गोरखनाथ समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से ‘गोरख धंधा’ शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था, क्योंकि यह बाबा गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है. गोरखनाथ 11वीं सदी के हिंदू योगी थे, जिन्हें भारत में नाथ हिंदू मठ आंदोलन का संस्थापक माना जाता है. उत्तर प्रदेश में गोरखनाथ मठ और गोरखपुर शहर का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है.
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने अपने आधिकारिक संचार में शब्द ‘गोरख धंधा’ के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर अनैतिक कृत्यों का वर्णन करने के लिए किया जाता है.
बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गोरखनाथ समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा मुलाकात किए जाने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस संबंध में निर्णय लिया.
प्रतिनिधिमंडल ने खट्टर से इस शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया, क्योंकि यह बाबा गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखनाथ एक संत थे और इस शब्द का प्रयोग उनके अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है.
बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राजभाषा, भाषण या किसी संदर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल उनके अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है, इसलिए किसी भी संदर्भ में इस शब्द का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
गोरखनाथ एक संत थे और उन्हें समर्पित एक मंदिर सोनीपत से 20 किलोमीटर दूर गोर्ड गांव में स्थित है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मिरांडा हाउस में समाजशास्त्र के सहायक प्रोफेसर, बीनू सोमदास ने कहा कि हर शब्द का अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग अर्थ होता है और किसी शब्द को अलग-अलग पढ़ने के बाद उस पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है- यह संस्कृति के विरासत कारक को अमान्य कर देता है.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, देश के वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए, जहां धार्मिक भावनाएं बहुत संवेदनशील हैं, ऐसे शब्द पर प्रतिबंध लगाना स्वीकार्य है, जो किसी समुदाय को चोट पहुंचा सकता है.’
गोरखनाथ 11वीं सदी के हिंदू योगी थे, जिन्हें भारत में नाथ हिंदू मठ आंदोलन का संस्थापक माना जाता है. उत्तर प्रदेश में गोरखनाथ मठ और गोरखपुर शहर का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)