डिजिटल मीडिया कंटेंट रेगुलेटरी काउंसिल (डीएमसीआरसी) ने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म डिज़्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज़ ‘ग्रहण’ के ट्रेलर के ख़िलाफ़ दायर अपील को ख़ारिज कर दिया है. शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इस सीरीज़ का उद्देश्य 1984 के सिख विरोधी दंगों के बारे में एक झूठी कहानी गढ़ना है.
नई दिल्ली: नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत गठन के बाद अपनी पहली सुनवाई करते हुए डिजिटल मीडिया कंटेंट रेगुलेटरी काउंसिल (डीएमसीआरसी) ने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज ‘ग्रहण’ के ट्रेलर के खिलाफ दायर अपील बीते बुधवार को खारिज कर दी.
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि यह सीरीज ‘एक कुत्सित मानसिकता’ की देन है और इसका उद्देश्य 1984 के सिख विरोधी दंगों के बारे में एक झूठी कहानी गढ़ना है.
डीएमसीआरसी ने ट्रेलर देखने के बाद सर्वसम्मति से दिए अपने आदेश में कहा कि कुल आठ कड़ियों की कुछ घंटों वाली सीरीज के बारे में दो मिनट 24 सेकंड के ट्रेलर के आधार पर फैसला करना अनुचित है. उसने कहा कि यह अपील सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाता है.
काउंसिल ने कहा कि एक ट्रेलर का मकसद विशेष रूप से जिज्ञासा पैदा करना होता है.
लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक आदेश में कहा गया, ‘परिषद ने सर्वसम्मति से पाया कि ट्रेलर में किसी भी समुदाय को अपमानजनक तरीके से या खराब तरीके से चित्रित नहीं किया गया है.’
डीएमसीआरसी ने अपने आदेश में कहा, ‘परिषद की सर्वसम्मति से राय है कि ट्रेलर कानून के दायरे में है और इसलिए अपील विचार किए जाने योग्य नहीं है.’
अपील पर सुनवाई से पहले नवगठित डीएमसीआरसी ने अपनी पहली बैठक की, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस विक्रमजीत सेन (सेवानिवृत्त) ने की. इसके छह अन्य सदस्य फिल्म निर्माता निखिल आडवाणी, लेखक और निर्देशक तिग्मांशु धूलिया, फिल्म निर्माता और लेखक अश्विनी अय्यर तिवारी, निर्माता और वितरक दीपक धर, सोनी पिक्चर्स के जनरल काउंसेल अशोक नांबिसन और स्टार एंड डिज्नी इंडिया के मुख्य क्षेत्रीय वकील मिहिर राले हैं.
परिषद के अनुसार, जस्टिस विक्रमजीत सेन ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि यह निकाय ‘कंटेंट स्व-नियमन की दिशा में एक अनूठी यात्रा शुरू करने वाला है’ और रचनात्मकता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के बीच ठीक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है.
नए आईटी नियम के तीन स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली को बनाना अनिवार्य है. पहले स्तर पर शिकायत संगठन के पास ही दर्ज की जाती है, जबकि दूसरे स्तर पर डीएमसीआरसी जैसी स्व-नियामक निकाय शिकायतों को देखते हैं. इसके बाद शिकायतकर्ता एक और अपील करने का विकल्प चुन सकते हैं, इस बार वे केंद्र सरकार के पास जा सकते हैं, जिसके पास सामग्री को हटाने का आदेश देने की शक्ति है.
ये नियम डिजिटल समाचार प्रकाशकों, ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म्स पर नियम लागू होते हैं. नए नियमों के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें द वायर भी शामिल है. इसमें कहा गया है कि ये नियम सरकार को व्यापक सेंसरशिप अधिकार देते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)