यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष, मामले में दायर आरोप-पत्र के हवाले से अदालत में आरोपी के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला दिखाएगा. मामला एक बड़ी साज़िश का हिस्सा है और यह छह मार्च 2020 को दर्ज हुआ था. ख़ालिद को दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में ज़मानत मिल चुकी है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया है, जिन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे की साजिश के एक मामले में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को यहां की एक अदालत को बताया कि उत्तर पूर्व दिल्ली दंगों के सिलसिले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की उनके खिलाफ दायर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यूएपीए मामले में दी गई जमानत अर्जी में कोई दम नहीं है.
पुलिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में दायर आरोप-पत्र के हवाले से अदालत में आरोपी के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला दिखाएगा.
दिल्ली पुलिस की इस दलील के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर उनके वकील त्रिदीप पैस के अनुरोध पर सुनवाई सात अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.
उल्लेखनीय है कि आरोपी को दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में जमानत मिल चुकी है.
अदालत ने उमर खालिद को उत्तर-पूर्व दिल्ली के खजूरी खास इलाके में बीते साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले जमानत देते हुए कहा था कि घटना के दिन वह वारदात स्थल पर मौजूद नहीं थे. यहां तक कि वादी के मोबाइल फोन की ‘कॉल डिटेल रिकॉर्ड’ (सीडीआर) घटना के दिन वारदात स्थल पर नहीं पाई गई.
यूएपीए के तहत बीते साल एक अक्टूबर को उमर खालिद को गिरफ्तार किया था. यूएपीए के साथ ही इस मामले में उनके खिलाफ दंगा करने और आपराधिक साजिश रचने के भी आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस ने दावा किया है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल उमर खालिद एवं अन्य ने दिल्ली में दंगों का षड्यंत्र रचा, ताकि दुनिया में मोदी सरकार की छवि को खराब किया जा सके.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिया था और लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान सड़कों पर आने और सड़कों को अवरुद्ध करने की अपील की थी ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को पता चले कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है.
मालूम हो कि 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. हिंसा में करीब 53 लोग मारे गए थे और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे.
मालूम हो कि बीते 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और इकबाल आसिफ तन्हा को जमानत दे दी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)