खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर हुए अवैध निर्माण गिराना जारी रखा जाए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद ज़िले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए क़रीब दस हज़ार आवासीय निर्माण हटाने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कुछ मैरिज हॉल के मालिकों के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि फ़रीदाबाद नगर निगम को क़ानून के अनुसार कार्रवाई जारी रखनी चाहिए और अवैध ढांचों को ध्वस्त करना होगा.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद ज़िले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए क़रीब दस हज़ार आवासीय निर्माण हटाने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कुछ मैरिज हॉल के मालिकों के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि फ़रीदाबाद नगर निगम को क़ानून के अनुसार कार्रवाई जारी रखनी चाहिए और अवैध ढांचों को ध्वस्त करना होगा.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि फरीदाबाद (हरियाणा) के खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर हुए सभी अवैध निर्माण को गिराना जारी रखा जाना चाहिए. वहीं, नगर निगम ने अदालत को बताया कि वहां पहले ही कुछ फार्महाउस को तोड़ा जा चुका है.

शीर्ष अदालत ने कुछ मैरिज हॉल के मालिकों के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि फरीदाबाद नगर निगम को कानून के अनुसार कार्रवाई जारी रखनी चाहिए और अवैध ढांचों को ध्वस्त करना होगा. आवेदनकर्ताओं को नगर निगम से नोटिस मिले हैं.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के पिछले आदेश के अनुसार, हस्तक्षेप करने वालों को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुतिकरण देना है, जो उन पर विचार करेगी.

पीठ ने आवेदनकर्ताओं की ओर से पेश वकील से कहा, ‘निगम को आपके प्रस्तुतिकरण पर निर्णय लेने दें और उसके द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद हम विचार करेंगे कि क्या कार्रवाई की जा सकती है? आज, सभी अवैध ढांचों को ध्वस्त किया जा रहा है और इसे जारी रखना है.’

नगर निगम की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में सोमवार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर दी है और जहां तक ​​प्रस्तुतिकरण का सवाल है, अदालत का पहले से ही एक निर्देश है और प्राधिकरण इस पर कानून के अनुसार विचार करेगा.

निगम के वकील ने कहा, ‘हमने पहले ही कुछ फार्म हाउस में तोड़-फोड़ की कार्रवाई की है.’

जब पीठ ने कहा कि वह दो सप्ताह के बाद मामले की सुनवाई करेगी, तो मैरिज हॉल मालिकों की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस बीच जब तक प्राधिकरण उनके प्रस्तुतिकरण पर विचार करता है, तब तक प्राधिकरण को उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.

पीठ ने वकील से कहा कि वे प्रस्तुतिकरण दे सकते हैं और प्राधिकरण इस पर विचार करेगा.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर तय की.

शीर्ष अदालत ने तीन अगस्त को कहा था कि खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर सभी अवैध निर्माण को हटाना होगा, क्योंकि इस बाबत आदेश बेहद स्पष्ट हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीते 23 जुलाई को शीर्ष अदालत ने नगर निगम को अरावली वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए चार और सप्ताह का समय दिया था, जब नागरिक निकाय ने कहा था कि कुल 150 एकड़ क्षेत्र में से लगभग आधे पर अनधिकृत संरचनाओं को साफ कर दिया गया है.

पीठ को पिछले महीने सूचित किया गया था कि नगर निगम ने अनधिकृत निर्माणों को हटाने के लिए एक योजनाबद्ध अभियान चलाया है और अब तक 150 एकड़ में से 74 एकड़ को मंजूरी दे दी गई है और वापस नगर निकाय के कब्जे में है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सात जून को फरीदाबाद जिले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए करीब 10,000 आवासीय निर्माण को हटाने के लिए हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को दिए आदेश दिया था. आवास अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा इसका विरोध करते हुए पुनर्वास की मांग की जा रही है.

न्यायालय ने सात जून को एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य और फरीदाबाद नगर निगम को निर्देश दिया था कि गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में सभी अतिक्रमण को हटाएं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)