प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर इसमें शामिल किया गया है. कैबिनेट मंत्री के रूप में नारायण राणे, सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि ने शपथ ली है. इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक, हर्षवर्द्धन, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष गंगवार सहित 12 मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल संभालने के बाद पहली बार बुधवार को अपने मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार किया है.
इसमें 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. आठ नए चेहरों को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए सभी 43 सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल विपिन रावत सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे.
कैबिनेट मंत्री के रूप में महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य नारायण राणे, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य राम चंद्र प्रसाद सिंह, ओडिशा से भाजपा के राज्यसभा सदस्य अश्विनी वैष्णव और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने शपथ ली.
इनके अलावा किरेन रिजीजू, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी और मनसुख भाई मांडविया ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इन चारों नेताओं को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है.
रिजीजू इससे पहले युवक कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और राजकुमार सिंह पहले विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, जबकि पुरी आवासन तथा शहरी विकास और नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे. मांडविया के पास बंदरगाह, पोत और जलमार्ग परिवहन मंत्रालय के राज्य मंत्री का (स्वतंत्र प्रभार) था.
भाजपा महासचिव व राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य भूपेंद्र यादव ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.
जिन राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया, उनमें पुरुषोत्तम रूपाला, जी. किशन रेड्डी और अनुराग सिंह ठाकुर शामिल हैं. रूपाला इससे पहले कृषि राज्यमंत्री थे, जबकि रेड्डी गृह राज्यमंत्री और ठाकुर वित्त राज्यमंत्री थे.
राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वालों में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से भाजपा के सांसद पंकज चौधरी, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल, कर्नाटक से भाजपा के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर, कर्नाटक के ही उडुपी चिकमंगलूर से सांसद शोभा करंदलाजे शामिल हैं.
राज्य मंत्री की सूची में उत्तर प्रदेश के जालौन से पांचवीं बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, गुजरात के सूरत की सांसद दर्शना जरदोश, नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी, झारखंड के कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी, कर्नाटक के चित्रदुर्ग के सांसद ए. नारायणस्वामी, उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद अजय भट्ट, उत्तर प्रदेश के ही खीरी से सांसद अजय मिश्रा, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य बीएल वर्मा भी शामिल हैं.
इनके अलावा गुजरात के खेड़ा से सांसद चौहान देबू सिंह, कर्नाटक के बीदर से सांसद भगवंत खूबा, महाराष्ट्र के भिवंडी से सांसद कपिल पाटिल, पश्चिम त्रिपुरा की सांसद प्रतिमा भौमिक, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से सांसद सुभाष सरकार, महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य भागवत कराड, मणिपुर के सांसद राजकुमार रंजन सिंह, महाराष्ट्र के ही डिंडोरी से सांसद भारती पवार को भी राज्य मंत्री बनाया गया है.
साथ ही ओडिशा के मयूरभंज से सांसद विश्वेश्वर टुडु, पश्चिम बंगाल के बनगांव के सांसद शांतनु ठाकुर, गुजरात के सुरेंद्रनगर से सांसद मुंजापरा महेंद्र भाई, पश्चिम बंगाल के अलीद्वारपुर से सांसद जॉन बरला, तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष एल. मुरुगन और पश्चिम बंगाल के कूचविहार से सांसद निषिथ प्रमाणिक भी राज्य मंत्रियों में शामिल हैं.
इनमें से मुरुगन और सोनोवाल ऐसे नेता है, जो संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.
इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक, डॉ. हर्षवर्द्धन, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष कुमार गंगवार सहित 12 मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था.
इनके अलावा थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया, प्रतापचंद सारंगी और देवश्री चौधरी ने भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन सभी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
डॉ. हर्षवर्धन स्वयं एक चिकित्सक हैं और उनके पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भी प्रभार था.
कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ टिप्पणियों को लेकर हर्षवर्धन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर सरकार का पुरजोर बचाव किया था.
वहीं, एक सूत्र ने बताया कि रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है. निशंक कुछ समय पहले कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. ठीक होने के बाद उन्हें दोबारा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मद्देनजर अस्तपाल में भर्ती होना पड़ा था.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने साल 2019 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था.
सुप्रियो ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए लिखा, ‘मुझे इस्तीफा देने को कहा गया और मैंने ऐसा किया.’ उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ‘मैं प्रधानमंत्री का आभारी हूं कि उन्होंने मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया.’
उन्होने बंगाल से मंत्री बनाये जाने वाले अपने सहयोगियों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि वह अपने लिए दुखी हैं लेकिन उनके (मंत्री बनाये जाने वालों) लिए खुश हैं.
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बता दें कि प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार की शाम को होने वाले फेरबदल व विस्तार से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री पद के संभावित चेहरों के साथ अपने आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थीं.
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी प्रधानमंत्री आवास पर मौजूद थे.
क्या हर्षवर्धन को ‘बलि का बकरा’ बनाकर अपना पल्ला झाड़ लेंगे प्रधानमंत्री: कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के इस्तीफा देने के बाद बुधवार को आरोप लगाया कि कोरोना महामारी से निपटने में ‘विफलता’ के लिए उन्हें ‘बलि का बकरा’ बनाया गया है.
विपक्षी पार्टी ने यह सवाल भी किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा लेकर अपना पल्ला झाड़ लेंगे?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और स्वास्थ्य राज्य मंत्री (अश्विनी चौबे) का इस्तीफा इस बात की ठोस स्वीकारोक्ति है कि मोदी सरकार कोरोना महामारी से निपटने में पूरी तरह विफल रही.’
उन्होंने दावा किया, ‘ये इस्तीफे मंत्रियों के लिए एक सबक हैं. अगर चीजें अच्छी होंगी तो श्रेय प्रधानमंत्री को जाएगा, लेकिन अगर चीजें खराब हो जाती हैं तो फिर मंत्री पर गाज गिरेगी. जी हुजूरी और चापलूसी की कीमत चुकानी पड़ती है.’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘जिस महामारी का प्रबंधन ‘नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी’ के माध्यम से किया जा रहा है, उसके प्रमुख प्रधानमंत्री स्वयं हैं. क्या वह भी अपने गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की जिम्मेदारी लेंगे? इस्तीफा देंगे? या अकेले स्वास्थ्य मंत्री को बलि का बकरा बना अपना पल्ला झाड़ लेंगे?’
उन्होंने कहा, ‘खराबी इंजन में है और बदले डिब्बे जा रहे है! यही तो है ‘दुर्दशाजीवी मोदी मंत्रिमंडल’ के विस्तार की सच्चाई!’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि अगर कामकाज और शासन को आधार बनाया जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कई मंत्रियों को पद से हटा दिया जाना चाहिए.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह मंत्रिपरिषद का विस्तार नहीं, सत्ता की भूख का विस्तार है. अगर मंत्रिपरिषद का विस्तार हो तो वह कामकाज और शासन के आधार पर हो.’
सुरजेवाला ने दावा किया, ‘अगर कामकाज के आधार पर फेरबदल हो तो सबसे पहले तो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन को हटा दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को हटाना चाहिए जिन्होंने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क की लूट के बोझ तले देश की जनता को दबा दिया.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘खाद्य मंत्री को हटाया जाना चाहिए जिन्होंने देश को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया कि गरीब के लिए तो खाद्यान्न नहीं हैं, जबकि शराब बनाने वाली इकाइयों को एक लाख टन चावल दिया जा रहा है. इनसे पहले वित्त मंत्री को हटाया जाना चाहिए जिन्होंने जीडीपी को नकारात्मक स्थिति में पहुंचा दिया.’
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को हटाया जाना चाहिए जिनके कार्यकाल में चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है और सरकार की ओर से कुछ नहीं हो रहा. अगर कामकाज और शासन आधार है तो फिर गृह मंत्री अमित शाह को हटाया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी नाक के नीचे नक्सलवाद और आतंकवाद फैला हुआ है, पाकिस्तान की तरफ घुसपैठ हो रही है और आए दिन कहीं न कहीं पीट-पीट कर जान लेने की घटनाएं हो रही हैं.’
उन्होंने यह दावा भी किया, ‘अगर कामकाज और शासन आधार है तो प्रधानमंत्री को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि आवाज दबाने वाली सरकारों में मोदी सरकार का ही नाम आता है.’
‘ओपरेशन’ से चलने वाली सरकार को ‘को-ओपरेशन’ की ज़रूरत पड़ रही: सिसोदिया
नरेंद्र मोदी कैबिनेट में फेरदबदल पर तीखा व्यंग कसते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा है कि ‘ओपरेशन’ से चलने वाली सरकार को ‘को-ओपरेशन’ की ज़रूरत पड़ रही है.
गलियों और शहरों के नाम बदलने से शुरू हुई राजनीति अब बार बार मुख्यमंत्री बदलने और अब मंत्रिमंडल का पूरा दरबार ही बदल डालने पर आ गई है….
'ओपरेशन' से चलने वाली सरकार को 'को-ओपरेशन' की ज़रूरत पड़ रही है.
लगता है साहब का आत्मविश्वास अंदर तक हिला हुआ है … अबकी बार….
— Manish Sisodia (@msisodia) July 7, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘गलियों और शहरों के नाम बदलने से शुरू हुई राजनीति अब बार-बार मुख्यमंत्री बदलने और अब मंत्रिमंडल का पूरा दरबार ही बदल डालने पर आ गई है. ‘ओपरेशन’ से चलने वाली सरकार को ‘को-ऑपरेशन’ की जरूरत पड़ रही है. लगता है साहब का आत्मविश्वास अंदर तक हिला हुआ है. अबकी बार…’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)