हिंदी फिल्म जगत में ‘ट्रैजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार 98 वर्ष के थे. अपने पांच दशक लंबे करिअर में उन्होंने ‘मुग़ल-ए-आज़म’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’ तथा ‘राम और श्याम’ जैसी अनेक हिट फिल्में दीं. ‘गंगा जमुना’, ‘मधुमति’, ‘क्रांति’, ‘विधाता’, ‘शक्ति’ और ‘मशाल’ जैसी फिल्मों में बेजोड़ अभिनय के लिए उन्हें जाना जाता है.
मुंबई: अपनी लाजवाब अदाकारी से भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ने वाले जाने-माने अभिनेता दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह निधन हो गया. उनके परिवार के सदस्यों और उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों ने यह जानकारी दी.
दिलीप कुमार 98 वर्ष के थे.
हिंदी फिल्म जगत में ‘ट्रैजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार मंगलवार से हिंदुजा अस्पताल की गैर-कोविड गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती थे.
उनका इलाज कर रहे डॉ. जलील पारकर ने कहा, ‘लंबी बीमारी के कारण सुबह 7:30 बजे उनका निधन हो गया.’
कुमार के पारिवारिक मित्र फैजल फारूकी ने अभिनेता के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘भारी मन और बेहद दुख के साथ मैं यह घोषणा कर रहा हूं कि कुछ मिनट पहले हमारे प्यारे दिलीप साहब का निधन हो गया. हम अल्लाह के बंदे हैं और हमें उनके पास ही लौटकर जाना होता है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुजा अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि दिलीप कुमार का ब्लडप्रेशर और हीमोग्लोबिन लगातार गिर रहा था. अस्पताल में उन्हें खून दिया जा रहा था, लेकिन उनके खून प्राप्त करना काफी मुश्किल था, क्योंकि उनका ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था.
अभिनेता को पिछले एक महीने में कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
अदाकारा सायरा बानो के पति दिलीप कुमार को सांस लेने में तकलीफ के कारण पिछले महीने छह जून को भी इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस समय उनके फेफड़ों के बाहर तरल पदार्थ एकत्र हो गया, जिसे चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक निकाल दिया था और पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
कुमार के पार्थिव शरीर को सुबह करीब 9:30 बजे पाली हिल स्थित उनके आवास पर ले जाया गया जहां धर्मेंद्र, शबाना आजमी, शाहरुख खान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित उनके कई मित्रों, राजनेताओं सहकर्मियों और प्रशंसकों ने श्रद्धांजलि दी.
कुमार के घर के बाहर बेहद भावुक धर्मेंद्र ने पत्रकारों से कहा, ‘मैं आज बहुत दुखी हूं, मैं कुछ नहीं कह सकता. मैंने अपने भाई को खो दिया.’
दिलीप कुमार को उनके परिजनों की मौजूदगी में 4:45 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया. सांताक्रूज के जुहू कब्रिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दिए जाने के समय सम्मान में पुलिस बैंड बजाया गया.
कब्रिस्तान के अंदर 25-30 से अधिक लोगों को आने की अनुमति नहीं थी, लेकिन बाहर मीडियाकर्मियों और दिलीप कुमार के चाहने वालों का तांता लगा था. पुलिस को करीब 100 लोगों की भीड़ को संभालना पड़ा.
दिलीप कुमार के अंतिम संस्कार के बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन ने जुहू कब्रिस्तान जाकर कुमार को श्रद्धांजलि दी. राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के प्रोटोकॉल के अनुसार उनकी पार्थिव देह को उनके पाली हिल स्थित आवास पर तिरंगे में लपेटा गया और फिर उनका जनाजा कब्रिस्तान लाया गया.
उनके आवास पर 60 से अधिक पुलिस वाले थे. कुमार के घर जाने वाली सड़क पर लोगों को आने से रोकने के लिए पुलिस ने पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए थे.
अस्पताल से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अभिनेता कई साल से बीमार थे, उन्हें प्रोस्टेट कैंसर और फेफड़ों की बीमारी सहित कई बीमारियां थीं. एक छोटा आईसीयू उनके घर पर भी बनाया गया था.
हिंदी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में गिने जाने वाले दिलीप कुमार ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से अपने करिअर की शुरुआत की थी, लेकिन उस वक्त में इस फिल्म और उनके काम ने ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं किया.
1947 में आई फिल्म ‘जुगनू’, जिसमें नूरजहां ने भी अभिनय किया था, से उन्होंने सफलता का स्वाद चखा. यह उनकी पहली बॉक्स ऑफिस हिट फिल्म थी.
साल 1949 में वह राज कपूर और नरगिस के साथ फिल्म अंदाज में नजर आए, जिसने दिलीप कुमार को एक बड़े कलाकार के रूप में स्थापित कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1954 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने वाले वह पहले अभिनेता थे और उन्होंने इसे कुल 8 बार जीता. उन्होंने और शाहरुख खान ने संयुक्त रूप से सबसे अधिक फिल्मफेयर ट्रॉफी का रिकॉर्ड बनाया है.
अपने पांच दशक लंबे करिअर में उन्होंने ‘मुग़ल-ए-आज़म’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’ तथा ‘राम और श्याम’ जैसी अनेक हिट फिल्में दीं. ‘गंगा जमुना’, ‘मधुमति’, ‘क्रांति’, ‘विधाता’, ‘शक्ति’ और ‘मशाल’ जैसी फिल्मों में बेजोड़ अभिनय के लिए उन्हें जाना जाता है.
वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘क़िला’ में नज़र आए थे.
यूसुफ खान के रूप में जन्म लेने वाले दिलीप कुमार को यह नाम फिल्मों में आने के बाद मिला था. दिलीप कुमार का जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान) के किस्सा ख़्वानी बाजार इलाके में 11 दिसंबर 1922 को आयशा बेगम और लाला गुलाम सरवर खान के घर हुआ था.
अपनी अभिनय शैली के मामले में वह एक ट्रेंडसेटर थे और भारतीय सिनेमा की विभिन्न धाराओं में अभिनेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करते थे.
भारत के अब तक के सबसे महान अभिनेताओं में से एक के रूप में उन्हें माना जाता है. इतना ही भारत में सिनेमा के स्वर्ण युग की किंवदंतियों में से भी वह एक थे.
दिलीप कुमार को एक भारतीय अभिनेता द्वारा सबसे अधिक पुरस्कार जीतने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सूचीबद्ध किया गया है. उन्हें भारत में पहला मेथड एक्टर होने का भी श्रेय दिया जाता है. उन्हें 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
उनके निधन से भारतीय फिल्म उद्योग में एक बड़ा खालीपन आ गया है.
विभिन्न हस्तियों ने जताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित फिल्म जगत की कई हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है.
राष्ट्रपति ने कुमार के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘दिलीप कुमार उभरते भारत का इतिहास खुद में समेटे थे. अभिनेता के आकर्षण ने सभी सीमाओं को पार किया और पूरे उपमहाद्वीप में उन्हें प्यार मिला. उनके निधन से एक युग का अंत हो गया. दिलीप साहब भारत के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे। उनके परिवार और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘दिलीप कुमार जी को सिनेमा जगत के दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा. वह अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे और इस वजह से सभी पीढ़ियों के दर्शकों के चहेते थे. उनका निधन हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए नुकसान है. उनके परिवार, मित्रों और असंख्य चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदनाएं.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘दिलीप कुमार जी के परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. भारतीय सिनेमा में उनके अद्भुत योगदान को आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी.’
मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, ‘भारतीय सिनेमा का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, वह हमेशा ‘दिलीप कुमार से पहले और दिलीप कुमार के बाद’ होगा. उनकी आत्मा की शांति के लिए मेरी दुआ और परिवार को इस नुकसान को सहन करने की शक्ति के लिए प्रार्थना.’
अभिनेत्री शबाना आजमी ने लिखा, ‘अलविदा दिलीप साहब. आपको नहीं पता कि मैं आपकी एक्लव्य हूं. सभी फिल्मों के लिए शुक्रिया. भाषा, गरिमा और सामाजिक रूप से जिम्मेदार होने के लिए शुक्रिया.’
अभिनेता मनोज बाजपेयी ने भी लिखा, ‘आप जैसा कोई नहीं हो सकता. यहां से आगे का आपका सफर अच्छा हो. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)