वित्त वर्ष 2015-16 में भाजपा की 81 प्रतिशत और कांग्रेस की 71 प्रतिशत आय का स्रोत ज्ञात नहीं है: एडीआर
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार के उस रुख के प्रति नाराजगी जाहिर की है जिसके तहत सरकार अकूल संपत्ति वाले नेताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा अदालत को मुहैया नहीं करा रही है. कोर्ट की नाराजगी खासकर उन नेताओं को लेकर है जिनकी संपत्ति दो चुनावों के बीच 500 फीसदी तक बढ़ गई.
दूसरी तरफ, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016 में भाजपा की 81 प्रतिशत और कांग्रेस की 71 प्रतिशत आय का स्रोत ज्ञात नहीं है. भाजपा को 461 करोड़ रुपये का चंदा 2015-16 में अज्ञात स्रोतों से मिला जो कि उसकी कुल आय का तकरीबन 81 प्रतिशत है. वहीं, कांग्रेस को कुल आय का 71 प्रतिशत या 186 करोड़ रुपये गुमनाम स्रोतों से मिला.
कोर्ट ने जरूरी सूचना तलब की
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह अदालत के समक्ष इस संबंध में जरूरी सूचना रखे. शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि सरकार यह कह रही है कि वह चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने जरूरी विवरण पेश नहीं किए हैं. यहां तक कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा उसके समक्ष सौंपे गए हलफनामे में दी गई सूचना अधूरी थी.
न्यायमूर्ति जे चेलमेर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा, सीबीडीटी हलफनामे में सूचना अधूरी है. क्या यह भारत सरकार का रुख है? आपने अब तक क्या किया है?
पीठ ने कहा, सरकार कह रही है कि वह कुछ सुधार के खिलाफ नहीं है. जरूरी सूचना अदालत के रिकॉर्ड में होनी चाहिए.
12 सितंबर तक देगा होगा हलफनामा
अदालत ने सरकार से 12 सितंबर तक इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा. शीर्ष अदालत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान उम्मीदवारों द्वारा आय के स्रोत का खुलासा करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इस संबंध में दलीलें अधूरी रहीं और गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से उपस्थित वकील ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव देश के लोकतांत्रिक ढांचे का अभिन्न हिस्सा है और वे इस संबंध में शीर्ष अदालत के किसी भी निर्देश का स्वागत करेंगे.
उन्होंने कहा, भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान चला रही है जिसके दायरे में यह क्षेत्र भी आएगा. यह सिर्फ कचरे की सफाई करने तक सीमित नहीं है. भारत सरकार की मंशा सही दिशा में है.
500 से लेकर 2100 फीसदी तक बढ़ोत्तरी
सुप्रीम कोर्ट में एडीआर ने चार उदाहरण ऐसे पेश किए हैं जिनकी संपत्ति में 1200 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. 22 ऐसे हैं जिनकी संपत्ति में 500 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. केरल के एक नेता की संपत्ति में 1700 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई तो एक सांसद की संपत्ति में 2100 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है.
सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी नाम की एक निजी संस्था की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि चुनाव के लिए नामांकर भरते समय उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होता है जिसमें पत्नी और बच्चों की आमदनी भी शामिल की जाती है. लेकिन इन नेताओं के नामांकन में आय का श्रोत नहीं बताया गया है. संस्था ने अदालत से मांग की है कि नामांकन पत्र में आय के स्रोत का भी कॉलम जोड़ा जाए.
भाजपा कांग्रेस को अज्ञात स्रोत से मिले 646.82 करोड़ रुपये
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में भाजपा को 461 करोड़ रुपये का चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला जो कि उसकी कुल आय का तकरीबन 81 प्रतिशत है.
कांग्रेस को उसकी कुल आय का 71 प्रतिशत या 186 करोड़ रुपये गुमनाम स्रोतों से मिला. इन पार्टियों के आयकर रिटर्न का हवाला देते हुए एडीआर ने कहा है कि उस वर्ष दोनों दलों को होने वाली कुल आय में अज्ञात स्रोतों से कुल मिलाकर 646.82 करोड़ रुपये या 77 प्रतिशत से अधिक धन आया.
रिपोर्ट के मुताबिक सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए आय के प्रमुख स्रोतों में स्वैच्छिक योगदान और कूपन बिक्री आय का प्रमुख स्रोत है जबकि दोनों दलों की कुल आमदनी वित्त वर्ष 2016 में 832.42 करोड़ रुपये रही.
चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एडीआर ने कहा है कि 2015-16 में भाजपा और कांग्रेस की कुल घोषित आय क्रमश: 570.86 करोड़ रुपये और 261.56 करोड़ रुपये थी.
चुनाव आयोग को सौंपे गए दोनों दलों के आय और व्यय आंकड़ा विवरण के विश्लेषण के आधार पर ये तथ्य समाने आए हैं. वर्ष 2015-16 में गुमनाम स्रोत से भाजपा को 460.78 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस को 186.04 करोड़ रुपये की आय हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अज्ञात स्रोत से आय का संदर्भ उन चंदों के लिए दिया जाता है जहां 20,000 रुपये से कम चंदे पर स्रोत की घोषणा नहीं की जाती है. इस तरह की आय में कूपनों की बिक्री, राहत कोष, विविध आय, सम्मेलन या मोर्चा से स्वैच्छिक योगदान और चंदे आदि से हुई आय शामिल होती है.
एडीआर ने कहा है कि 20,000 रुपये से अधिक योगदान ही राजनीतिक दलों की ज्ञात आय का स्रोत होता है जिसमें कि चंदा देने वालों का नाम और अन्य विवरण होता है. कोषों के अज्ञात स्रोतों में सबसे अधिक आय भाजपा को स्वैच्छिक योगदान के जरिए हुई जिसमें वित्त वर्ष 2016 में 459.56 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस को इसी अवधि में कूपनों की बिक्री से 167.96 करोड़ रुपये की आय हुई. रिपोर्ट में कहा गया है, 2015-16 में कुल सात राष्ट्रीय दलों की आय 1033.18 करोड़ रुपये थी, जिसमें दलों ने 754.45 करोड़ रुपये खर्च किए और 278.73 करोड़ रुपये कुल आमदनी का 26.98 प्रतिशत खर्च नहीं हुआ बिना इस्तेमाल वाली रकम घोषित की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर के सात दलों में 2015-16 में भाजपा को सबसे ज्यादा आय 570.86 करोड़ रुपये की हुई. इसके बाद 261.56 करोड़ रुपये कांग्रेस को, माकपा को 107.48 करोड़, बसपा को 47.39 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को 34.58 करोड़, एनसीपी को 9.14 करोड़ और भाकपा को 2.18 करोड़ रुपये की आय हुई.
वर्ष 2015-16 के विश्लेषण के मुताबिक भाजपा की कुल आय का 23 प्रतिशत इस्तेमाल नहीं हुआ जबकि कांग्रेस की कुल आमदनी के 26 प्रतिशत हिस्से का उपयोग नहीं हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)