हुए नोट वापस मिल गए हैं. इसके बाद कांग्रेस ने यह निशाना साधा.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आश्चर्य जताया कि नोटबंदी के निर्णय से 99 प्रतिशत धनराशि वापस लौटी है और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर बार-बार बयान बदल रहे हैं.
शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के बाद दर्जनों लोग मारे गए थे और कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. इसके लिए कौन जिम्मेदार है.
दुनिया में देश की जनता को बदनाम किया
आनंद शर्मा ने सरकार पर असंवेदनशील होने का भी आरोप लगाया क्योंकि बैंकों से अपना पैसा पाने के लिए लोगों को लंबी लंबी कतारों में लगना पड़ा और कई दिन तक तकलीफें उठानी पड़ीं.
शर्मा ने मोदी पर दुनिया के सामने अपने ही लोगों को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा, यदि यह किसी अन्य देश में हुआ होता तो प्रधानमंत्री अपने पद पर नहीं होते.
उन्होंने प्रधानमंत्री से स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में तीन लाख करोड़ रुपये के कालेधन का पता चलने के संबंध में की गई टिप्पणी पर भी स्पष्टीकरण देने को कहा. उन्होंने मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह उन कंपनियों और व्यक्तियों की सूची को सार्वजनिक करें, जिनके पास अघोषित धन है.
नोटबंदी के कारण आई जीडीपी में गिरावट
कांग्रेस ने देश के आर्थिक विकास में आए धीमेपन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी का कहना है कि जीडीपी दर में आई गिरावट की वजह प्रधानमंत्री का नोटबंदी का लापरवाह फैसला है.
पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में पिछली छह तिमाहियों में जीडीपी विकास दर 9.2 प्रतिशत से गिरकर 5.7 प्रतिशत पर आ गया.
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, अप्रैल-जून तिमाही के लिए जारी किए गए जीडीपी आंकड़े से इस बात की पुष्टि होती है कि नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री के लापरवाह फैसले और नीति संबंधी चूक के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बड़ी गिरावट आई.
जीडीपी दर 8 प्रतिशत से 5.7 पर पहुंची
शर्मा ने कहा, प्रधानमंत्री के अहंकार के कारण देश का नुकसान हुआ और वित्त मंत्री क्षतिपूर्ति करने में नाकाम रहे लेकिन प्रधानमंत्री के गलत फैसलों के पैराकर बने रहकर खुश हैं.
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सूरजेवाला ने कहा, जीडीपी दर 8 प्रतिशत से ज्यादा थी जो गिरकर 5.7 प्रतिशत हो गई लेकिन तब भी नोटबंदी के पैरोकार चीजों को लेकर अनजान बने हुए हैं.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, मोदीजी के शासनकाल में पिछली छह तिमाहियों में अर्थव्यवस्था की विकास दर 9.2 से गिरकर 5.7 प्रतिशत प्रतिशत हो गई. यह गणना की नई पद्धति के तहत है. क्या यही नोटबंदी की सफलता का फॉर्मूला है?
कहां गया कालाधन?
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सतनाम सिंह कैंथ ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि नोटबंदी के पक्ष में प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि इससे कालेधन का और आतंकवादियों के धन का प्रवाह रुकेगा, अब वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं कि एक हजार और पांच सौ रुपये के 99 फीसदी नोट वापस आए हैं.
उन्होंने कहा, मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि कालेधन और आतंकी धन का प्रवाह कहां गया और इस पूरी प्रक्रिया से देश और आवाम को क्या फायदा हुआ है इसके बारे में भी प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को बताना चाहिए.
पूर्व सांसद ने कहा, सरकार के इस कदम से देश को कोई फायदा हुआ हो अथवा नहीं, लेकिन अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर जरूर पडा है. सकल घरेलू उत्पाद कम हो गया है इसके अलावा नये नोटों की छपाई पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए हैं.
नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि नोटबंदी का कदम आजाद भारत में सबसे बड़ा घोटाला है जिसने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. आप नेता संजय सिंह ने नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि पुराने नोटों को वापस लेने से काला धन, आतंकवाद और नक्सलवाद पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. लेकिन इसके बजाय इसने अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया.
संजय सिंह ने नोटबंदी के औचित्य पर औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि नोटबंदी आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है. प्रधानमंत्री को राष्ट्र से माफी मांगी चाहिए.’
आर्थिक कुप्रबंधन से आई जीडीपी में गिरावट
माकपा ने देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में आई गिरावट के लिए मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन और नोटबंदी को जिम्मेदार बताया है.
येचुरी ने ट्वीटर पर कहा, यथार्थ यह है कि जीडीपी के ये अंक वास्तव में बेहद खराब हैं. यह मोदी सरकार के पिछले तीन सालों में लगातार आर्थिक कुप्रबंधन का नतीजा है. नोटबंदी ने इसे और भी खराब कर दिया.
अप्रैल-जून तिमाही में भारत का जीडीपी दर तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंच गया. लगातार दूसरी तिमाही में यह चीन से पिछड़ा क्योंकि नोटबंदी के प्रभाव के चलते विनिर्माण सुस्त हो गया और उसके बाद जीएसटी का दौर आया.
लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर चीन से पीछे
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरी तिमाही है जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन से पीछे रही है.
विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती के बीच नोटबंदी का असर कायम रहने से जीडीपी की वृद्धि दर कम रही है. चीन ने जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून तिमाहियों दोनों तिमाहियों में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
इससे पिछली तिमाही जनवरी-मार्च में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी. 2016-17 की पहली तिमाही की संशोधित वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत थी.
वर्ष 2013-14 में विकास दर 6.4 प्रतिशत रही थी. 2016-17 में देश की विकास दर 7.1 प्रतिशत रही है. 2015-16 में यह 8 प्रतिशत थी. नोटबंदी के ठीक बाद की तिमाही में विकास दर घटकर मात्र 6.1 प्रतिशत रह गई थी जो इसके बाद अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है.
सकल मूल्य वर्धन 10.7 से 1.2 पर पहुंचा
सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) भारी गिरावट के साथ 1.2 प्रतिशत रह गया है. एक साल पहले समान तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत रहा था.
इसकी मुख्य वजह यह रही कि एक जुलाई को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने की वजह से कंपनियां उत्पादन के बजाय पुराना स्टॉक निकालने पर ध्यान दे रही थीं.
विनिर्माण अपने निचले स्तर पर
जीडीपी के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अपने निचले स्तर तक पहुंच चुकी है. इसकी वजह जीएसटी का क्रियान्वयन है. जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है.
उन्होंने कहा, जीएसटी के परिचालन में आने के बाद जहां तक विनिर्माण का सवाल है, यह अपने निचले स्तर तक पहुंच चुका है. यह इससे नीचे नहीं जाएगा.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के आंकड़ों से पता चलता है कि पहली तिमाही की वृद्धि दर नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे कम है.
जीएसटी से घटे स्टॉक
मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा कि विनिर्माण (जीवीए) का 74 प्रतिशत निजी क्षेत्र से आता है, जिसका प्रदर्शन काफी खराब रहा. अनंत ने जीएसटी से पहले स्टॉक घटने को जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह बताया है. कंपनियों को नई व्यवस्था के अनुरूप अपने मौजूदा स्टॉक की नए सिरे से लेबलिंग करनी पड़ी.
जेटली ने कहा, हम निश्चित रूप से कम वृद्धि को लेकर चिंतित हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या 2017-18 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है, जेटली ने कहा कि मैं इसकी उम्मीद करता हूं. जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है. जेटली ने उम्मीद जताई कि सेवा क्षेत्र की स्थिति सुधरेगी और निवेश बढ़ने के भी संकेत हैं.
कृषि क्षेत्र में भी गिरावट
सीएसओ की ओर से जारी आंकड़े बाजार की उम्मीदों से कम रहे हैं. बाजार का अनुमान था कि जीडीपी की वृद्धि दर जनवरी मार्च के 6.1 प्रतिशत के आंकड़े से कुछ ज्यादा रहेगी. आंकड़ों के अनुसार कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर भी कम रही है. पहली तिमाही में इस क्षेत्र में जीवीए 2.3 प्रतिशत रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2.5 प्रतिशत था.
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि पहली तिमाही में जीएसटी की वजह से जीडीपी कमजोर रहने का अनुमान लगाया जा रहा था. मेरे विचार से यह 0.4 प्रतिशत कम रही है. मैं पूरे साल के लिए इसके 6.3 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद कर रहा हूं.
एंजिल ब्रोकिंग के फंड मैनेजर मयूरेश जोशी ने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर पर यह दबाव जाहिर तौर पर नोटबंदी के विलंबित प्रभाव और जीएसटी से पहले उत्पादन गतिविधियों में गिरावट के चलते रहा, क्योंकि विनिर्माताओं की मुख्य चिंता जीएसटी से पहले के पुराने माल को निकालने की हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)