कर्नाटक स्कूल मामला: पुलिस का हथियार लेकर बच्चों से पूछताछ करना क़ानून का गंभीर उल्लंघन- कोर्ट

2020 में कर्नाटक के बीदर के शाहीन स्कूल के ख़िलाफ़ बच्चों द्वारा सीएए विरोधी नाटक करने पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई, जिन्होंने यूनिफॉर्म में हथियारों के साथ बच्चों से पूछताछ की थी.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

2020 में कर्नाटक के बीदर के शाहीन स्कूल के ख़िलाफ़ बच्चों द्वारा सीएए विरोधी नाटक करने पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई, जिन्होंने यूनिफॉर्म में हथियारों के साथ बच्चों से पूछताछ की थी.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि पिछले साल बीदर के शाहीन स्कूल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ नाटक करने चलते दर्ज किए गए राजद्रोह मामले में हथियार लिए पुलिस की मौजूदगी में बच्चों से पूछताछ करना किशोर न्याय (बच्चों का देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन है.

लाइव लॉ के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और जस्टिस एनएस संजय गौड़ा की पीठ ने कहा कि बीते 16 मार्च को उप अधीक्षक बसावेश्वर ने जो हलफनामा सौंपा है, उसमें उन्होंने उस तस्वीर की सत्यतता की पुष्टि की है जिसमें पांच पुलिसकर्मी तीन स्कूली बच्चों (दो लड़के और एक लड़की) से पूछताछ करते दिख रहे हैं. इन पांच पुलिसवालों में से चार यूनिफॉर्म में हैं और कम से कम दो ने हथियार ले रखा है.

पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया यह बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और जेजे एक्ट 2016 के धारा 86 (5) के तहत गंभीर मामला है.’

धारा 86 में कहा गया है कि यदि कोई पुलिसकर्मी किसी बच्चे से सवाल-जवाब करता है, तो उसे सादे कपड़े में रहना होगा, न कि अपने यूनिफॉर्म में. इसके अलावा यदि किसी लड़की से पूछताछ की जाती है तो महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी अनिवार्य है.

इस संदर्भ में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे अपने बेहद वरिष्ठ अधिकारी के जरिये हलफनामा दायर करके बताएं कि इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, जिन्होंने हथियार लिए हुए यूनिफॉर्म में बच्चों से पूछताछ की थी.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि हलफनामा दायर करने के अलावा राज्य सरकार अपने पूरे राज्य की पुलिस को निर्देश जारी कर ये सुनिश्चित करे कि फिर कभी इस तरह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा.

पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘अगर हम इस पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो ये सब फिर से दोहराया जाएगा. हम इस तरह के कृत्य को कतई माफ नहीं कर सकते हैं.’

कोर्ट ने वकील नयना ज्योति झावर एंड साउथ इंडिया सेल फॉर ह्यूमन राइट्स एजुकेशन एंड मॉनिटरिंग द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की.

याचिका में कहा गया है नौ साल तक के करीब 85 बच्चों को पुलिस पूछताछ का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है.

बता दें कि कर्नाटक में बीदर के शाहीन स्कूल के खिलाफ बच्चों द्वारा सीएए विरोधी नाटक का मंचन करने के मामले में पिछले साल जनवरी महीने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. साथ ही उस स्कूल को संचालित करने वाले शाहीन शिक्षा संस्थान के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था.

21 जनवरी 2020 को स्कूल के वार्षिक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बच्चों ने सीएए पर एक नाटक का मंचन किया था. इस नाटक पर स्थानीय एबीवीपी कार्यकर्ता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.

एबीवीपी के स्थानीय कार्यकर्ता नीलेश रक्षयाल की शिकायत पर 26 जनवरी को शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद स्कूल की प्रिंसिपल फरीदा बेगम और स्कूल में सीएए विरोधी प्ले कर रहे नौ साल के बच्चे की मां को गिरफ्तार किया था.

बच्चों से पूछताछ करने को लेकर राज्य के बाल अधिकार आयोग ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी और पुलिस से कहा था कि इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के साथ कई नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है.

आगे चलकर एक जिला अदालत ने राजद्रोह के मामले में शाहीन स्कूल के प्रबंधक सहित कई लोगों को जमानत दे दी थी और कहा था कि सीएए विरोधी नाटक राजद्रोह नहीं है.

कोर्ट ने कहा था कि सीएए के खिलाफ स्कूल के बच्चों द्वारा किया गया नाटक समाज में किसी भी तरह की हिंसा या असामंजस्य पैदा नहीं करता है.