दिल्ली: भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के बीच झड़प

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच हुई झड़प के बाद किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कुचलने और इसे बदनाम करने की केंद्र सरकार की एक और साज़िश है.

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New Delhi: Farmers raise slogans during a panchayat on the National Highway-9, near Ghazipur in New Delhi, Sunday, April 4, 2021. (PTI Photo/Arun Sharma) (PTI04 04 2021 000102B)

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच हुई झड़प के बाद किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कुचलने और इसे बदनाम करने की केंद्र सरकार की एक और साज़िश है.

New Delhi: Farmers raise slogans during a panchayat on the National Highway-9, near Ghazipur in New Delhi, Sunday, April 4, 2021. (PTI Photo/Arun Sharma) (PTI04 04 2021 000102B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

गाजियाबाद: दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित गाजीपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों के बीच बुधवार को झड़प हो गई.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हंगामा उस समय हुआ जब भाजपा कार्यकर्ता उस फ्लाईओवर से अपना जुलूस निकाल रहे थे, जहां तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसान नवंबर 2020 से धरने पर बैठे हुए हैं, जिनमें अधिकतर भारतीय किसान यूनियन के समर्थक हैं.

उन्होंने बताया कि दोपहर करीब 12 बजे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और झगड़ा शुरू हो गया तथा वे डंडों से लड़े जिस वजह से कुछ लोग जख्मी हो गए.

सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें कथित रूप से कुछ गाड़ियां क्षतिग्रस्त हालत में दिख रही हैं. ये गाड़ियां भाजपा नेता अमित वाल्मीकि के काफिले का हिस्सा थीं और वाल्मीकि के स्वागत के लिए ही जुलूस निकाला जा रहा था.

किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि यह प्रकरण तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कुचलने और इसे बदनाम करने की सरकार की एक और साजिश है.

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने दावा किया कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने जिला प्रशासन और सरकारी अधिकारियों को सूचित किया था कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को हटाएं, क्योंकि वे स्वागत रैली के नाम पर हंगामा कर रहे हैं.

बाजवा ने कहा, ‘उन्होंने किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया और एक साजिश के तहत खुद अपने वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. सरकार की यह साजिश कामयाब नहीं होने वाली है, क्योंकि पहले भी किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा चुके हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम आज (बुधवार) की घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं और अगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो हम उसके हिसाब से अपनी भविष्य की रणनीति की योजना बनाएंगे.’

बाजवा ने कहा, ‘हम भाजपा द्वारा किए गए हंगामे की निंदा करते हैं.’ उन्होंने कहा कि यह हथकंडे काम नहीं करेंगे, क्योंकि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से पिछले सात महीनों से चल रहा है और भविष्य में भी जारी रहेगा.

गाजीपुर में किसान भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन की ओर से कहा गया है, ‘भाजपा अब आंदोलन को हिंसा से तोड़ना चाहती है, जिसका उदाहरण आज की गाजीपुर बॉर्डर पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा है. सभी किसानों से अनुरोध है कि इनके बहकावे में न आएं और अपने आंदोलन को बचाए रखें.’

संगठन ने कहा, ‘भाजपा के कार्यकर्ताओं ने आज गाजीपुर बॉर्डर पर फ्लाईवे के बीच मंच के पास भारी संख्या में इकट्ठा होकर किसी नेता के स्वागत के बहाने ढोल बजाकर आंदोलन विरोधी नारे लगाए. भाकियू कार्यकर्ताओं के मना करने पर लाठी डंडों से हमला किया, जिसमें किसान घायल हुए हैं.’

भाजपा पर आरोप लगाते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘यहां कुछ लोग बीजेपी का झंडा लेकर आ रहे हैं, झगड़ा करना चाहते हैं. पुलिस फोर्स भी बैठी रहती है, उन्हें कहती कुछ नहीं. आज जहां मंच है, वे वहां नारेबाजी करते हुए गए, पत्थरबाजी उन्होंने की.’

मालूम हो कि केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली चलो मार्च के तहत किसानों ने अपना प्रदर्शन शुरू किया था. पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंजूरी मिल गई थी.

केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी थी, लेकिन किसानों ने इस मैदान को खुली जेल बताते हुए यहां आने से इनकार करते हुए दिल्ली की तीनों सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन शुरू किया था, जो आज भी जारी है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में चार महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

अब तक प्रदर्शनकारी यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच पिछली औपचारिक बातचीत बीते 22 जनवरी को हुई थी. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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