रिपब्लिकन सांसद डेविड नुनेस ने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह भारत की सीमा के पास तिब्बत का दौरा किया है. भारत के लिए यह ख़तरे की बात है कि वह एक बड़ी जल परियोजना विकसित करने वाले हैं, जिससे भारत की जलापूर्ति बाधित हो सकती है.
वॉशिंगटन: अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पिछले सप्ताह तिब्बत के दौरे पर जाना भारत के लिए एक खतरा है.
शी ने अरुणाचल प्रदेश के निकट स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तिब्बती सीमावर्ती शहर न्यिंगची का बीते 21 जुलाई को दौरा किया था. शी ने वहां शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी और तिब्बत में विकास परियोजनाओं की समीक्षा की थी.
रिपब्लिकन सांसद डेविड नुनेस ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘चीनी तानाशाह शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह भारत की सीमा के पास तिब्बत का दौरा करके अपनी जीत का दावा किया. मुझे लगता है कि पिछले 30 साल में यह पहली बार है, जब चीनी तानाशाह तिब्बत गए हों. यह एक अरब से अधिक की आबादी वाले और परमाणु शक्ति से सम्पन्न भारत के लिए एक खतरे की बात है. भारत के लिए यह खतरे की बात है कि वह एक बड़ी जल परियोजना विकसित करने वाले हैं, जिससे भारत की जलापूर्ति बाधित हो सकती है.’
न्यिंगची की यात्रा के दौरान शी ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में पारिस्थितिक संरक्षण का निरीक्षण करने के लिए ‘न्यांग रिवर ब्रिज’ गए थे, जिसे तिब्बती भाषा में ‘यारलुंग ज़ंगबो’ कहा जाता है.
न्यिंगची, तिब्बत में एक प्रांत स्तर का शहर है जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है.
चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, जिस दावे को भारत ने हमेशा दृढ़ता से खारिज किया है.
भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा विवाद है.
सांसद ने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि चीन आगे बढ़ रहा है और (अमेरिका के राष्ट्रपति जो) बाइडन का प्रशासन उसे हर वह चीज करने दे रहा है, जो वह चाहता है.’
चीन पर तिब्बत में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने के आरोप हैं, लेकिन चीन आरोपों को खारिज करता आया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, 2013 में राष्ट्रपति बनने के बाद से शी ने तिब्बत पर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने की एक दृढ़ नीति अपनाई है.
बीजिंग बौद्ध भिक्षुओं और दलाई लामा के अनुयायियों पर नकेल कसता रहा है, जो अपने निर्वासन के बावजूद सुदूर हिमालयी क्षेत्र में व्यापक रूप से प्रशंसित आध्यात्मिक नेता बने हुए हैं.
शी ने भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई से शुरू सैन्य गतिरोध के बीच यह दौरा किया.
पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने और आखिरकार तनाव को कम करने पर चर्चा करने के लिए अंतिम कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता इस साल अप्रैल में आयोजित की गई थी.
हालांकि, वार्ता आगे नहीं बढ़ी है, क्योंकि भारत पहले सभी विवादित बिंदुओं से पीछे हटने पर जोर दे रहा है, जबकि चीन बाकी के विवादित बिंदुओं से पीछे हटने से पहले तनाव में कमी और गहराई वाले इलाकों से अतिरिक्त सैनिकों को उनके मूल ठिकाने पर वापस जाने की मांग कर रहा है.
एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि चीनियों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में चारडिंग नाला के भारतीय हिस्से में तंबू लगाए हैं. इसके बावजूद दोनों पक्षों के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में देरी हो रही है.