एल्गार परिषदः एनएचआरसी ने स्टेन स्वामी की चिकित्सकीय देखरेख को लेकर जेल से रिपोर्ट मांगी

तमिलनाडु के एक वकील द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क करने के बाद आयोग ने तलोजा जेल अधीक्षक से फादर स्टेन स्वामी को चिकित्सा सुविधाओं से महरूम रखने के आरोपों पर रिपोर्ट तलब की है. एल्गार परिषद मामले में अक्टूबर 2020 से जेल में बंद वयोवृद्ध स्टेन स्वामी कई बीमारियों से जूझ रहे हैं.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

तमिलनाडु के एक वकील द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क करने के बाद आयोग ने तलोजा जेल अधीक्षक से फादर स्टेन स्वामी को चिकित्सा सुविधाओं से महरूम रखने के आरोपों पर रिपोर्ट तलब की है. एल्गार परिषद मामले में अक्टूबर 2020 से जेल में बंद वयोवृद्ध स्टेन स्वामी कई बीमारियों से जूझ रहे हैं.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)
फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनसीपीसीआर) ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को चिकित्सा सुविधाओं से महरूम रखने के आरोपों में तलोजा जेल अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचआरसी के कानून के सहायक रजिस्ट्रार ने 26 जून को जेल प्रशासन को ईमेल भेजा था.

तमिलनाडु के एक वकील फादर संथानम ए. के इस मामले में एनएचआरसी का रुख करने के बाद यह ईमेल भेजा गया.

उन्होंने मई में दायर की गई अपनी याचिका में कहा था कि फादर स्टेन स्वामी में कोरोना के कई लक्षणों का पता लगने के बावजूद आयुर्वेद डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे.

मालूम हो कि एल्गार परिषद मामले में स्टेन स्वामी अक्टूबर 2020 से जेल में बंद हैं. वह पार्किंसंस बीमारी से जूझ रहे हैं और उन्हें गिलास से पानी पीने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वकील ने कहा था कि अधिकतर जेलकर्मी और कैदी, जिनमें से अधिकतर सजायाफ्ता हैं, वे कोरोना संक्रमित हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि बुखार के बावजूद उन्हें (स्टेन स्वामी) वैक्सीन लगाई गई, जो मेडिकल प्रोटोकॉल के विपरीत है.

इसके बाद स्टेन स्वामी कोविड19 संक्रमित पाए गए. उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद होली फैमिली अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें हाल ही में उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है.

इस बीच हाईकोर्ट ने अस्पताल में उनके रहने की अवधि बढ़ा दी थी.

जब स्टेन स्वामी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जेल से बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया तो उन्होंने अदालत को बताया कि जेल में उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आई है.

उन्होंने यह कहकर जेजे अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया कि वह वहां पहले भी दो बार रह चुके हैं लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली.

उन्होंने कहा था कि वह जेजे अस्पताल जाने के बजाए जेल में मरना पसंद करेंगे.

तलोजा जेल में चिकित्सा सुविधाओं पर द वायर की हाल की रिपोर्ट में बताया गया था कि तलोजा जेल में 2,124 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वहां मौजूदा समय में 2,700 से अधिक कैदी हैं और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है.

मालूम हो कि तलोजा जेल में एल्गार परिषद मामले में एनआईए द्वारा आरोपित 16 कार्यकर्ताओं और वकीलों को रखा गया है. द वायर  की इस रिपोर्ट में चिकित्सा से जुड़ी हुई बुनियादी कमियों को उजागर किया गया है.

रिपोर्ट में बताया गया, ‘राज्य की अधिकतर अन्य जेलों की तरह तलोजा जेल में बुनियादी मेडिकल सुविधाओं का अभाव है. तीन आयुर्वेदिक डॉक्टर लंबे समय से जेल में मेडिकल देखरेख कर रहे हैं. एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में हर बार जब भी कोई बीमार पड़ता है तो उन्हें पर्याप्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करना पड़ता है.’

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