मुज़फ़्फ़रनगर के कवाल गांव में दो युवकों की हत्या को लेकर कार्रवाई के लिए सितंबर 2013 को जाट समुदाय के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी. महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40,000 लोगों को पलायन करना पड़ा था.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की एक स्थानीय अदालत ने 2013 के दंगों के दौरान लोगों को कथित तौर पर भड़काने के लिए भाजपा विधायक विक्रम सैनी के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुजफ्फरनगर के खतौली विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सैनी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
सरकारी वकील नरेंद्र शर्मा ने कहा, ‘मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े केस में विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के मामले में विधायक विक्रम सैनी आरोपी हैं. शुक्रवार को विधायक सैनी एक स्थानीय अदालत के सामने पेश हुए जिसने इस मामले में उनके खिलाफ आरोप तय किए.’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 अगस्त की तारीख तय की है.
सरकारी वकील ने कहा, ‘कवाल के पूर्व प्रधान सैनी के खिलाफ अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को कथित तौर पर भड़काने के लिए मामला दर्ज किया गया था.’
यह मामला आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना) के तहत दर्ज किया गया था.
बता दें कि 27 अगस्त 2013 के दिन कवाल गांव में दो युवकों की हत्या को लेकर कार्रवाई के लिए नगला मंडोर गांव के एक इंटर कॉलेज में सात सितंबर 2013 को जाट समुदाय के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी.
मालूम हो कि इससे पहले हुई एक मुस्लिम युवक शाहनवाज कुरैशी की हत्या के बाद मुस्लिम भीड़ ने सचिन और गौरव नाम के युवकों की हत्या कर दी थी.
महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी और मुजफ्फरनगर के नजदीकी जिलों में भी फैल गई. इस दौरान 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40,000 लोगों को पलायन करना पड़ा था.
इस केस में कुल 510 आपराधिक मामले दायर किए गए और 175 मामले में चार्जशीट दायर की गई. बाकी के केस में या तो पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी या केस बंद कर दिया.
महापंचायत से जुड़े मामले को शिखेड़ा पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ चरण सिंह यादव द्वारा सात सितंबर 2013 को दायर किया गया था.
संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव, साध्वी प्राची और पूर्व सांसद हरेंद्र सिंह मलिक समेत 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और भड़काऊ भाषण देने जैसे कई आरोप लगाए गए.
आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा 188 (घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी जमावड़ा), 353 (सरकारी कर्मचारी को डराने के लिए हमला), 153ए (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), 341 (गलत अवरोध पैदा करना), 435 (नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
राज्य सरकार की एसआईटी ने 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव, साध्वी प्राची और हरेंद्र सिंह मलिक शामिल थे.
इस साल मार्च में एक विशेष अदालत ने सोम के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ स्वीकार ली थी.