गृह मंत्रालय में एक आरटीआई आवेदन दायर कर संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़े सभी दस्तावेज़, पत्राचार, फाइल नोटिंग्स, रिकॉर्ड इत्यादि की प्रतियां मांगी गई थीं.
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने देश की सुरक्षा और रणनीतिक हितों का हवाला देते हुए मोदी सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर की गई एक अपील को खारिज करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने गृह मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के जवाब पर सहमति जताई और कहा कि मांगी गई सूचना नहीं दी जा सकती है.
सिन्हा ने आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(ए) का हवाला दिया, जो कि देश की एकता एवं अखंडता, सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थित हितों को प्रभावित करने या विदेशी मुल्कों के साथ संबंध खराब करने की संभावना वाली सूचनाओं के खुलासे से छूट प्रदान करता है.
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को पांच अगस्त, 2019 को राज्यसभा में और एक दिन बाद लोकसभा में पारित किया गया. यह एक्ट 31 अक्टूबर, 2019 से प्रभावी हुआ था.
21 नवंबर 2019 को इंडियन एक्सप्रेस ने गृह मंत्रालय में एक आरटीआई आवेदन दायर कर इस एक्ट से जुड़े सभी दस्तावेज, पत्राचार, फाइल नोटिंग्स, रिकॉर्ड इत्यादि की प्रतियां मांगी थी. इसके अलावा उन्होंने भारत सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार के बीच पांच अगस्त 2019 से इस मामले को लेकर हुए पत्राचारों की प्रति मांगी थी.
हालांक गृह मंत्रालय ने आरटीआई एक्ट की सूचना देने से छूट प्राप्त धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी नहीं दी जा सकती है.
कैबिनेट सचिवालय ने भी यही रुख अपनाया और कहा कि सूचना मुहैया नहीं कराई जा सकती है.
जबकि आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(आई) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी मामले पर कैबिनेट निर्णय ले लेती है और फैसला ले लिया जाता है, तब इससे संबंधित सभी दस्तावेज जनता को मुहैया कराए जाने चाहिए.
हालांकि सीआईसी ने भी इस मामले में सरकार के फैसले पर सहमति जताई और सूचना देने से मना कर दिया.