दाभोलकर हत्याकांड: परिवार ने कहा- हत्या में शामिल मुख्य अपराधी अभी तक गिरफ़्तार नहीं हुए

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. इस मामले में सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से पांच के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हो चुकी है.

सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. इस मामले में सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से पांच के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हो चुकी है.

सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के आठ साल बाद उनके परिवार ने कहा कि हत्या के मुख्य आरोपी अभी भी कानून की पहुंच से बाहर है.

पीड़ित परिवार ने 19 अगस्त को बताया कि केंद्रीय जांय ब्यूरो (सीबीआई) को उन्हें गिरफ्तार कर जांच पूरी करनी चाहिए.

वहीं, पुणे की निचली अदालत ने तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में आरोप तय करने के लिए दलीलों पर सुनवाई तीन सितंबर तक स्थगित कर दी.

बचाव पक्ष के एक वकील ने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था.

इससे पहले आरोप तय करने पर बहस शुक्रवार को शुरू होने की संभावना थी.

बचाव पक्ष के वकील प्रकाश सालसिंगिकर ने कहा, ‘आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े की जमानत याचिका अदालत में लंबित है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने स्पष्टीकरण मांगते हुए एक आवेदन दिया है कि क्या सीबीआई फॉरेंसिक विज्ञान विभाग, गुजरात के निदेशक द्वारा दी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट पर भरोसा करना चाहती है. सीबीआई ने 2017 में एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की थी, हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें निर्देश दिए जाने तक इसे पेश नहीं करने को कहा था.’

उन्होंने कहा कि जमानत याचिका पर दलीलों पर बहस के साथ-साथ आरोप तय करने के लिए होने वाली दलीलों के लिए यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है.

विशेष लोक अभियोजक प्रकाश सूर्यवंशी ने कहा, ‘अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दोनों पक्षों से कहा है कि वह इस मुद्दे पर अभियोजन पक्ष का जवाब नहीं मांगेंगे, लेकिन आरोप तय करने पर सुनवाई तीन सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.’

बता दें कि आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने से 2013 के इस मामले की सुनवाई शुरू होने का रास्ता बनेगा.

इस मामले में सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से पांच आरोपियों- वीरेंद्र सिंह तावड़े, शरद कलासकर, सचिन अंडुरे, विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है.

सीबीआई ने कहा था कि कलासकर और अंडुरे ने कथित तौर पर दाभोलकर पर गोलियां चलाई थीं.

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे.

पेशे से वकील पुनालेकर पर कलासकर को अपराध में शामिल बंदूक को नष्ट करने की सलाह देने का आरोप है. भावे और पुनालेकर उन पांच आरोपियों में से एक हैं, जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

दाभोलकर के बेटे हामिद दाभोलकर ने बताया, ‘सीबीआई को असली अपराधियों को पकड़ना चाहिए, जो हत्या में शामिल थे. जब तक असली अपराधियों को पकड़ नहीं लिया जाता, तब तक अन्य तर्कवादियों, लेखकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर खतरा बना रहेगा.’

इस बीच महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के सदस्यों ने बीते 19 अगस्त की शाम को ओंकारेश्वर पुल पर मोमबत्तियां जलाईं. इसी जगह पर दाभोलकर को गोली मारी गई थी.

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की स्थापना नरेंद्र दाभोलकर ने ही की थी.

हामिद दाभोलकर ने बताया, ‘एमएएनएस के सदस्य असली अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग के साथ विभिन्न जिला कलेक्ट्रेटों को ज्ञापन सौंपेंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)