शिवसेना नेता संतोष दुबे और वाराणसी के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस सिलसिले में फ़ैज़ाबाद ज़िला अदालत में याचिका दायर कर राम जन्मभूमि स्थल से लगे एक मंदिर की भूमि की बिक्री को चुनौती दी है. इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगे थे कि उन्होंने ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र की मदद से मार्च में दो करोड़ रुपये क़ीमत की ज़मीन 18 करोड़ रुपये में ख़रीदी थी.
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए एक भूमि सौदे के सिलसिले में यहां की एक अदालत ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय और तीन अन्य को नोटिस जारी कर तलब किया है.
शिवसेना नेता संतोष दुबे और वाराणसी के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस सिलसिले में फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर राम जन्मभूमि स्थल से लगे एक मंदिर की भूमि की बिक्री को चुनौती दी है.
याचिकाकर्ता के वकील तरुणजीत वर्मा ने कहा कि करीब 300 साल पुराने फकीरे राम मंदिर की 30,830 वर्ग फुट भूमि महंत रघुवर सरन ने पुजारी कृपा शंकर दास और संरक्षक राम किशोर सिंह की सहमति से इस साल मार्च में 3.71 करोड़ रुपये में राम जन्मभूमि न्यास को बेच दी थी.
वर्मा ने कहा, ‘हमने अदालत में यह ऐतराज जताया कि किसी को भी मंदिर बेचने की अनुमति नहीं है, क्योंकि इसका मालिकाना हक देवता के पास है और कोई भी इस संपत्ति को न तो बेच सकता है और न ही उसे दान कर सकता है. ’’
वर्मा ने कहा, ‘हमने यह भी मांग की है कि 27 मार्च को महंत रघुवर सरन के पक्ष में बनाया गया बैनामा और दाखिल खारिज के आदेश को रद्द किया जाए.’
मंदिर को ध्वस्त नहीं करने का भी अनुरोध किया गया है. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख छह अगस्त निर्धारित की है.
बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और सपा सरकार में मंत्री रहे और अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण ‘पवन’ पांडेय ने राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र की मदद से बीते 18 मार्च को दो करोड़ रुपये कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपये में ख़रीदी.
इसे धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला बताते हुए समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय और आप सांसद संजय सिंह ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (एसबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मामले की जांच कराने की मांग की थी.
हालांकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने जमीन खरीद में कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी मामले में बाद में खुद को ही क्लीन चिट दे दी थी.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भारत सरकार द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद स्थल पर इसके निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद स्थापित 15 सदस्यीय ट्रस्ट है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच फरवरी 2020 को लोकसभा में इस ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी. ट्रस्ट के 15 सदस्यों में से 12 सरकार द्वारा नामित किए गए थे, जबकि पहली बैठक के दौरान तीन अन्य सदस्यों को चुना गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)