केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सीएए के नियम अभी तैयार नहीं हो पाए हैं, इसलिए उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ समितियों से अनुरोध किया है कि वे इन नियमों को बनाने के लिए नौ जनवरी 2022 तक का अतिरिक्त समय दें.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों के निर्धारण के लिए छह और महीनों का समय मांगा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि उन्होंने नियमों के गठन के लिए नौ जनवरी 2022 तक का अतिरिक्त समय मांगा है.
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘सीएए को 12 दिसंबर 2019 को अधिसूचित किया गया था और यह 10 जनवरी 2020 को प्रभावी हुआ था. लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ समितियों से अनुरोध किया गया है कि वे सीएए अधिनियम 2019 के तहत नियमों को बनाने के लिए नौ जनवरी 2022 तक का अतिरिक्त समय दें.’
दरअसल कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने पूछा था कि क्या सरकार इससे वाकिफ है कि सीएए के नियम बनाने की समसीमा समाप्त हो गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले नियम बनाने के लिए नौ जुलाई 2021 तक का समय मांगा था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते दो फरवरी को लोकसभा को बताया था कि इस विवादित कानून के नियमों का खाका अभी भी तैयार किया जा रहा है, क्योंकि दोनों सदनों की समितियों से समयसीमा में विस्तार मिल गया है. लोकसभा समिति ने नौ अप्रैल तक का, जबकि राज्यसभा की समिति ने नौ जुलाई तक की समयसीमा दी है.
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय एक साल से अधिक समय से नियमों पर विचार कर रहा है. इस कानून के क्रियान्वयन के लिए नियम जरूरी है.
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल दिल्ली में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम उजागर करने से इनकार किया.
मंत्रालय ने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने इस अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए हैं, उनके नामों का खुलासा करना व्यापक जनहित में नहीं हो सकता और इससे मामला प्रभावित हो सकता है.
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस कानून के तहत 2020 के दौरान नौ मामले दर्ज किए हैं और 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
उन्होंने कहा, मामलों की विस्तृत जानकारी उजागर करना जनहित में नहीं होगा और इससे मामले प्रभावित हो सकते हैं.
बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित सीएए कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ता के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए.
विपक्ष के पुरजोर विरोध के बावजूद इस कानून को पारित किया गया. इसके बाद विपक्ष समेत देश में बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया गया. केंद्र सरकार पर जान-बूझकर मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने का आरोप भी लगा.
वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे.