उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के निषाद समुदाय के साथ समीकरण गड़बड़ाते हुए नज़र आ रहे हैं. प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने हाल ही में ख़ुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किए जाने की मांग की थी. इससे पहले उन्होंने राज्य सरकार में सम्मानजनक जगह न मिलने पर 2022 का चुनाव अकेले लड़ने की बात भी कह चुके हैं.
मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज चल रहे भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के पूर्व प्रदेश महामंत्री कुंवर सिंह निषाद ने मंगलवार को सर्वदलीय निषाद कश्यप यूनियन की पंचायत में पार्टी छोड़ने की घोषणा की.
इस पंचायत में मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी जिलों के निषाद, कश्यप और मल्लाह समुदायों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया.
निषाद ने भाजपा छोड़ने की घोषणा करते हुए कहा, ‘केंद्र की (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी (के नेतृत्व वाली) सरकार में पिछड़े और दलितों का दमन हो रहा है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार पूंजीवाद और नौकरशाही की गिरफ्त में है.
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पूर्व और बाद में भी निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में सम्मिलित कराने का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादे से मुकर गए हैं.
अमर उजाला के मुताबिक, राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी के महासचिव डॉ. पुरुषोत्तम निषाद ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि आर-पार की लड़ाई होनी चाहिए.
महासचिव कन्हैया निषाद ने कहा कि हम अपने अधिकार के लिए आवाज उठाएंगे. निषाद कश्यप महासभा जिलाध्यक्ष राधेश्याम कश्यप ने कहा कि यदि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति का वर्षों से लंबित आरक्षण नहीं दिया तो हम भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देंगे.
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के निषाद समुदाय के साथ समीकरण गड़बड़ाते हुए नजर आ रहे हैं.
इसी महीने प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने विधानसभा चुनाव में खुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किए जाने की मांग की थी.
निषाद ने कहा था, ‘उत्तर प्रदेश में सभी जातियों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं, इसलिए भाजपा को 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुझे उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर देनी चाहिए. इससे भाजपा को भी खुशी होगी और निषाद पार्टी भी खुश रहेगी.’
निषाद ने दावा किया था, ‘प्रदेश में 160 विधानसभा क्षेत्र निषाद बहुल हैं और 70 क्षेत्रों में निषाद समुदाय की आबादी 75 हजार से ज्यादा है. निषाद पार्टी 100 सीट जीतने का संकल्प लेकर बूथ स्तर पर काम कर रही है. हमें मुख्यमंत्री न सही, उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव में जाने से भाजपा को फायदा होगा.’
इससे पहले इस साल फरवरी में निषाद ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी को समझौते के आधार पर राज्य सरकार में सम्मानजनक जगह नहीं दी गई, तो 2022 का चुनाव निषाद पार्टी अकेले लड़ेगी.
तब उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी का भाजपा से समझौता हुआ था, जिसमें यह तय हुआ था कि प्रदेश में सरकार बनने पर उनकी पार्टी को दो मंत्रालय दिए जाएंगे. साथ ही आरक्षण के मुद्दे पर भी बात हुई थी, लेकिन राज्य सरकार अपने वादे को पूरा नहीं कर रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)