पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीज़ल पर उत्पाद शुल्क के ज़रिये सरकार ने 3.35 लाख करोड़ रुपये वसूले

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपये, जबकि डीज़ल पर इसे 15.83 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 31.8 रुपये कर दिया गया था, जिससे उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था.

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(फोटो: रॉयटर्स)

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपये, जबकि डीज़ल पर इसे 15.83 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 31.8 रुपये कर दिया गया था, जिससे उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था.

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नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिये राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया.

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था.

उन्होंने कहा कि यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आई. हालांकि अप्रैल से चालू वित्त वर्ष में, जहां ईंधन की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में अधिक थी, संग्रह बढ़ गया है.

रामेश्वर तेली के मुताबिक, 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिये 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था.

सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए राजस्व का संग्रह 88 फीसदी बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, महामारी के चलते मांग में कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कई साल के निचले स्तर पर गिरावट से पार पाने के लिए पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपये कर दिया गया था.

रामेश्वर तेली द्वारा लोकसभा में एक लिखित उत्तर के अनुसार, इसी तरह डीजल पर इसे 15.83 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 31.8 रुपये कर दिया गया है.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक अलग सवाल के जवाब में कहा, इस साल अप्रैल से जून के दौरान उत्पाद शुल्क का संग्रह 1.01 लाख करोड़ रुपये रहा. इसमें पेट्रोल-डीजल के अलावा एटीएफ और प्राकृतिक गैस जैसे अन्य पेट्रो उत्पादों पर लगने वाला उत्पाद शुल्क भी शामिल है.

वित्त वर्ष 2021 में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये था.

चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए सकल राजस्व में पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क का औसत हिस्सा 12 फीसदी है.

तेली ने कहा, पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमशः 26 जून, 2010 और 19 अक्टूबर, 2014 से बाजार-निर्धारित हैं.

तब से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अंतरराष्ट्रीय उत्पाद कीमतों और अन्य बाजार स्थितियों के आधार पर पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण पर उचित निर्णय ले रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कीमतों और रुपया-डॉलर विनिमय दर में बदलाव के अनुसार तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि और कमी की है. 16 जून 2017 से पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के दैनिक मूल्य निर्धारण को लागू कर दिया गया है.’

पिछले साल करों में वृद्धि के परिणामस्वरूप खुदरा कीमतों में कोई संशोधन नहीं हुआ, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट के कारण बराबर हो गए थे, लेकिन मांग में वापसी के साथ अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें बढ़ गई हैं, जिसने देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया.

डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है और राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा में डीजल उस स्तर से भी ऊपर है.

तेली ने कहा कि भाड़ा दरों और वैट/स्थानीय करों के कारण कीमतें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं.

उन्होंने कहा, ‘पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति पर उनके प्रभाव में देखा जा सकता है. डब्ल्यूपीआई सूचकांक में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का वेटेज क्रमश: 1.60 फीसदी, 3.10 फीसदी और 0.64 फीसदी है.’

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोल की कीमत में 39 बार और डीजल में 36 बार वृद्धि की गई है. इस दौरान एक बार पेट्रोल की कीमत में और दो बार डीजल की कीमत में कटौती की गई है. हालांकि, बाकी दिनों में कोई बदलाव नहीं हुआ.

उनके जवाब से पता चला कि पिछले साल 2020-21 में पेट्रोल की कीमत में 76 बार बढ़ोतरी की गई और 10 बार कटौती की गई, जबकि डीजल की दरें 73 गुना बढ़ीं और 24 मौकों पर कम की गईं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)