मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी. देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान.
देश की शीर्ष अदालत ने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. गौरतलब है कि ये मामला पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले की सुनवाई अब 11 सितंबर को होगी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 14 हजार रजिस्टर्ड रोहिंग्या मुस्लिम हैं. वहीं अवैध तौर पर करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थियों की ओर से पेश हुए ऐडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान दुनिया में सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करने वालों में शामिल हैं. जम्मू और कश्मीर में बसे करीब 6,000 रोहिंग्या मुसलमानों की ओर से सीनियर ऐडवोकेट कॉलिन गोंजाल्वेज ने एक अन्य याचिका दायर की है.
इस मुद्दे पर सरकार की ओर से जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट इन दोनों याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा. भूषण से कोर्ट से निवेदन किया कि सरकार यह आश्वासन दे कि इस बीच रोहिंग्या मुसलमानों को देश से नहीं निकाला जाएगा.
इस पर कोर्ट की सहायता कर रहे एडिशनल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस तरह का कोई आश्वासन नहीं दे सकते.
हालांकि कोर्ट ने इस मुद्दे पर अंतरिम रोक लगाने के की मांग ठुकरा दी. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है.
रोहिंग्या मुसलमानों ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत से निकालने पर उनकी मृत्यु लगभग निश्चित है और सरकार का यह कदम भारतीय संविधान के तहत सभी को मिले जीवन के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है. इससे सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों का भी उल्लंघन होगा. उनकी दलील है कि संविधान नागरिकों के साथ ही सभी व्यक्तियों को जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू का कहना है कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजेगी. यह कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत होगी. इससे पहले सरकार इस मुद्दे पर संसद में भी जवाब दे चुकी है.