बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने इससे पहले आरोप लगाया था कि उनके द्वारा तैयार की गई विभागीय अधिकारियों के तबादले एवं पदस्थापन की सूची तीन दिनों से एक विभागीय अधिकारी लेकर बैठे हैं और उसे जारी नहीं कर रहे हैं. मंत्री के आरोपों को लेकर समाज कल्याण विभाग के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.
पटनाः बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने बेलगाम नौकरशाही के विरोध में गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
सहनी ने गुरुवार को इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, ‘मैं नौकरशाही के विरोध में इस्तीफा दे रहा हूं. मुझे जो गाड़ी या आवास मिला है, मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. अगर अधिकारी मेरी बात नहीं सुनते तो लोगों के काम नहीं हो सकते हैं. यदि मैं लोगों को सेवा नहीं कर सकता, यदि लोगों के काम नहीं हो रहे हैं तो मुझे इस मंत्री पद आवश्यकता नहीं है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के अधिकारी जन प्रतिनिधियों के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं.
I'm resigning in objection against bureaucracy. I'm not satisfied with the residence or vehicle I received because if I can't serve people, if officers don't listen to me then work of people won't get done. If their work isn't getting done,I don't need this: Bihar Min Madan Sahni pic.twitter.com/IVFDjokH6A
— ANI (@ANI) July 1, 2021
उन्होंने कहा, ‘इस पद पर रहकर जब हम कोई काम नहीं कर सकते, किसी गरीब का भला नहीं कर सकते और कोई सुधार का काम नहीं कर सकते तो केवल सुविधाओं को भोगने के लिए मंत्री पद पर बने रहना मुनासिब नहीं लगता.’
सहनी ने कहा, ‘अगर अधिकारी मेरी बात नहीं सुनते तो मैं लोगों का काम नहीं कर पाऊंगा. अगर लोगों की मांग पूरी नहीं होंगी तो मुझे इस पद या आवास की जरूरत नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘राज्य के अधिकारियों पर किसी का नियंत्रण नहीं है और वे जनप्रतिनिधियों के निर्देशों का पालन नहीं करते.’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से ताल्लुक रखने वाले सहनी ने इससे पहले आरोप लगाया था कि उनके द्वारा तैयार की गई विभागीय अधिकारियों के तबादले एवं पदस्थापन की सूची तीन दिनों से एक विभागीय अधिकारी लेकर बैठे हैं और उसे जारी नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर अधिकारियों में ऐसा करने की हिम्मत है तो मेरे कुर्सी पर बने रहने का क्या मतलब है. मैं सिर्फ कुछ सुविधाओं का आनंद लेने के लिए मंत्री नहीं रहना चाहता.’
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की है तो सहनी ने कहा, ‘उन्हें सब पता है. हम ब्लैकमेल करने के लिए इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, सिस्टम के खिलाफ इस्तीफा दे रहे हैं.’
यह पूछे जाने पर कि उनके विभाग में जो उनकी बात नहीं सुन रहें हैं, उनको हटा दिए जाने पर क्या वे मान जाएंगे, सहनी ने कहा, ‘क्या हम मोल-जोल करने के लिए इस्तीफा दे रहे हैं. उनको हटावें या नहीं हमें जितना कहना था कह दिया हम इस्तीफा देने जा रहे हैं.’
मंत्री के आरोपों को लेकर समाज कल्याण विभाग के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्हें मदन सहनी के इस्तीफे की जानकारी नहीं है.
उन्होंने कहा कि हालांकि यह सच है कि कई प्रशासनिक अधिकारी नेताओं की नहीं सुनते. मैं इस मुद्दे को विधायकों की संयुक्त बैठक में पहले उठा चुका हूं.
बता दें कि पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर विधानसभा सीट से जीते सहनी को नीतीश के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में जाना जाता है. उन्हें इस साल फरवरी में कैबिनेट में शामिल किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)