उत्तर प्रदेश: 22 ज़िला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित, 21 उम्मीदवार भाजपा के

राज्य के बाकी 53 ज़िलों में आगामी तीन जुलाई को मतदान होगा. उसी मतगणना शुरू होगी. उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में उम्मीदवारों की जीत विपक्ष के आरोपों के बीच हुई है कि भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है. वहीं, सपा पर अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भगवा पार्टी ने पलटवार किया है.

पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

राज्य के बाकी 53 ज़िलों में आगामी तीन जुलाई को मतदान होगा. उसी मतगणना शुरू होगी. उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में उम्मीदवारों की जीत विपक्ष के आरोपों के बीच हुई है कि भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है. वहीं, सपा पर अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भगवा पार्टी ने पलटवार किया है.

पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)
पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान एक कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. इनमें से 21 उम्मीदवार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं.

सिर्फ इटावा में समाजवादी पार्टी की जीत हुई है वहीं, शेष 21 जिलों में भाजपा के उम्मीदवार विजयी रहे हैं.

राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश के 22 जिलों सहारनपुर, बहराइच, इटावा, चित्रकूट, आगरा, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद, ललितपुर, झांसी, बांदा, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, मऊ, वाराणसी, पीलीभीत और शाहजहांपुर में जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है.

उन्होंने बताया कि राज्य के बाकी 53 जिलों में आगामी तीन जुलाई को मतदान होगा. उसी दिन अपराह्न तीन बजे से मतगणना शुरू होगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 22 में से 18 सीटों की घोषणा नामांकन के दिन की गई थी, जिनमें से प्रत्येक में केवल एक उम्मीदवार ने पर्चा दाखिल किया था. चार और सीटों- सहारनपुर, बहराइच, शाहजहांपुर और पीलीभीत पर परिणाम मंगलवार को कुछ उम्मीदवारों द्वारा अपने पर्चा वापस लेने के बाद घोषित किया गया.

सूत्रों ने कहा कि सहारनपुर में बसपा समर्थित एक उम्मीदवार ने पार्टी प्रमुख मायावती की घोषणा के बाद चुनाव से हाथ खींच लिया. मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी.

इन जिलों में उम्मीदवारों की जीत विपक्ष के आरोपों के बीच हुई है कि भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है. वहीं, सपा पर अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भगवा पार्टी ने पलटवार किया.

बीते 26 जून को नामांकन के दिन निर्विरोध निर्वाचन वाले 18 जिलों में मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद, आगरा, इटावा, ललितपुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, मऊ और वाराणसी शामिल थे.

इन 18 जिलों में इटावा को छोड़कर 17 जिला पंचायत अध्यक्ष पद भाजपा के खाते में जाने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने उनके प्रत्याशियों को नामांकन कराने से रोका है.

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था, ‘गोरखपुर व अन्य जगह जिस तरह भाजपा सरकार ने पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोका है, वो हारी हुई भाजपा का चुनाव जीतने का नया प्रशासनिक हथकंडा है. भाजपा जितने पंचायत अध्यक्ष बनाएगी, जनता विधानसभा में उन्हें उतनी सीट भी नहीं देगी.

बहरहाल भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा, ‘हम निष्पक्ष चुनाव लड़ते हैं, और अगर आरोप सही थे तो समाजवादी पार्टी ने इटावा को निर्विरोध कैसे जीता? इसके अलावा जिस तरह से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने नामांकन के बाद कार्रवाई की, उससे पता चलता है कि वह घर से काम कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे उम्मीदवार 21 सीटों के लिए चुने गए हैं और अब हम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि हम शेष सीटों में भी बहुमत हासिल करें.’

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जनकल्याण के कदमों और सांगठनिक नेतृत्व की कुशलता से जनता का विश्वास भाजपा में और दृढ़ हुआ है. यही कारण है कि जनता के चुने प्रतिनिधि भी भाजपा में अपना भरोसा दिखा रहे हैं.

उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी शनिवार को बाकी 53 जिलों में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भी भाजपा जबरदस्त जीत हासिल करेगी.

इस बीच बागपत से मिली रिपोर्ट के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की प्रत्याशी ममता के नाम पर किसी अन्य महिला के नाम वापस ले लिए जाने से हंगामा मच गया.

वहीं, ममता ने इंटरनेट पर वीडियो पोस्ट कर खुद के राजस्थान में होने का दावा किया. इस पर रालोद कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर हंगामा शुरू कर दिया.

बाद में बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव ने बताया कि कोई महिला खुद को रालोद प्रत्याशी बताकर नामांकन वापसी के लिए आई थी. शिकायत मिलने पर जांच की गई और रालोद प्रत्याशी ममता से फोन पर बात हुई है. नामांकन वापस नहीं हुआ है. रालोद और भाजपा दोनों प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी.

जिलाधिकारी ने बताया कि फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कर हलफनामा देने वाली महिला की जांच होगी और जांच रिपोर्ट के आधार पर महिला के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद ही हंगामा कर रहे रालोद कार्यकर्ता शांत हुए.

रालोद नेताओं का आरोप था कि प्रशासन ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए किसी महिला को ममता देवी का नामांकन वापस करा दिया.

रालोद कार्यकर्ताओं ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि ममता राजस्थान में हैं. कोई और महिला उनके नाम पर उनका पर्चा वापस ले गई है. वहीं हंगामे की आशंका को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.

इससे पहले 25 जून को नामांकन से पहले रालोद प्रत्याशी ममता ने अपने पति जयकिशोर के साथ पत्रकारों के समक्ष आरोप लगाया था कि कुछ भाजपा नेताओं ने उन्हें धमकी दी है.

बहरहाल, अब बागपत में ममता किशोर रालोद-सपा की संयुक्त उम्मीदवार हैं. उनका मुकाबला भाजपा की बबली देवी से होगा.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान कुल 3,050 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे. इनमें से समाजवादी पार्टी के 747, भारतीय जनता पार्टी के 666, बहुजन समाज पार्टी के ï322, कांग्रेस के 77, आम आदमी पार्टी के 64 और 1,174 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)