पेगासस जासूसी: तीन हफ़्ते पहले एनएसओ ने स्पायवेयर के दुरुपयोग को किया था स्वीकार

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस स्पायवेयर विकसित करने वाले इज़रायल के एनएसओ ग्रुप ने अपने एक दस्तावेज़ में स्वीकार किया था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इसके ज़रिये ऐसी जानकारी भी निकाली जा सकती है जो किसी व्यक्ति को ठेस पहुंचाती हो और राष्ट्रीय सुरक्षा या क़ानून के पालन से न जुड़ी हो.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस स्पायवेयर विकसित करने वाले इज़रायल के एनएसओ ग्रुप ने अपने एक दस्तावेज़ में स्वीकार किया था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इसके ज़रिये ऐसी जानकारी भी निकाली जा सकती है जो किसी व्यक्ति को ठेस पहुंचाती हो और राष्ट्रीय सुरक्षा या क़ानून के पालन से न जुड़ी हो.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी करने को लेकर हुए वैश्विक खुलासे के करीब तीन हफ्ते पहले पेगासस को बनाने वाले इजरायल के एनएसओ ग्रुप ने अपने एक नीति दस्तावेज में स्वीकार किया था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 30 जून को तैयार किए गए इस दस्तावेज में कहा गया है कि एनएसओ ग्रुप के 40 देशों में 60 ग्राहक (सरकार एवं सरकारी एजेंसियां) हैं. इनमें से 51 फीसदी खुफिया एजेंसियां, 38 फीसदी कानूनी प्रवर्तन संस्थाएं और 11 फीसदी सैन्य संगठन हैं.

इसमें नेताओं, एनजीओ, पत्रकारों, वकीलों इत्यादि के खिलाफ एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के संभावित दुरुपयोग का वर्णन किया गया है.

उन्होंने कहा कि इसके जरिये ऐसी जानकारी भी निकाली जा सकती है जो किसी व्यक्ति को ठेस पहुंचाती हो और राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून के पालन से न जुड़ी हो.

समूह ने ये स्वीकार किया कि उनकी तकनीक इस्तेमाल करने के कई सारे खतरे हैं, जिसमें कानूनी और न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े अधिकार में दखल, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विचार रखने की आजादी का दमन, आंदोलन की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध इत्यादि शामिल हैं.

खास बात ये है कि एनएसओ ग्रुप ने अपने उस दस्तावेज में यह भी कहा है कि घोर गोपनीयता के चलते वे ‘ज्यादा कुछ कर नहीं पाएंगे.’

इजराइली फर्म ने कहा कि उन्होंने साल 2020 में 12 रिपोर्ट की जांच की थी और मई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच ‘करीब 15 फीसदी नए ग्राहकों को उन्होंने मानवाधिकार चिंताओं को ध्यान में रखते हुए खारिज कर दिया था.’ एनएसओ ग्रुप ने यह भी कहा कि उन्होंने साल 2016 से 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर की डील को ठुकराया है.

समूह ने कहा कि किसी भी दुरुपयोग से बचाने के लिए वे अपनी खरीद शर्तों में ‘मानवाधिकार मानकों के पालन और इस स्पायवेयर का इस्तेमाल सिर्फ गंभीर अपराध एवं आतंकवाद के केस में ही करने का प्रावधान करते हैं.’

एनएसओ समूह की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस के लाइसेंस के लिए इजरायली रक्षा मंत्रालय के तहत रक्षा निर्यात नियंत्रण एजेंसी द्वारा फर्म की कड़ाई से निगरानी की जाती है. कंपनी अपने उत्पादों का निर्यात बुल्गारिया और साइप्रस से भी करती है.

समूह ने 2020 में प्राप्त दुरुपयोग की 12 में से 10 रिपोर्ट की समीक्षा पूरी करने का दावा किया है. इनमें से तीन को कार्रवाई योग्य पाया गया है.

मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर समेत दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक के बाद एक कई रिपोर्ट प्रकाशित की हैं, जिसमें पेगासस इस्पायवेयर के जरिये संभावित जासूसी का खुलासा किया गया है.

फ्रांस की गैर-लाभकारी फॉरबिडेन स्टोरीज ने सबसे पहले लीक हुई उस सूची को प्राप्त किया था, जिसमें ऐसे 50,000 से अधिक नंबर दर्ज हैं, जिनकी निगरानी किए जाने की संभावना है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने फॉरेंसिक जांच के जरिये इसमें से कुछ के फोन की हैकिंग किए जाने की पुष्टि की है. इसे लेकर एनएसओ ग्रुप ने दावा किया है कि पेगासस के जरिये इन नंबरों को निशाना नहीं बनाया गया था.