विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा है कि कोरोना वायरस का भारत में पहली बार पाया गया ‘डेल्टा’ स्वरूप अब तक का सबसे संक्रामक प्रकार है. अब यह स्वरूप कम से कम 85 देशों में फैल रहा है. ग़रीब देशों में टीके की अनुपलब्धता इसके प्रसार में सहायक सिद्ध हो रही है और अमीर देश विकासशील देशों को तत्काल टीका नहीं देना चाहते.
संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा/लंदन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अनेक देशों में ज्यादा तेजी से फैलने वाले कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप पर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने आगाह किया है कि इन नए प्रकारों को उभरने से रोकने के लिए वायरस फैलाव पर काबू पाना जरूरी है.
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि कोरोना वायरस का भारत में पहली बार पाया गया ‘डेल्टा’ स्वरूप अब तक का सबसे संक्रामक प्रकार है. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अब यह स्वरूप कम से कम 85 देशों में फैल रहा है.
उन्होंने आगाह किया कि कम से कम 85 देशों में पाया गया कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप अभी तक सामने आए सभी स्वरूपों में ‘सबसे अधिक संक्रामक’ है और यह उन लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है.
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं जानता हूं कि अभी विश्वभर में डेल्टा स्वरूप को लेकर काफी चिंता है और डब्ल्यूएचओ भी इसे लेकर चिंतित है.’ कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप सबसे पहले भारत में पाया गया.
उन्होंने जिनेवा में कहा, ‘अभी तक जितने भी स्वरूप पता चले हैं, उनमें डेल्टा सबसे अधिक संक्रामक है और कम से कम 85 देशों में इसकी पहचान की गई है तथा यह उन लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं.’
उन्होंने कुछ देशों में जन स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों में ढील दिए जाने पर चिंता जताते हुए कहा, ‘हमें दुनियाभर में संक्रमण बढ़ते हुए दिखना शुरू हो गया है. ज्यादा मामलों का मतलब है अधिक संख्या में मरीजों का अस्पताल में भर्ती होना जिससे स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा और मौत होने का खतरा बढ़ेगा.’
घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 के नए स्वरूपों के आने की आशंका है और ये आते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘विषाणु ऐसा ही करते हैं, वे पैदा होते रहते हैं, लेकिन हम संक्रमण को फैलने से रोककर स्वरूपों को आने से रोक सकते हैं.’
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि यह समझना आसान है कि अधिक संक्रमण फैलने का मतलब है अधिक स्वरूप आना और कम संक्रमण का मतलब है कि कम स्वरूप आना. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि डब्ल्यूएचओ एक साल से कह रहा है कि टीकों का आवंटन समान रूप से होना चाहिए.
शुक्रवार को हुई प्रेस वार्ता में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि गरीब देशों में टीके की अनुपलब्धता डेल्टा स्वरूप के प्रसार में सहायक सिद्ध हो रही है.
उन्होंने एक बैठक में शामिल होने के बाद कहा कि अमीर देश विकासशील देशों को तत्काल टीका नहीं देना चाहते.
उन्होंने कहा, ‘वे (गरीब देश) निराश हैं, क्योंकि उनके पास टीके नहीं हैं. अगर टीका नहीं तो आप क्या साझा करेंगे?’
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि वैश्विक समुदाय दशकों पहले की गईं गलतियों को दोहराने का जोखिम उठा रहा है. जब एड्स संकट और 2009 के स्वाइन फ्लू महामारी के दौरान गरीब देशों को टीके बीमारी फैलने के बाद पहुंचे थे.
उन्होंने कहा, ‘अमीर देशों में एचआईवी फैलने के बाद गरीब देशों में एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग पहुंचने में 10 साल लग गए.’, क्या हम वही बात दोहराना चाहते हैं?’
रिपोर्ट के अनुसार, गरीब देशों को टीके वितरित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रयास ‘कोवैक्स’, कोविड-19 टीका साझा करने के अपने कई लक्ष्यों से चूक गया है और इसके सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता से वर्ष के अंत तक किसी भी टीके के निर्यात की उम्मीद नहीं है.
इसके अलावा ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा वादा किए गए करोड़ों कोविड-19 खुराक के भी जल्द ही आने की संभावना नहीं है.
डब्ल्यूएचओ प्रमुख के एक वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने स्वीकार किया, ‘हमने इस महीने कोवैक्स के माध्यम से एस्ट्राजेनेका और फाइजर (जॉनसन एंड जॉनसन) वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं दी है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रत्येक आपूर्तिकर्ता इस अवधि के दौरान आपूर्ति करने में असमर्थ है, क्योंकि अन्य (देश) उन उत्पादों पर मांग कर रहे हैं, अन्य जो बहुत युवा आबादी का टीकाकरण कर रहे हैं, जो जोखिम में नहीं हैं.’
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा कि कुछ देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों में ढील दी गई है. मगर इसके साथ ही संक्रमण के मामलों में उछाल भी देखने को मिल रहा है. यह उन आबादियों में ज्यादा तेजी से फैल रहा है जहां अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि वायरस के नए प्रकारों का उभरना अपेक्षित है और यह आने वाले दिनों में भी होता रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘वायरस यही करते हैं, वे नए प्रकारों में बदलते हैं, मगर कोविड-19 के फैलाव की रोकथाम कर इन प्रकारों के उभरने व फैलने पर रोक लगाई जा सकती है.’
उन्होंने कोविड-19 संक्रमण के फैलाव पर लगाम कसने के लिए हरसंभव औजार के तत्काल इस्तेमाल का आग्रह किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि वैक्सीन वितरण में समता का ध्यान रखा जाना होगा.
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 की टेक्निकल लीड डॉ. मारिया वान कर्खोव ने कहा कि डेल्टा स्वरूप एक ‘खतरनाक’’ वायरस है और अल्फा स्वरूप के मुकाबले अधिक संक्रामक है जो यूरोप तथा अन्य देश में खुद बहुत संक्रामक था.
उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय देशों में संक्रमण के मामलों में गिरावट आ रही है, लेकिन बड़े पैमाने पर खेल या धार्मिक कार्यक्रम समेत अन्य कार्यक्रम भी हो रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘इन सभी गतिविधियों के परिणाम है और डेल्टा स्वरूप उन लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं.’
कर्खोव ने कहा कि कुछ देशों में टीके लगवाने वाले लोगों की अधिक संख्या है, लेकिन फिर भी उन देशों की पूरी आबादी को अभी टीका नहीं लगा है और कई लोगों ने कोविड-19 रोधी टीके की दूसरी खुराक नहीं ली है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 रोधी टीके डेल्टा स्वरूप के खिलाफ गंभीर रूप से बीमार पड़ने और मौत होने से रोकने में ‘काफी प्रभावी’ हैं.
मालूम हो कि हाल ही में ह्वाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने आगाह किया था कि कोरोना वायरस का बेहद संक्रामक स्वरूप ‘डेल्टा’ कोविड-19 महामारी का सफाया करने के अमेरिका के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
फाउची ने कहा था कि अमेरिका में सामने आने वाले कोविड-19 के नए मामलों में से 20 फीसदी से अधिक में संक्रमण की वजह डेल्टा स्वरूप है.
बता दें कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई देशों द्वारा कोरोना वायरस के चिंताजनक स्वरूप के संक्रमण की पुष्टि के बाद दक्षिण-पूर्व एशिया के अपने सदस्यों से कोविड-19 को दोबारा फैलने से रोकने के लिए जन स्वास्थ्य सुविधाओं को मज़बूत बनाने, सामाजिक दूरी के नियमों के कड़ाई से पालन और टीकाकरण तेज़ करने की अपील की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)