सरकार ने गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 टीकाकरण की अनुमति दी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि गर्भवती महिलाएं अब कोविन पोर्टल पर टीकाकरण के लिए पंजीकरण कर सकती हैं या इसके लिए निकटतम कोविड टीकाकरण केंद्र जा सकती हैं.

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(फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि गर्भवती महिलाएं अब कोविन पोर्टल पर टीकाकरण के लिए पंजीकरण कर सकती हैं या इसके लिए निकटतम कोविड टीकाकरण केंद्र जा सकती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से घोषणा की कि गर्भवती महिलाएं अब कोविड-19 टीकाकरण के लिए पात्र हैं, जिसके लिए वे कोविन पोर्टल पर पंजीकरण कर सकती हैं या निकटतम कोविड टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) जा सकती हैं.

मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 टीके के लाभ, जोखिम और संभावित दुष्प्रभावों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें खुराक लेने के संबंध में निर्णय लेने में मदद मिल सके.

मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं के कोविड-19 टीकाकरण के लिए परिचालन मार्गदर्शन जारी किया.

इसमें कहा गया कि विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि अगर कोई विरोधाभासी तथ्य न हो तो गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 टीके दिए जा सकते हैं. लक्ष्य व्यक्तिगत आधार पर जोखिम बनाम लाभ का आकलन करना है ताकि गर्भवती महिला एक सही निर्णय ले सके.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिशों के आधार पर गर्भवती महिलाओं को कोविड टीकाकरण लेने की मंजूरी दी है.

एक बयान में कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसे लागू करने के निर्णय से अवगत करा दिया गया है.

बयान में आगे कहा गया है कि गर्भवती महिलाएं, जो टीकाकरण का विकल्प चुनती हैं, उन्हें गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय निकटतम सरकारी या निजी टीकाकरण केंद्र में कोविन पर पंजीकरण के बाद या निकटतम केंद्र में जाकर पंजीकरण द्वारा देश में उपलब्ध कोविड के टीके लगवा सकती हैं.

इसमें कहा गया है कि पंजीकरण, टीकाकरण के बाद प्रमाण पत्र पाने जैसी प्रक्रियाएं और तौर-तरीके वही रहेंगे, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी लाभार्थी के लिए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत हैं.

कुछ दिन पहले मंत्रालय ने फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और टीकाकरणकर्ताओं को गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 वैक्सीन के महत्व और सावधानियों के बारे में परामर्श और मार्गदर्शन देने के लिए एक तथ्य पत्र तैयार किया था, ताकि वे इस बारे में उचित निर्णय ले सकें.

कोविड टीकों के दुष्प्रभावों पर सरकारी तथ्य पत्र में कहा गया था कि उपलब्ध टीके सुरक्षित हैं और टीकाकरण गर्भवती महिलाओं को अन्य व्यक्तियों की तरह कोविड-19 बीमारी से बचाता है.

सरकार की ओर से जारी दस्तावेज में कहा गया है कि हालांकि 90 प्रतिशत से अधिक संक्रमित गर्भवती महिलाएं अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाती हैं, कुछ मामलों में स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट हो सकती है और इससे भ्रूण भी प्रभावित हो सकता है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि एक गर्भवती महिला को कोविड 19 टीका लेना चाहिए.

सरकार के बयान में कहा गया है कि यदि वर्तमान गर्भावस्था के दौरान कोई महिला कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है तो उसे प्रसव के तुरंत बाद टीका लगाया जाना चाहिए.

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि जो महिलाएं गर्भवती हैं या अपनी गर्भावस्था के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं, उन्हें COVID-19 वैक्सीन नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि वे किसी भी कोविड वैक्सीन परीक्षण का हिस्सा नहीं थीं.

28 मई को टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की बैठक के बाद यह सिफारिश की गई है कि गर्भवती महिलाओं को भी टीका लगाया जाना चाहिए क्योंकि ‘जोखिम की संभावना बहुत अधिक है’ और यह कि ‘लाभ जोखिम से कहीं अधिक है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया ने बीते अप्रैल महीने में सिफारिश की थी कि प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों और महिला स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रतिकूल घटनाओं के प्रबंधन की तैयारी के साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोविड-19 टीके लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

हालांकि संगठन ने कहा था कि चिकित्सक भारत में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीकाकरण की सलाह तब तक नहीं दे सकते जब तक कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की सिफारिशों में कोई बदलाव न हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)