रेलवे विश्वविद्यालय ने कंपनी नाइन डॉट नाइन (9dot9) को छह करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, जिसके संस्थापक और प्रबंध निदेशक शिक्षाविद प्रमथ राज सिन्हा हैं. सिन्हा इस विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य भी हैं, जिसके चलते हितों के टकराव की स्थिति खड़ी हो गई है.
नई दिल्ली: रेलवे विश्वविद्यालय ने एक ऐसे फर्म को छह करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, जिसके प्रमोटर शिक्षाविद प्रमथ राज सिन्हा हैं. सिन्हा भारतीय रेल द्वारा चलाए जा रहे इस विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य हैं, जिसके चलते हितों के टकराव का मामला उत्पन्न हो गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सिन्हा की कंपनी नाइन डॉट नाइन (9dot9), जिसके वे संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं, को गुजरात के वडोदरा स्थित सरकार के एक डीम्ड विश्वविद्यालय राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) के लिए कंसल्टेंसी कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है, जिसकी कीमत 65 लाख रुपये प्रति माह है.
ये सब ऐसे समय पर हुआ है रेलवे के अधिकारियों ने अपने विचार-विमर्श में पहले ही हितों के टकराव और सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) के प्रावधानों के संभावित उल्लंघन को लेकर अगाह किया था.
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के संस्थापक डीन सिन्हा अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापकों और ट्रस्टियों में से एक हैं. वे एनआरटीआई, जो एक डीम्ड विश्वविद्यालय है और आम तौर पर इसे ‘रेलवे विश्वविद्यालय’ कहा जाता है, की स्थापना में भी शामिल रहे हैं.
सिन्हा की नाइन डॉट नाइ कंसल्टेंसी यूएस लॉबी फर्म अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप की रणनीतिक साझेदार भी है, जिसके अध्यक्ष पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट हैं.
ये पहला मौका नहीं है जब सिन्हा की फर्म को लेकर इस तरह का मामला सामने आया हो.
पिछले साल हड़प्पा एजुकेशन, जिसमें सिन्हा संस्थापक और प्रबंध निदेशक भी हैं, को रेलवे अधिकारियों को प्रबंधन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर प्रशिक्षण देने का काम मिला था.
इस मामले को लेकर सिन्हा ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं एनआरटीआई के अंतरिम वाइस चांसलर अल्का अरोड़ा मिसरा ने दावा किया कि कॉन्ट्रैक्ट नियमों के अनुसार दिए गए हैं.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ‘रेलवे विश्वविद्यालय’ गठित करने की योजना बनाई गई थी.