धनबाद जज मौत: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सीबीआई और आईबी न्यायपालिका की मदद नहीं कर रहे

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति को अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वे न्यायपालिका को छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं. न्यायाधीश को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है, ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है. जब वे पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो ये एजेंसियां ​​​प्रतिक्रिया नहीं देती हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति को अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वे न्यायपालिका को छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं. न्यायाधीश को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है, ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है. जब वे पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो ये एजेंसियां ​​​प्रतिक्रिया नहीं देती हैं.

जज उत्तम आनंद.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों को धमकी और अपशब्दों वाले संदेश मिलने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) और सीबीआई न्यायपालिका की ‘बिल्कुल मदद नहीं’ कर रही हैं और एक न्यायिक अधिकारी को ऐसी शिकायत करने की भी स्वतंत्रता नहीं है.

पीठ धनबाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की वाहन से कुचलने से मौत की हालिया घटना के मद्देनजर अदालतों और न्यायाधीशों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी.

पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.

न्यायालय ने न्यायाधीशों को धमकाए जाने की घटनाओं को गंभीर बताते हुए राज्यों से न्यायिक अधिकारियों को दी जा रही सुरक्षा पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. साथ ही न्यायाधीश की मौत के मामले की जांच कर रहे सीबीआई को नोटिस जारी किया.

झारखंड सरकार ने मामले की जांच के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

फिलहाल इस घटना के उद्देश्य का पता नहीं चल पाया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े कई आपराधिक मामले हैं और कुछ स्थानों पर, निचली अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी वॉट्सऐप या फेसबुक पर अपशब्दों वाले संदेशों के माध्यम से धमकी दी जा रही है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘एक या दो जगहों पर अदालत ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि सीबीआई ने एक साल से अधिक समय में कुछ नहीं किया है. एक जगह, मैं जानता हूं, सीबीआई ने कुछ नहीं किया है. मुझे लगता है कि हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन सीबीआई के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है. मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन यही स्थिति है.’

पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति शामिल हैं और यदि उन्हें अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वे न्यायपालिका को छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं.

पीठ ने कहा, ‘दुर्भाग्य से यह देश में विकसित एक नया चलन है. न्यायाधीश को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है. ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है.’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश या जिले के संबंधित प्रमुख से शिकायत करते हैं, जब वे पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो ये एजेंसियां ​​​प्रतिक्रिया नहीं करती हैं.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें लगता है कि यह उनके लिए प्राथमिकता वाली चीज नहीं है. आईबी, सीबीआई, वे न्यायपालिका की बिल्कुल भी मदद नहीं कर रहे हैं. मैं जिम्मेदारी की भावना के साथ यह बयान दे रहा हूं और मैं उस घटना को जानता हूं जिसके कारण मैं ऐसा कह रहा हूं. मैं इससे ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहता.’

पीठ ने इस मुद्दे को गंभीर करार दिया और वेणुगोपाल से कहा कि न्यायपालिका की मदद के लिए कुछ दिलचस्पी लेनी होगी.

वेणुगोपाल ने कहा कि आपराधिक मामलों से निपटने वाले न्यायाधीश बहुत जोखिम में होते हैं और कहा कि उनके लिए सुरक्षा उपाय होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि न्यायाधीश उन नौकरशाहों की तुलना में अधिक असुरक्षित होते हैं, जो अपने कमरे के चारों कोनों के भीतर निर्णय लेते हैं.

वेणुगोपाल ने कहा कि वह इस मुद्दे पर अपना लिखित नोट दाखिल करेंगे.

इस बीच, झारखंड सरकार द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया कि धनबाद में न्यायाधीश की मौत मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई ) को सौंप दी गई है.

शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसमें बताया जाए कि वे न्यायिक अधिकारियों को क्या सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं.

शुरुआत में झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पीठ को बताया कि राज्य ने 22 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसने उस ऑटो-रिक्शा के दो चालकों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने 28 जुलाई को जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद को उस समय टक्कर मार दी थी, जब वह सुबह की सैर पर थे.

रंजन ने कहा कि मामला अब सीबीआई को सौंप दिया गया है. पीठ ने कहा, ‘तो, आपने अपने हाथ धो लिए हैं?’

इस पर, रंजन ने कहा कि एसआईटी ने कई सबूत एकत्र किए थे और चूंकि यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल के साथ एक सीमावर्ती जिला है, इसलिए एक बड़ी साजिश और सीमापार प्रभाव हो सकता है.

पीठ ने कहा, ‘हम सोमवार (9 अगस्त) को झारखंड मामले की सुनवाई करेंगे. हम सीबीआई को नोटिस जारी कर रहे हैं.’

पीठ ने झारखंड के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने राज्य में न्यायाधीशों के आवास पर पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की है.

वकील ने कहा कि आदेश जारी कर दिए गए हैं और न्यायिक अधिकारियों के आवासों और कॉलोनियों में पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई है.

धनबाद की घटना का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जिसमें एक युवा न्यायिक अधिकारी ने अपनी जान गंवा दी.

पीठ ने कहा, ‘हम राज्य की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हम जानते हैं कि धनबाद क्षेत्र में माफिया, कोयला माफिया हैं. अधिवक्ता की हत्या की गई, न्यायाधीशों पर हमले हुए, लेकिन इसके बावजूद राज्य ने कुछ नहीं किया.’

राज्य के वकील ने पीठ को इस संबंध में उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया. वकील ने साथ ही अदालत परिसर में और सीसीटीवी कैमरे लगाकर और चारदीवारी लगाकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने से भी अवगत कराया.

पीठ ने कहा कि कट्टर अपराधियों को इन चारदीवारी से नहीं रोका जा सकता.

सुनवाई के दौरान पीठ ने वेणुगोपाल को बताया कि 2019 में शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें अदालत परिसर में सुरक्षा सहित ऐसा माहौल बनाने के लिए कुछ निर्देशों का अनुरोध किया गया था, जिसमें न्यायाधीश स्वतंत्र रूप से काम कर सकें.

पीठ ने कहा, ‘उस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार ने अब तक कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है.’

जब वेणुगोपाल ने कहा कि वह इसे देखेंगे तो पीठ ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए, ताकि अदालत मामले में अंतिम फैसला ले सके.

2019 में दायर याचिका का भी स्वत: संज्ञान मामले के साथ पीठ द्वारा सुनवाई के लिए लिया गया था.

शीर्ष अदालत ने राज्यों को न्यायाधीशों को प्रदान की गई सुरक्षा के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और इसकी सुनवायी 17 अगस्त को करना तय किया.

धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद 28 जुलाई को सुबह की सैर पर निकले थे, तभी सदर थानाक्षेत्र में जिला अदालत के पास रणधीर वर्मा चौक पर एक ऑटो-रिक्शा ने उन्हें टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

30 जुलाई को शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था और जांच पर झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी और कहा था कि खबरें और वीडियो क्लिप से संकेत मिलता है कि ‘यह साधारण सड़क दुर्घटना का मामला नहीं था.’

जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत मामले में गिरफ्तार ऑटो चालक लखन कुमार वर्मा धनबाद के सुनार पट्टी का रहने वाला है, जबकि दूसरा आरोपित राहुल वर्मा भी स्थानीय निवासी है. लखन कुमार वर्मा ने स्वीकार किया है कि घटना के वक्त ऑटो वही चला रहा था. उसकी गिरफ्तारी गिरिडीह से हुई, जबकि दूसरे आरोपित राहुल वर्मा की गिरफ्तारी धनबाद स्टेशन से हुई.

दोनों को घटना के अगले दिन बीते 29 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. इस बीच 31 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी थी.

मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करने का यह फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा घटना का स्वत: संज्ञान लेने और झारखंड के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देने के एक दिन बाद लिया गया था.

इस मामले में अब तक पुलिस ने 243 लोगों को हिरासत में लिया है, 17 अन्य को गिरफ्तार भी किया है. इसके अलावा 250 ऑटो रिक्शा को भी जब्त किया गया है.

इस संबंध में दो पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है. इनमें से एक पर कार्रवाई घटना के सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने के लिए हुई, जबकि न्यायाधीश को टक्कर मारने वाले ऑटो की चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए दूसरे पुलिसकर्मी को निलंबित किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)