पनामा पेपर्स: भारत में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित संपत्ति का पता लगा

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि पनामा पेपर्स खुलासे के बाद से 46 मामले दायर किए गए और आरोपियों से 142 करोड़ रुपये का कर वसूला जा चुका है. ‘पनामा पेपर्स’ नामक जांच के तहत भारत समेत दुनियाभर के धनकुबेरों एवं ताक़तवर लोगों की छिपाई गई संपत्ति का खुलासा किया गया था, जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए ग्लोबल टैक्स हैवेंस कहे जाने वाले देशों की ऑफशोर कंपनियों में अपने पैसों को लगा रखा था.

(फोटो साभार: इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स- आईसीआईजे)

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि पनामा पेपर्स खुलासे के बाद से 46 मामले दायर किए गए और आरोपियों से 142 करोड़ रुपये का कर वसूला जा चुका है. ‘पनामा पेपर्स’ नामक जांच के तहत भारत समेत दुनियाभर के धनकुबेरों एवं ताक़तवर लोगों की छिपाई गई संपत्ति का खुलासा किया गया था, जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए ग्लोबल टैक्स हैवेंस कहे जाने वाले देशों की ऑफशोर कंपनियों में अपने पैसों को लगा रखा था.

(फोटो साभार: इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स- आईसीआईजे)

नई दिल्ली: पनामा पेपर्स खुलासे के बाद से भारत में टैक्स विभाग ने 20,000 रुपये से अधिक की अघोषित या गुप्त संपत्ति का पता लगाया है.

पुलित्जर विजेता इन्वेस्टिगेशन ‘पनामा पेपर्स’ के तहत भारत समेत दुनियाभर के धनकुबेरों एवं ताक़तवर लोगों की छिपाई गई संपत्ति का खुलासा किया गया था, जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए ग्लोबल टैक्स हैवेंस कहे जाने वाले देशों की ऑफशोर कंपनियों में अपने पैसों को लगा रखा था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में बताया है कि उनके द्वारा जून 2021 तक पनामा पेपर्स से जुड़े 20,078 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार पनामा पेपर्स ग्लोबल इन्वेस्टिगेशन का हिस्सा था, जिसने भारत से संबंधित खुलासे किए थे. इस पूरे इन्वेस्टिगेशन की अगुवाई इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) नामक संस्था ने की थी.

साल 2016 में अमेरिका स्थित दुनिया के 100 मीडिया संस्थानों के संगठन आईसीआईजे ने पनामा की लॉ फर्म मोसैक फोन्सेका से प्राप्त लगभग 1.15 करोड़ गुप्त दस्तावेजों के जरिये छिपाई गई संपत्ति का खुलासा​ किया था, जिसने दुनियाभर की राजनीति में तूफान पैदा किया था.

इससे पहले अखबार ने आरटीआई के तहत ही जानकारी हासिल कर बताया था कि पनामा पेपर्स को लेकर जून 2019 तक 1,564 करोड़ रुपये और अप्रैल 2018 तक 1,088 करोड़ रुपये का पता लगाया गया था.

सीबीडीटी ने इन मामलों में कार्रवाई को लेकर भी नवीनतम डेटा भी प्रस्तुत किया है. पिछले महीने तक विभिन्न अदालतों में काला धन अधिनियम और आयकर अधिनियम के तहत 46 मामले दायर किए गए हैं. वहीं 83 मामलों में तलाशी इत्यादि की गई है.

सीबीडीटी ने यह भी बताया कि इन अघोषित संपत्तियों पर अब टैक्स लगना शुरू हो गया है. आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि सीबीडीटी ने उन लोगों से 142 करोड़ रुपये का कर वसूल किया है, जिनके खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है.

आईसीआईजे ने आकलन कर बताया है कि पनामा पेपर्स खुलासे के बाद से दुनिया भर में 1.36 बिलियन डॉलर से अधिक के टैक्स और जुर्माने की वसूली हुई है. इसमें से सबसे ज्यादा टैक्स ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस और ऑस्ट्रिया में वसूले गए हैं.

पनामा पेपर्स ऐसे दस्तावेज हैं, जो पनामा की कानूनी फर्म और कॉरपोरेट सेवा प्रदाता कंपनी मोसैक फोंसेका द्वारा बनाए गए थे. 2015 में एक अनाम स्रोत द्वारा लीक किए गए इन दस्तावेजों में विभिन्न ऑफशोर संस्थाओं की वित्तीय और वकील-ग्राहक जानकारी शामिल हैं. कथित तौर पर कई भारतीय के काले धन का विवरण भी इसमें शामिल है.

पनामा पेपर्स मामले में कई देशों के प्रमुखों, दुनियाभर की राजनीतिक-फिल्मी हस्तियों, खिलाड़ियों और अपराधियों के वित्तीय लेन-देन का खुलासा किया गया था.

इन दस्तावेजों में तकरीबन 500 भारतीयों के भी नाम हैं, जिनमें अभिनेता अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ के प्रमुख केपी सिंह, उद्योग समीर गहलोत आदि प्रमुख हैं.

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