मेडिकल परीक्षा: मोदी सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने वाली दलित छात्रा ने की आत्महत्या

अनीता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तमिलनाडु को नीट परीक्षा से छूट दिए जाने की मांग की थी.

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अनीता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तमिलनाडु को नीट परीक्षा से छूट दिए जाने की मांग की थी.

Anitha NEET
अनीता. (फोटो साभार: द हिंदू)

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बहस करने वाली तमिलनाडु के अरियालुर जिले की दलित लड़की अनीता ने आत्महत्या कर ली है.

द हिंदू के मुताबिक अनीथा ने कुझुमुर गांव में स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या की. दैनिक मजदूर की 17 वर्षीय बेटी अनीता ने तमिलनाडु स्टेट बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा में 1200 में से 1176 नंबर पाये थे. जिसके आधार पर उनका एडमिशन एमबीबीएस में हो जाता लेकिन नीट परीक्षा के चलते ऐसा संभव नहीं हुआ. नीट की परीक्षा में अनीता को केवल 86 नंबर ही मिले थे.

गौरतलब है कि पिछले साल तक तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेज में दाखिल बारहवीं में प्राप्त अंकों के आधार पर हो जाता था. हालांकि नीट परीक्षा का आयोजन केंद्र सरकार ने पिछले साल भी किया था लेकिन तब तमिलनाडु को इससे छूट मिल गई थी. इस साल भी तमिलनाडु सरकार ने अध्यादेश लाकर नीट परीक्षा से बाहर होने का प्रयास किया था लेकिन 22 अगस्त को सुप्रीट कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए तमिलनाडु सरकार को नीट के तहत मेडिकल काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि काउंसलिंग प्रक्रिया 4 सितंबर तक पूरी हो जानी चाहिए. इसके बाद केंद्र ने भी कहा था कि इस मामले में तमिलनाडु को छूट नहीं जा सकती है.

इससे पहल केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को इस पर राहत देने की बात कही थी. केंद्र ने कहा था कि सरकार इस तरह के अनुरोध पर सिर्फ एक साल के लिए विचार कर सकती है. लेकिन बाद में केंद्र अपने इस बयान से पीछे हट गई.

बता दें नीट का आयोजन मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में प्रवेश के लिए किया जाता है. इस परीक्षा के द्वारा उन कॉलेजों में प्रवेश मिलता है, जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया के द्वारा संचालित किया जाता है.