धनबाद के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए उस पर सवाल उठाए हैं. अदालत ने कहा है कि जांच में देरी या किसी तरह की चूक से मामले की सुनवाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद न्यायाधीश उत्तर आनंद की कथित हत्या की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस सही तरीके से सवाल नहीं पूछ रही है और एक विशेष जवाब के लिए सवाल पूछे जा रहे हैं, जिसकी सराहना नहीं की जा सकती.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही अदालत ने कहा कि अटॉप्सी रिपोर्ट से पता चला है कि मौत सिर पर गहरी चोट लगने की वजह से हुई है.
अदालत ने पूछा फिर ऐसे में पुलिस इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है कि क्या इस तरह की चोट गिरने की वजह से संभव है.
चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण की पीठ ने कहा, ‘हमने धनबाद एसएनएमएमसी के सहायक प्रोफेसर डॉ. कुमार शुभेंदु के लिए जांच अधिकारी विनय कुमार द्वारा तैयार किए गए सवालों का अध्ययन किया है, जिसमें कहा गया है कि कृपया बताएं क्या सड़क पर गिरने से सिर पर इस तरह की चोट संभव है या नहीं? जब जांच एजेंसी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए घटना की जांच कर रही है तो जांच अधिकारी द्वारा संबंधित डॉक्टर से इस तरह के सवाल किन और कैसी परिस्थितियों में पूछे जा रहे हैं? वह भी तब जब सीसीटीवी वीडियो से घटना का पूरे दृश्य स्पष्ट हो गया है.’
अदालत ने कहा, ‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट पता चलता है कि सख्त चीज से टकराकर यह चोट लगी है. अब जांच एजेंसी को आपराधिक हथियार की तलाश करनी है. एक विशेष जवाब की चाह में डॉक्टर से सवाल पूछने को सराहा नहीं जाएगा.’
अदालत ने कहा कि उन्हें अभी तक पुलिस से इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.
सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि एएसजे उत्तम आनंद (50) 28 जुलाई को सुबह की सैर के लिए निकले थे कि एक खाली सड़क पर एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर में गहरी चोट लगने और मस्तिष्क की प्रोटेक्शन लेयर में फ्रैक्चर और खून के थक्के जमने का पता चला है.
पुलिस ने इस मामले में शुरुआत में दो लोगों को गिरफ्तार किया था और घटना में शामिल ऑटोरिक्शा को जब्त कर लिया था. बाद में पता चला कि यह ऑटोरिक्शा चोरी किया हुआ था.
अदालत ने कहा, ‘इस साजिश का पता लगाने और घटना के मास्टरमाइंड को पकड़ना जरूरी है, सिर्फ मोहरे को गिरफ्तार कर लेने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. इस जांच में समय महत्वपूर्ण हैं. जांच में देरी या किसी तरह की चूक से मामले की सुनवाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.’
अदालत ने मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘घटना का सीसीटीवी वीडियो घटना के दो से चार घंटे के भीतर ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जज आनंद को 28 जुलाई को तड़के 5.30 बजे अस्पताल ले जाया गया लेकिन मृतक जज की पत्नी की शिकायत के बाद एफआईआर दोपहर 12.45 पर दर्ज हुई. पुलिस को सीसीटीवी फुटेज की नियमित तौर पर निगरानी करनी चाहिए. अस्पताल के डॉक्टरों को भी पुलिस को सूचित करना चाहिए था.’
गौरतलब है कि धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह सैर पर निकले थे कि रणधीर वर्मा चौक के पास सड़क पर एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.
पुलिस ने बताया था कि ऑटो चालक लखन कुमार वर्मा धनबाद के सुनार पट्टी का रहने वाला है, जबकि दूसरा आरोपित राहुल वर्मा भी स्थानीय निवासी है. लखन कुमार वर्मा ने स्वीकार किया है कि घटना के वक्त ऑटो वही चला रहा था. उसकी गिरफ्तारी गिरिडीह से हुई, जबकि दूसरे आरोपित राहुल वर्मा की गिरफ्तारी धनबाद स्टेशन से हुई.
दोनों को घटना के अगले दिन बीते 29 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. इस बीच 31 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी, जिसका दिवंगत न्यायाधीश के परिजनों ने स्वागत किया.
मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करने का यह फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा घटना का स्वत: संज्ञान लेने और झारखंड के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देने के एक दिन बाद लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक ने तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था.
इस मामले में अब तक पुलिस ने 243 लोगों को हिरासत में लिया है, 17 अन्य को गिरफ्तार भी किया है. इसके अलावा 250 ऑटो रिक्शा को भी जब्त किया गया है.
इस संबंध में दो पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है. इनमें से एक पर कार्रवाई घटना के सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने के लिए हुई.