हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ के आयोजन के दौरान निजी लैब द्वारा कोरोना टेस्ट की फ़र्ज़ी रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया था. ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी निगेटिव रिपोर्ट के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर 0.18 प्रतिशत दिखाया गया जबकि वास्तव में वह 5.3 प्रतिशत था.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तराखंड के हरिद्वार में हाल में आयोजित कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोविड जांच को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में शुक्रवार को कई छापे मारे.
एजेंसी ने एक बयान में बताया कि नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चांदनी लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालयों और देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार में उनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में भी छापेमारी की गई.
ईडी ने कहा कि उसने छापेमारी के दौरान ‘आपत्तिजनक दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और संपत्ति के दस्तावेज और 30.9 लाख रुपये नकद’ जब्त किए हैं.
एजेंसी ने हाल में आरोपी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है. इसके बाद छापेमारी की गई.
ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना वायरस के लिए तेजी से एंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच करने का ठेका दिया था.
एजेंसी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं ने शायद कोविड-19 की कोई जांच की हो और जांच के लिए ‘फर्जी प्रविष्टियां’ और अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए ‘फर्जी’ बिल बनाए हैं.
ईडी ने कहा, ‘उन्हें (प्रयोगशालाओं) उत्तराखंड सरकार से आंशिक भुगतान के रूप में 3.4 करोड़ रुपये पहले ही मिल चुके हैं.’
एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि ‘इन प्रयोगशालाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली यह थी कि उन्होंने बिना कोरोना वायरस जांच की बढ़ी हुई संख्या दिखाने के लिए एक ही मोबाइल नंबर या झूठे मोबाइल नंबर, एक ही पते या एक ही नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का इस्तेमाल किया.’
एजेंसी ने दावा किया, ‘हरिद्वार में कुंभ मेले में कभी नहीं जाने वाले लोगों के नाम पर जांच किए जाने का दावा किया गया था.’
ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी निगेटिव रिपोर्ट के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर 0.18 प्रतिशत दिखाया गया, जबकि वास्तव में वह 5.3 प्रतिशत था.
बता दें कि इस साल कोरोना संक्रमण के बीच केंद्र और राज्य सरकार की रजामंदी के साथ हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे. इसमें शामिल होने के लिए कोविड निगेटिव टेस्ट अनिवार्य था.
इस दौरान निजी लैब द्वारा कोरोना टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया था.
यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को शिकायत की कि उसके मोबाइल पर कुंभ में उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने संबंधी एक संदेश प्राप्त हुआ, जबकि उसने जांच के लिए अपना नमूना दिया ही नहीं था.
सूत्रों के अनुसार, कुंभ के दौरान उन्हें एक एसएमएस आया, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 टेस्ट के लिए आपका सैंपल ले लिया गया है. हालांकि न ही उनका सैंपल लिया गया था, न ही कोई टेस्ट हुआ था.
इसके बाद शख्स ने ईमेल के जरिये आईसीएमआर को इसकी सूचना दी और आरोप लगाया कि फर्जी टेस्ट के लिए उनके मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है.
इस निजी लैब को कुंभ मेले के दौरान कोरोना के रैपिड एंटीजन टेस्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके लिए कम से कम 24 निजी लैब को यह काम सौंपा गया था, जिसमें से 14 लैब को जिला प्रशासन ने और 10 को कुंभ मेला प्रशासन ने जिम्मेदारी सौंपी थी.
बहरहाल मामला सामने आने के बाद विपक्ष के निशाने पर आई राज्य सरकार ने आरोपी कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस तथा दो निजी प्रयोगशालाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.
वहीं, उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े को लेकर विशेष जांच समिति (एसआईटी) जांच के आदेश दिए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)