लोकपाल के पास प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होता है. एक भ्रष्टाचार-रोधी कार्यकर्ता ने कहा कि दो साल से अधिक समय से लोकपाल कार्य कर रहा है. लोकपाल को उसके द्वारा प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों से संबंधित अभियोजन का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए.
नई दिल्ली: लोकपाल के पास इस वर्ष अप्रैल-जून के बीच भ्रष्टाचार की 12 शिकायतें आईं, जिनमें से आठ शिकायतें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ रहीं. हालिया आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020-21 के दौरान लोकपाल को कम से कम 110 शिकायतें मिलीं, जिनमें से चार सांसदों के खिलाफ थीं. हालांकि, यह संख्या 2019-20 में प्राप्त 1,427 शिकायतों के मुकाबले करीब 92 फीसदी कम रही.
लोकपाल के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में प्राप्त 12 शिकायतों में से आठ समूह ‘ए’ अथवा ‘बी’ स्तर के अधिकारियों के खिलाफ थीं.
इसके मुताबिक, दो शिकायतों को शुरुआती जांच के बाद बंद कर दिया गया, जबकि तीन शिकायतें अभी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास जांच लंबित हैं. वहीं, एक शिकायत में सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मिलने का इंतजार है.
भ्रष्टाचार-रोधी कार्यकर्ता अजय दूबे ने कहा कि अगर लोकपाल द्वारा भ्रष्टाचार के पिछले मामलों में कार्रवाई की गई है, तो उसे अभियोजन का विवरण साझा करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘दो साल से अधिक समय से लोकपाल कार्य कर रहा है. लोकपाल को उसके द्वारा प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों से संबंधित अभियोजन का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए.’
दूबे ने लोकपाल में रिक्त दो सदस्यों के पदों को जल्द से जल्द भरे जाने की भी केंद्र सरकार से अपील की है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च, 2019 को जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में शपथ दिलाई थी. लोकपाल प्रधानमंत्री सहित सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए शीर्ष निकाय है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, लोकपाल के आठ सदस्यों को इस साल 27 मार्च को जस्टिस घोष ने पद के लिए शपथ दिलाई थी, जिसमें चार न्यायिक और अन्य गैर-न्यायिक थे. फिलहाल लोकपाल में दो न्यायिक सदस्यों के पद खाली हैं.
पिछले वित्त वर्ष में लोकपाल को प्राप्त 110 शिकायतों में से चार सांसदों के खिलाफ, 57 केंद्र सरकार के समूह ‘ए’ या समूह ‘बी’ अधिकारियों के खिलाफ, 44 पूर्ण या आंशिक रूप से केंद्र द्वारा वित्तपोषित विभिन्न बोर्डों/निगमों/स्वायत्त निकायों के अध्यक्षों, सदस्यों और कर्मचारियों के खिलाफ थीं जबकि पांच अन्य श्रेणी में थे.
आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल को प्राप्त 1,427 शिकायतों में से 613 राज्य सरकार के अधिकारियों से संबंधित थीं और चार केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ थीं.
इसमें कहा गया है कि 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ थीं, 200 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, वैधानिक निकायों, न्यायिक संस्थानों और केंद्रीय स्तर पर स्वायत्त निकायों के खिलाफ और 135 निजी व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ थीं.
आंकड़ों में कहा गया है कि राज्य के मंत्रियों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ छह और केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ चार शिकायतें हैं.
2019-20 में प्राप्त 613 शिकायतें राज्य स्तर पर राज्य सरकार के अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, वैधानिक निकायों, न्यायिक संस्थानों और स्वायत्त निकायों से संबंधित थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)