अब जल्द ही पश्चिम बंगाल जाने वाले यात्री एक ऐसी ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं जिसका नाम महाश्वेता देवी के किसी उपन्यास पर रखा जाएगा.
ट्रेन की यात्राओं को थोड़ा सा ज्ञानवर्धक और साहित्यिक बनाने के लिए रेल मंत्रालय ट्रेनों के नाम प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों पर उसके क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए रखे जाने के लिए एक प्रस्ताव पर गौर कर रहा है.
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब जल्द ही पश्चिम बंगाल जाने वाले यात्री एक ऐसी ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं जिसका नाम महाश्वेता देवी के किसी उपन्यास पर रखा जाएगा. वहीं, बिहार जाने वाले यात्री भी रामधारी सिंह दिनकर की कृति पर रखे गए नाम वाले ट्रेन से यात्रा कर पाएंगे.
उन्होंने बताया कि मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत साहित्यिक कृतियों का एक डाटा बैंक ट्रेनों के नाम रखने के लिए तैयार कर रहा है. अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों के नाम साहित्यिक कृतियों पर रखने का विचार रेल मंत्री सुरेश प्रभु की तरफ से आया है.
मंत्री का मानना है कि रेलवे देश को जोड़नेवाला धर्मनिरपेक्ष माध्यम है और इसका इस्तेमाल विभिन्न सांस्कृतिक पहचान को दिखाने के लिए किया जा सकता है. इससे देश की विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों से आने वाले लेखकों की कृति पर ट्रेनों के नाम रखे जा सकेंगे.
इस डेटाबेस पर काम कर रहे अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए प्रारंभिक काम शुरू हो गया है क्योंकि साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतने वाली कृतियों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है.
ट्रेनों को नए नाम दिए जाने और नाम बदलने का फैसला मंत्रालय को करना है. हालांकि स्टेशनों के नए नाम रखने के लिए अनुमति की जरूरत पड़ेगी.
मई 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कई ट्रेनों, स्टेशनों, रेल सर्किट और योजनाओं के नाम बदले गए हैं. उदाहरण के तौर पर महामना एक्सप्रेस का नाम हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे मदन मोहन मालवीय और अंत्योदय एक्सप्रेस का नाम भारतीय जनसंघ के विचारक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया था.
कुछ ट्रेनों के नाम तो पहले से ही साहित्यक पुट वाले हैं. उदाहरण के तौर पर मुंबई से उत्तर प्रदेश के बीच चलनेवाली गोदान एक्सप्रेस का नाम प्रेमचंद की प्रसिद्ध कृति गोदान पर है. उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ से दिल्ली के बीच चलनेवाली कैफियत एक्सप्रेस का नाम मशहूर उर्दू शायर कैफी आजमी के नाम पर रखा गया था. कैफी आजमी का गृहनगर आजमगढ़ है.