केंद्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा था कि भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाना चाहिए. विश्वम ने पूछा था कि क्या सरकार ने पूरे देश में साइबर सुरक्षा के माध्यम से आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए इज़रायली कंपनी एनएसओ समूह के साथ किसी एमओयू समझौता किया है? सरकार ने जवाब न देने के पीछे तर्क दिया था कि यह मामला अदालत में विचारधीन है.
नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद बिनॉय विश्वम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार राज्यसभा में पेगासस मुद्दे पर उनके सवाल को इस आधार पर अनुमति नहीं देना चाहती कि यह मामला अदालत में विचाराधीन’ है. साथ ही आरोप लगाया कि यह दर्शाता है कि इस मामले में कुछ छिपाया जा रहा है.
भाकपा सांसद ने अपने सवाल में पूछा था, ‘क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे (1) सरकार ने विदेशी कंपनियों के साथ कितने एमओयू (मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिग या समझौता पत्र) किए हैं, क्षेत्रवार ब्योरा क्या है? (2) क्या इनमें से कोई समझौता विदेशी कंपनियों के साथ साइबर सुरक्षा के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है और (3) क्या सरकार ने देश में साइबर सुरक्षा के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एनएसओ ग्रुप के साथ किसी तरह का समझौता किया है, यदि हां तो इसका ब्योरा मुहैया कराएं?’
केंद्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा था कि भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाना चाहिए.
इस सवाल को खारिज करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखा था. इसमें उसने ‘राज्यों की परिषद (राज्यसभा) की प्रक्रिया और आचरण के नियम’ के नियम 47 (xix) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामले की जानकारी नहीं मांगी जानी चाहिए, जो मामला भारत के किसी भी हिस्से में न्यायालय में सुनवाई के लिए विचाराधीन है.
पेगासस स्पायवेयर एक इजराइली कंपनी एनएसओ के मालिकाना हक वाला सॉफ्टवेयर है और संसद के चालू मानसून सत्र के दौरान पेगासस मामले को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने इस स्पायवेयर का उपयोग जासूसी के लिए किया है.
विश्वम ने कहा, ‘यह अजीब है कि एक प्रश्न को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया है कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है. ऐसे कई मुद्दे संसद में उठाए जाते रहे हैं. यह केवल ये दर्शाता है कि सरकार के पास छुपाने को कुछ है. यह और लंबा नहीं चल सकता. यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि ये गंभीर मामला है.’
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते पांच अगस्त को इजरायली स्पायवेयर मामले की जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि पेगासस के बारे में अगर रिपोर्ट सही है तो इससे संबंधित जासूसी के आरोप ‘गंभीर प्रकृति के’ हैं.
माकपा सांसद ने कहा कि उन्हें अनौपचारिक तौर पर कहा गया था कि उनका सवाल स्वीकार नहीं किया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, विश्वम ने कहा, ‘मुझे अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया है कि मेरे प्रश्न को अस्वीकार कर दिया गया है, लेकिन मुझे अभी तक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. सरकार राज्यसभा के नियमों का दुरुपयोग कर रही है और सच्चाई पर एक अलग रुख अपना रही है. उन्हें पेगासस के मुद्दे पर सवालों का सामना करना होगा.’
राज्यसभा सचिवालय के मीडिया सलाहकार एए राव ने कहा, ‘नियम 47, उप नियम 2 में उल्लेख किया गया है कि जो मामले विचाराधीन हैं उन्हें सदन में स्वीकार नहीं किया जाता है.’
बता दें कि द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
मालूम हो कि एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)