पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

पुष्कर सिंह धामी बीते चार महीनों में उत्तराखंड भाजपा की ओर से चुने गए तीसरे मुख्यमंत्री हैं. 45 वर्षीय धामी राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं. धामी के अलावा 11 मंत्रियों ने भी शपथ ली है. मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरक़रार रखा गया है और एकमात्र बदलाव यही किया गया है कि सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. मंत्रिमंडल में अभी कोई भी राज्य मंत्री नहीं है.

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पुष्कर​ सिंह​ धामी. (फोटो: पीटीआई)

पुष्कर सिंह धामी बीते चार महीनों में उत्तराखंड भाजपा की ओर से चुने गए तीसरे मुख्यमंत्री हैं. 45 वर्षीय धामी राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं. धामी के अलावा 11 मंत्रियों ने भी शपथ ली है. मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरक़रार रखा गया है और एकमात्र बदलाव यही किया गया है कि सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. मंत्रिमंडल में अभी कोई भी राज्य मंत्री नहीं है.

पुष्कर​ सिंह​ धामी. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: उधमसिंह नगर जिले के खटीमा विधानसभा क्षेत्र से दो बार के भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. पुष्कर सिंह धामी बीते चार महीनों में उत्तराखंड भाजपा की ओर से चुने गए तीसरे मुख्यमंत्री हैं.

देहरादून स्थित राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.

वह राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं. 45 वर्षीय धामी उत्तराखंड के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं.

करीब 10 मिनट देर से आरंभ हुए शपथ ग्रहण समारोह में धामी के अलावा 11 मंत्रियों ने भी शपथ ली.

मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है और एकमात्र परिवर्तन यही किया गया है कि सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. धामी मंत्रिमंडल में अभी कोई भी राज्य मंत्री नहीं है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल की तरह ही पुष्कर मंत्रिमंडल में भी सतपाल महाराज को नंबर दो पर रखा गया है. अन्य मंत्रियों में डॉ. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत, रेखा आर्य, स्वामी यतीश्वरानंद, अरविंद पाण्डेय, गणेश जोशी और धनसिंह रावत शामिल हैं .

धामी मंत्रिमंडल में रेखा आर्य, धनसिंह रावत और यतीश्वरानंद का कद बढ़ाया गया है. पिछले मंत्रिमंडल में ये तीनों राज्य मंत्री थे.

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, कई विधायक, धामी की मां बिश्ना देवी और पत्नी गीता धामी समेत अन्य लोग भी मौजूद थे.

बीते शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में बतौर पर्यवेक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनका नाम सर्वसम्मति से तय हुआ था.

इस दौरान पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, ‘मेरी पार्टी ने मुझे हमेशा अपनी मां की तरह अपने सीने से लगाए रखा है. मैं खुद को काफी भाग्यशाली मानता हूं कि पार्टी ने मुझे यह मौका दिया. मैं राज्य के दूरदराज के इलाकों में भी लोगों की सेवा करने का संकल्प लेता हूं. हम बाद में कैबिनेट में बदलाव पर चर्चा करेंगे.’

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार धामी ने कहा था, ‘मेरी पार्टी ने एक सामान्य कार्यकर्ता, एक पूर्व सैनिक के बेटे को राज्य की सेवा के लिए नियुक्त किया है, जो पिथौरागढ़ में पैदा हुआ था. हम लोगों के कल्याण के लिए मिलकर काम करेंगे. हम कम समय में दूसरों की मदद से लोगों की सेवा करने की चुनौती को स्वीकार करते हैं.’

छात्र राजनीति से जुड़े रहे पुष्कर सिंह धामी महाराष्ट्र के राज्यपाल और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबी हैं और माना जाता है कि कोश्यारी उन्हें उंगली पकड़कर राजनीति में लाए थे. वह पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र कनालीछीना में एक पूर्व सैनिक के घर में पैदा हुए, लेकिन खटीमा को अपनी कर्मभूमि मानते हैं.

इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते दो जुलाई को आधी रात के करीब राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया था. अपनी तीन दिन की दिल्ली यात्रा से देहरादून लौटने के कुछ घंटों बाद ही तीरथ सिंह रावत ने यह कदम उठाया था.

तीरथ सिंह रावत, जो अभी भी पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं, को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते नौ मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उनके पास 10 सितंबर तक विधायक चुने जाने का समय था.

दरअसल जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्‍यों के विधायी सदनों में खाली सीटों के रिक्त होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्‍य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.

यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई, क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाईं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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