आतंकवाद से पलायन कर गए कश्मीर में हिंदुओं की नौ संपत्तियां लौटाई गईं: केंद्र सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि सरकार कश्मीर में आतंकवादी हिंसा के चलते अपने घरों से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों की पैतृक संपत्ति को बहाल करने के प्रयास कर रही है तथा अभी तक नौ संपत्तियों को उनके उचित एवं वास्तविक स्वामियों को वापस कर दिया गया है. 

(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि सरकार कश्मीर में आतंकवादी हिंसा के चलते अपने घरों से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों की पैतृक संपत्ति को बहाल करने के प्रयास कर रही है तथा अभी तक नौ संपत्तियों को उनके उचित एवं वास्तविक स्वामियों को वापस कर दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को कहा कि वह कश्मीर में आतंकवादी हिंसा के चलते अपने घरों से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों की पैतृक संपत्ति को बहाल करने के प्रयास कर रही है तथा अभी तक नौ संपत्तियों को उनके उचित एवं वास्तविक स्वामियों को वापस कर दिया गया है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर विस्थापित अचल संपत्ति (संरक्षण, सुरक्षा एवं मजबूरी में बिक्री का निषेध) कानून 1997 के तहत राज्य के संबंधित जिलों के जिलाधीश विस्थापितों की अचल संपत्ति के कानूनी संरक्षक होते हैं और अतिक्रमण होने की स्थिति उन संपत्तियों को खाली करवाने के लिए स्वत: आधार पर भी कार्रवाई कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि विस्थापित लोग ऐसे मामलों में जिलाधीशों से अनुरोध कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि संपत्ति को उसके उचित एवं वास्तविक स्वामी को लौटाने के मामले में जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार नौ संपत्तियों को लौटा दिया गया है.

राय ने कहा कि उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से प्रधानमंत्री के 2015 के पैकेज के तहत नौकरी पाने के मकसद से विस्थापित हुए 520 लोग राज्य में वापस लौटे.

उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से संविधान के सभी प्रावधान केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में लागू हो गए हैं. इसके लिए आवश्यक था कि जम्मू कश्मीर के वर्तमान कानूनों में बदलाव के लिए अंगीकार आदेश जारी किया जाए ताकि वे कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप बन सकें.

5 अगस्तए 2019 को केंद्र ने प्रभावी रूप से अनुच्छेद 370, जो तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देता था, को रद्द कर दिया था. साथ ही गैर-स्थानीय लोगों को जम्मू और कश्मीर में अचल संपत्ति खरीदने या रखने, वहां स्थायी रूप से बसने या राज्य प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से रोक लगाने वाले अनुच्छेद 35ए भी निरस्त कर दिया था.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के अंगीकार किए गए कानूनों के तहत सरकार आधिकारिक गजट में अधिसूचना के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परमार्थ संगठनों जैसे सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए भूमि का स्थानांतरण कर सकती है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1990 के शुरुआत में आतंकवाद शुरू होने के बाद  कश्मीरी पंडित परिवारों ने घाटी से पलायन किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अनुमान के अनुसार, जम्मू कश्मीर के 75,343 कश्मीरी पंडित परिवारों में से 70,000 से अधिक ने जनवरी 1990 से 1992 तक पलायन किया था.

एक अन्य सवाल पर कि क्या जम्मू कश्मीर में गैर-कृषि भूमि खरीदने के लिए वहां के निवासी या स्थायी निवासी प्रमाण पत्र की आवश्यकता है- राय ने कहा कि संविधान के सभी प्रावधान केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किए गए हैं, जिस वजह से जम्मू कश्मीर में मौजूदा कानूनों में बदलाव की आवश्यकता है.

मालूम हो कि सरकार ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया था कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से जम्मू कश्मीर में यहां से बाहर के केवल दो लोगों ने दो संपत्तियां खरीदी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)