मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मानव जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कांवड़ यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया गया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को मंज़ूरी देने के उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के फ़ैसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशासन को नोटिस जारी किया है.
देहरादूनः कोविड19 महामारी की संभावित तीसरी लहर के भय के बीच उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ शर्तों के साथ यात्रा को मंजूरी दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता में पीठ का कहना है कि इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.
जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल को बताया, ‘हमें पता चला कि यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा को जारी रखने का फैसला किया है जबकि उत्तराखंड सरकार का कहना है कि कोई यात्रा नहीं होगी.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन और पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर की आशंकाओं, राज्य में डेल्टा प्लस वेरिएंट का पता चलने और अन्य देशों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के अनुभवों पर चर्चा की.
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने कांवड़ यात्रा रद्द करने के फैसले पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञों से राय भी ली थी.
धामी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हमने मानव जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला लिया है. बीते कुछ दिनों में इस मामले पर बहुत चर्चा हुई. हमारे अधिकारियों ने पड़ोसी राज्यों के साथ चर्चा की. इसी का नतीजा है कि इस महामारी को ध्यान में रखते हुए और राज्य में कोरोना के नए वेरिएंट का पता लगने पर हम हरिद्वार को महामारी का केंद्र नहीं बनाना चाहते. हमारे लिए लोगों का जीवन प्राथमिकता है. हम उनके साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते. हम कोई जोखिम नहीं उठाएंगे.’
उत्तराखंड सरकार का कांवड़ यात्रा रद्द करने का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब यूपी सरकार ने कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है.
यूपी के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि इस साल कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से 6 अगस्त तक होगी.
अधिकारियों का कहना है कि 2019 में आखिरी बार यात्रा का आयोजन किया गया था. इस दौरान 3.5 करोड़ भक्त (कांवड़ियों) हरिद्वार पहुंचे थे जबकि दो से तीन करोड़ लोगों ने पश्चिमी यूपी में तीर्थस्थानों का रुख किया था.
कोरोना की दूसरी लहर से ठीक पहले कुंभ मेले के आयोजन को लेकर उत्तराखंड की आलोचना के बाद राज्य ने कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया है.
कोरोना की तीसरी लहर की चिंताओं के बीच यूपी के कांवड़ यात्रा का आयोजन करने के फैसले पर करीबी नजर रखी जाएगी.
कांवड़ यात्रा के तहत कांवड़िए गंगा के घाट पर पहुंचते हैं और गंगा नदी से पानी भरते हैं. आमतौर पर सबसे अधिक भक्त हरिद्वार का रुख करते हैं, लेकिन तीर्थयात्री यूपी के जिलों मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, शामली, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, बरेली, खेरी, बाराबंकी, अयोध्या, वाराणसी, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर, झांसी, भदोही, मऊ, सीतापुर, मिर्जापुर और लखनऊ का भी रुख करते हैं.
इस साल यात्रा के प्रबंधों पर बातचीत करते हुए यूपी के एडीजी कुमार ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. प्रशासन ने यात्रा के मार्गों पर कोविड केयर बूथ बनाए हैं, जिनमें मास्क, सैनिटाइजर, टेस्टिंग किट, पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर उपलब्ध हैं.
राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कांवड़ यात्रा के लिए जरूरत पड़ने पर आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आवश्यक होगी. कुमार ने कहा, ‘ऐसी संभावना है इस साल कम भीड़ होगी.’
यूपी सरकार के कांवड़ यात्रा को जारी रखने के फैसले के बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड सरकार के यात्रा की मंजूरी नहीं देने के फैसले को दोहराया. यह यात्रा पिछले साल भी रद्द कर दी गई थी.
धामी ने अपने हाल के दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ मामले पर चर्चा करने के बाद कहा था, ‘कांवड़ यात्रा श्रद्धा और आस्था का मामला है और भगवान को भी अच्छा नहीं लगेगा कि किसी की जान चली जाए.’
तीरथ सिंह रावत की अगुवाई में उत्तराखंड की पूर्ववर्ती सरकार ने इस साल कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया था. हालांकि, धामी के पदभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कांवड़ यात्रा के आयोजन को लेकर आखिरी फैसला लेगी.
बता दें कि इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्तराखंड इकाई ने भी धामी को पत्र लिखकर कांवड़ यात्रा रद्द करने की मांग की थी.