केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य उन्हें गोद में नहीं लेते थे.
शांतिनिकेतन/कोलकाता: केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने बीते 18 अगस्त को अपनी उस टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया कि नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मां ने बचपन में उन्हें गोद में इसलिए नहीं लिया, क्योंकि उनका रंग गोरा नहीं था.
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और बांकुड़ा से सांसद ने नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की.
It’s 2021, but we are still talking SKIN TONES!
Dr. Subhash Sarkar, MoS Education: Tagore’s skin tone was dark, that’s why his mother didn’t cradle him. Yet he conquered the world. pic.twitter.com/YmynsRdkaH
— Sreyashi Dey (@SreyashiDey) August 19, 2021
इस दौरान मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि टैगोर परिवार के अन्य सदस्यों का रंग चमकदार पीला गोरा था. उन्होंने कहा कि टैगोर गोरे थे, लेकिन उनकी त्वचा पर लाल रंग की आभा थी.
उन्होंने कहा, ‘दो तरह की गोरी त्वचा वाले लोग होते हैं. एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोरे होते हैं और दूसरे जो गोरे होते हैं, लेकिन लाल रंग की आभा का प्रभाव होता है. टैगोर दूसरी श्रेणी के थे.’
सुभाष सरकार ने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य उन्हें गोद में नहीं लेते थे, लेकिन वही व्यक्ति विश्व प्रसिद्ध हुआ
विश्व भारतीय यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान मंत्री ने अचानक ही रबींद्रनाथ टैगोर की त्वचा के रंग का मामला उठाया. उनके साथ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बिद्युत चक्रबर्ती भी मौजूद थे.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने अफगानिस्तान और नई शिक्षा नीति जैसे कई विषयों पर बातचीत की, लेकिन अचानक ही टैगोर के त्वचा के रंग के मुद्दे को उठाया.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने यह नहीं बताया कि उन्हें टैगोर के बारे में यह जानकारी कहां से मिली और न ही उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि उनकी सांवली त्वचा ने किस तरह उनकी साहित्यिक रचनाओं में संभावित रूप से बाधा उत्पन्न की होगी.
टैगोर ने अपनी पुस्तक ‘जीबनस्मृति’ में अपने बचपन के कई पहलुओं का उल्लेख किया है.
उन्होंने उल्लेख किया है कि वह अधिकतर घर में अकेले ही घूमते-रहते थे, क्योंकि उनकी मां शारदा देवी हमेशा अपने कई और भाई-बहनों की देखभाल में लगी रहती थीं. हालांकि, त्वचा के रंग का जिक्र यहां नहीं किया गया है.
हालांकि, विद्वानों ने इस दावे को झूठ बताया है.
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना है कि रबींद्रनाथ टैगोर और उनके कलाकार-लेखक भतीजे अबनींद्रनाथ अक्सर खुद को मजाक में सांवले रंग का बताते थे.
बहरहाल केंद्रीय मंत्री के इस बयान की व्यापक स्तर पर निंदा हो रही है. सीपीआई (एम) ने कहा है कि इस टिप्पणी से भाजपा की नस्लवादी सोच का बता पता चला है.
मंत्री की इस टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए इसे टैगोर का अपमान करार दिया है. टीएमसी नेता और डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘सुभाष सरकार को इतिहास की जानकारी नहीं है. यह एक नस्लवादी टिप्पणी है और बंगाल के प्रतीकों का अपमान है.’
हालांकि, भाजपा ने केंद्रीय मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी नस्लवाद के खिलाफ थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)