पंजाब: फ़िरोज़पुर से दो बार विधायक रहे सुखपाल सिंह नान्नू ने कृषि क़ानूनों को लेकर भाजपा छोड़ी

भाजपा के पूर्व विधायक सुखपाल सिंह नान्नू के अनुसार, भाजपा का झंडा हमेशा उनके घर के ऊपर लगा रहता था, लेकिन अब उन्होंने इसे भारी मन से हटा दिया है और किसानों के मुद्दों को अब तक हल नहीं कर पाने वाली केंद्र सरकार के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए इसकी जगह काला झंडा लगा दिया है.

सुखपाल सिंह नान्नू. (फोटो साभार: फेसबुक)

भाजपा के पूर्व विधायक सुखपाल सिंह नान्नू के अनुसार, भाजपा का झंडा हमेशा उनके घर के ऊपर लगा रहता था, लेकिन अब उन्होंने इसे भारी मन से हटा दिया है और किसानों के मुद्दों को अब तक हल नहीं कर पाने वाली केंद्र सरकार के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए इसकी जगह काला झंडा लगा दिया है.

सुखपाल सिंह नान्नू. (फोटो साभार: फेसबुक)

फिरोजपुर: पंजाब में फिरोजपुर से दो बार के विधायक रहे सुखपाल सिंह नान्नू ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ दी है.

नान्नू 2002 और 2007 में दो बार फिरोजपुर शहर से भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीते थे. वह 2012 और 2017 में कांग्रेस के परमिंदर सिंह पिंकी से हार गए थे.

अपने आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए नान्नू ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत के कारण, उनके समर्थक परेशान हैं और उन्हें 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले कुछ निर्णय लेना पड़ा.

शिरोमणि अकाली दल में शामिल होने की अटकलों का खंडन करते हुए नान्नू ने कहा कि वह अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं वही करूंगा जो मेरे कार्यकर्ता कहेंगे.’

इससे पहले पंजाब भाजपा के प्रवक्ता अनिल सरीन उन्हें मनाने पहुंचे थे. सरीन ने उनसे बंद कमरे में मुलाकात की. हालांकि, नान्नू नहीं माने और पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

नान्नू ने आरोप लगाया कि वर्तमान स्थिति के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तीन बार विधायक रहे गिरधर सिंह के बेटे नान्नू ने कहा, ‘भाजपा का झंडा हमेशा मेरे घर के ऊपर लगा रहता था, लेकिन अब मैंने इसे भारी मन से हटा दिया है और किसानों के मुद्दों को अब तक हल नहीं कर पाने वाली केंद्र सरकार के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए इसकी जगह काला झंडा लगा दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री को भी लिखूंगा और पूछूंगा कि क्या उन्हें किसानों के बारे में, जमीन पर उनके संघर्षों के बारे में सही प्रतिक्रिया मिल रही है. किसानों से जुड़ने के लिए उन्हें खुद जमीनी रिपोर्ट देखने की जरूरत है.’

नान्नू ने कहा, ‘किसानों ने पिछले साल जब कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध करना शुरू किया था तो मैंने भाजपा के पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा से कहा था कि उन्हें किसानों से मिलने के लिए पूरे राज्य का दौरा करने की जरूरत है. उस समय उनकी दो मांगें थीं- एमएसपी को कानून के दायरे में लाया जाए और मंडी व्यवस्था को जारी रखा जाए. लेकिन जब उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो किसान अपना आंदोलन दिल्ली की सीमाओं तक ले गए और आज सड़कों पर बैठे हैं. मुझे लगता है कि एक कमजोर नेतृत्व ने ऐसा होने दिया.’

उन्होंने कहा, ‘पंजाब भाजपा अध्यक्ष पठानकोट से हैं और इसलिए मुझे लगता है कि हमारी प्रतिक्रिया के बावजूद, वह मालवा के किसान संघों से अच्छी तरह वाकिफ नहीं थे. मुझे खेद है कि मैंने पहले इस्तीफा नहीं दिया, मुझे यह कदम तभी उठा लेना चाहिए था, जब किसानों ने विरोध करना शुरू किया था. मुझे लगा था कि मामला सुलझ सकता है.’

नान्नू ने आगे कहा, ‘हालांकि, अब ऐसा लगता है कि पार्टी (भाजपा) बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. मेरे क्षेत्र के लोगों ने मुझसे किसानों के साथ खड़े होने का आग्रह किया और ठीक यही मैं कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता थे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी हमारे यहां ठहरने के लिए आते थे. मैंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा.’

हालांकि नान्नू ने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय कमल शर्मा को फिरोजपुर शहर में गुटबाजी के लिए दोषी ठहराया और कहा कि तत्कालीन अध्यक्ष ने भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं दिया, इसलिए 2012 के बाद से फिरोजपुर सीट पार्टी हार रही है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे अश्विनी शर्मा जी से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उन्होंने भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली, इसलिए मेरे पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. मैं खुद एक किसान हूं और इसलिए मैं किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ा हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)