नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इलाहाबाद में 2019 कुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रबंधन में कई ख़ामियां पाई हैं. इनमें ठोस कचरे के ख़राब निपटान से लेकर भीड़ प्रबंधन में ख़ामी और मुहैया कराए धन के उपयोग में विसंगतियां शामिल हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि कुंभ मेले में प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा ख़रीदे गए 32.5 लाख रुपये के ड्रोन कैमरों का उपयोग नहीं किया गया और वे निष्क्रिय पड़े रहे.
लखनऊ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी- कैग) ने इलाहाबाद में 2019 कुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रबंधन में कई खामियां पाई हैं. इनमें ठोस कचरे के खराब निपटान से लेकर भीड़ प्रबंधन में खामी और मुहैया कराए धन के उपयोग में विसंगतियां शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि संबंधित विभाग रिपोर्ट के संबंधित अनुभागों को देखेंगे और फिर जवाब देंगे.
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर उठाए सवाल
सामान्य और सामाजिक क्षेत्र पर कैग की 2018-2019 की रिपोर्ट बीते 19 अगस्त को विधानसभा में पेश की गई थी. इसमें कहा गया है कि नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) प्रबंधन के मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं किया गया था, क्योंकि ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र पूरे कुंभ मेला अवधि से पहले और उसके दौरान निष्क्रिय रहा था, जिससे बड़े पैमाने पर कबाड़ का संचय होता है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है.
इसमें कहा गया है कि कुंभ शुरू होने से पहले ही बांसवार ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र स्थल पर 3,61,136 मीट्रिक टन वजन वाले एमएसडब्ल्यू का एक बड़ा कचरा जमा हो गया था और यह जनवरी 2019 से मार्च 2019 की अवधि के दौरान अतिरिक्त संग्रह द्वारा जमा होकर एमएसडब्ल्यू का 52,727 मीट्रिक टन हो गया था.
कैग रिपोर्ट में कहा गया, ‘एमएसडब्ल्यू का अनुचित प्रबंधन पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है और संक्रमण का एक स्रोत है और इसलिए, कुंभ मेले के दौरान उत्पन्न ठोस कचरे का प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण था.’
कुंभ मेला शुरू होने से पहले अक्टूबर 2018 से ही बांसवार ठोस कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को निष्क्रिय बताते हुए अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा कि इसके कारण कुंभ मेला इलाके और इलाहाबाद शहर से इकट्ठा नगर पालिका ठोस अपशिष्ट बिना किसी प्रक्रिया के प्रसंस्करण संयंत्र स्थल पर गिरा दिया गया.
कैग ने पाया, ‘इस प्रकार कुंभ मेला क्षेत्र के आस-पास असंसाधित एमएसडब्ल्यू का परिमार्जन मिट्टी, जल और वायु के प्रदूषण के साथ-साथ गंभीर प्रभावों के साथ स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है.’
यूपी सरकार ने कैग को अपने जवाब में कहा कि अपशिष्ट निकटतम कुंभ मेला क्षेत्र से लगभग 16 किमी दूर था और एमएसडब्ल्यू बांसवार संयंत्र के परिसर के अंदर पड़ा था, इसलिए इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को कोई सीधा खतरा नहीं था.
हालांकि, कैग ने कहा, ‘तथ्य यह है कि कुंभ मेले के दौरान बांसवार संयंत्र निष्क्रिय रहा.’
इसके अलावा, राज्य सरकार को अभी तक बांसवर संयंत्र में एकत्रित एमएसडब्ल्यू के निपटान की व्यवस्था (मई 2020) करनी थी, जो कुंभ मेला क्षेत्र से केवल 4-5 किमी की हवाई दूरी पर स्थित है, जिसके कारण कुंभ मेला क्षेत्र का दौरा करने वाले तीर्थयात्री जोखिम में रहे.
32 लाख रुपये के ड्रोन कैमरों का नहीं हुआ उपयोग
कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि कुंभ मेले में प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए ड्रोन कैमरों का उपयोग नहीं किया गया और वे निष्क्रिय रहे.
यह बताते हुए कि पुलिस उप महानिरीक्षक (कुंभ) के कार्यालय ने जनवरी 2019 में सुरक्षा उद्देश्यों से वस्तुओं की स्कैनिंग के लिए 32.50 लाख रुपये की लागत से 10 ड्रोन कैमरे खरीदे, कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 ड्रोन कैमरों में से किसी का भी कुंभ मेला में उपयोग नहीं किया गया था, क्योंकि लगाए जाने पर यह पाया गया कि कैमरे की तस्वीर की गुणवत्ता वास्तविक समय में भीड़ की आवाजाही की निगरानी के लिए उपयुक्त नहीं थी.
कैग ने कहा, ‘चूंकि इस मुद्दे को समय पर हल नहीं किया जा सका, इसलिए कुंभ मेले के दौरान सभी कैमरे निष्क्रिय रहे और इन ड्रोन कैमरों के माध्यम से उल्लिखित भीड़ प्रबंधन नहीं किया गया था.’
कैग को दिए अपने जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि जबकि तीन बड़े ड्रोन और 10 छोटे आकार के ड्रोन खरीदे गए थे, यह पाया गया कि 10 छोटे ड्रोन द्वारा उतारी गईं तस्वीरों की गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं थे और इसलिए, आपूर्तिकर्ता को समस्या की पहचान करने और उसे दूर करने के लिए कहा गया था.
हालांकि, कैग ने पाया, ‘(यूपी सरकार का) जवाब मान्य नहीं था, क्योंकि कुंभ मेले की अवधि के दौरान ड्रोन कैमरों को बदला नहीं गया था.’
फंड की हेराफेरी और वित्तीय अनियमितता का आरोप
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, नगर विकास विभाग ने कुंभ मेला अधिकारी को 2,743.60 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था, जिसके मुकाबले जुलाई 2019 तक 2,112 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
कैग के अनुसार, कुंभ मेले के लिए उपकरणों की खरीद के लिए राज्य आपदा राहत कोष से गृह (पुलिस) विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया, जबकि राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग केवल चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, भूस्खलन आदि से पीड़ित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए होता है.
कैग ने कहा, ‘यह आवंटन राज्य सरकार के बजट से किया जाना चाहिए था.’
रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अभिलेखों से मेसर्स स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित 32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के सत्यापन में पाया गया कि 32 में से चार ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा विभिन्न विभागों ने भी अपने बजट से कुंभ मेले से संबंधित कार्यों, सामग्री खरीदने के लिए धन जारी किया था, हालांकि अन्य विभागों द्वारा निर्गत धन की जानकारी मेला अधिकारी ने उपलब्ध नहीं कराई, जिससे व्यय की समग्र स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका.
रिपोर्ट में वित्तीय स्वीकृति से अधिक या बगैर वित्तीय स्वीकृति के कार्य कराए जाने के मामले भी सामने आए हैं. नगर विकास विभाग ने मेला क्षेत्र में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग कार्यों के लिए 105 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी, जबकि मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये के कार्य कराए. इससे 38.13 करोड़ रुपये की देनदारियों का सृजन हुआ.
इसी तरह, लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड ने नगर विकास विभाग से वित्तीय स्वीकृति प्राप्त किए बगैर सड़कों की मरम्मत एवं सड़कों के किनारे पेड़ों पर चित्रकारी से संबंधित 1.69 करोड़ रुपये की लागत से छह कार्य कराए. इसमें से एक कार्य के लिए 52.86 लाख रुपये का भुगतान एक अन्य कार्य की बचत की धनराशि से किया गया, जो कि अनियमित था.
कैग जांच में पाया गया कि तीन कार्य उन निविदादाताओं को दिए गए, जो बोली लगाने की क्षमता के आधार पर निविदा के लिए पात्र नहीं थे.
वहीं, फाइबर प्लास्टिक शौचालयों (सैप्टिक टैंक, सोकपिट) के लिए समिति द्वारा निर्धारित मानक कीमतें, फर्मों द्वारा इच्छा पत्र में डाली गईं कीमतों से अधिक थीं और निविदा की दरें और भी अधिक थीं.
एसओपी तैयार करने और अपशिष्ट प्रबंधन की सिफारिश की
कैग ने सिफारिश की कि चूंकि माघ मेला, कुंभ मेला और महाकुंभ मेला निश्चित अंतराल पर आयोजित किए जाते हैं, इसलिए यूपी सरकार आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सेवाओं की मात्रा और गुणवत्ता के संबंध में मानदंड और मानक तैयार करने पर विचार कर सकती है.
कैग ने यह भी सिफारिश की कि सरकारी नियमों और विनियमों के ढांचे के भीतर माल/सामग्री की खरीद के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की जानी चाहिए और इसके खिलाफ प्रतिबंधों और व्यय पर प्रभावी निगरानी रखने के लिए शीर्ष स्तर से एक बजट से ही धन जारी किया जाना चाहिए.
इसने यह भी सिफारिश की कि मेला के दौरान आगंतुकों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को उचित पैमाने पर बढ़ाया जाना चाहिए.
आम आदमी पार्टी ने योगी सरकार को घेरा
आम आदमी पार्टी ने कैग की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ वर्ष 2019 में इलाहाबाद में आयोजित कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
पार्टी के राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने सोमवार को एक बयान में आरोप लगाया, ‘कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि कुंभ मेले के आयोजन के लिए जो 2700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, उनमें भारी अनियमितता बरती गई है.’
उन्होंने दावा किया, ‘ऑडिट में यह पकड़ा गया है कि कुंभ मेले के आयोजन के लिए 32 ट्रैक्टर खरीदे गए वे कार, मोपेड और स्कूटर के नंबर पर हैं. यह तो एक छोटा सा उदाहरण है, मगर आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कुंभ के मेले के नाम पर कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है.’
सिंह ने आरोप लगाया कि प्रभु श्री राम का मंदिर हो, चाहे इलाहाबाद का कुंभ हो, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा से कहना चाहता हूं कि कम से कम धर्म को तो बख्श दो. कभी प्रभु श्री राम के मंदिर के नाम पर चंदा चोरी करते हो, कभी कुंभ मेले के आयोजन के नाम पर भ्रष्टाचार करते हो. पूरे उत्तर प्रदेश की जनता आपके सच को देख रही और समय आने पर जवाब देगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)