पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पार्टी के ही प्रतिद्वंद्वी खेमे से खुले विद्रोह का सामना कर रहे हैं. चार मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और क़रीब 24 विधायकों ने मंगलवार को मुलाकात कर कहा कि अमरिंदर सिंह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं.

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान मंगलवार को उस वक्त तेज हो गई, जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री सिंह को हटाने की खुले तौर पर वकालत करते हुए कहा कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं.
पंजाब के मुख्यमंत्री को मंगलवार को प्रतिद्वंद्वी खेमे से खुले विद्रोह का सामना करना पड़ा. चार मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और लगभग 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बाजवा के आवास पर मुलाकात की.
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, बाजवा ने कहा कि यह प्रयास नहीं बल्कि लोगों की मांग है. मुख्यमंत्री के नए चेहरे पर एक सवाल के जवाब में बाजवा ने कहा कि फैसला पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा.
बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और राज्य की राजनीतिक स्थिति से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगेंगे. उन्होंने कहा कि ‘कड़े’ कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है, तो यह किया जाना चाहिए.
बैठक के बाद चन्नी ने मीडिया से कहा कि पार्टी के कई विधायक और मंत्री मंगलवार को यहां एकत्रित हुए और उन वादों को लेकर चिंता व्यक्त की, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है.
इन वादों में 2015 में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के मामलों में न्याय में देरी, मादक पदार्थ रैकेट में शामिल बड़े लोगों को पकड़ना और बिजली खरीद समझौतों को रद्द करना शामिल है.
उन्होंने कहा कि बाजवा, सरकारिया, रंधावा और पंजाब कांग्रेस महासचिव परगट सिंह पार्टी आलाकमान से मुलाकात करेंगे.
बाद में बाजवा, चन्नी, रंधावा और कुछ अन्य विधायकों ने पंजाब कांग्रेस भवन में सिद्धू से मुलाकात की.
इसके बाद सिद्धू ने ट्वीट कर कहा, ‘आपातकालीन बैठक के लिए तृप्त बाजवा जी का फोन आया. अन्य सहयोगियों के साथ उनसे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में मुलाकात की. आलाकमान को हालात से अवगत कराउंगा.’
सिद्धू की नियुक्ति के साथ राज्य इकाई में असंतोष को खत्म करने के कांग्रेस के हालिया प्रयास विफल होते दिख रहे हैं और इस घटनाक्रम से राज्य इकाई में संकट और गहराने की आशंका है.
चन्नी ने कहा कि कई विधायक 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा किए गए उन वादों को लेकर चिंतित हैं जिन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है. चन्नी ने कहा, ‘हमारे मुद्दे हल नहीं हो रहे हैं. हमें अब विश्वास नहीं है कि इन मुद्दों का समाधान किया जायेगा.’
उन्होंने कहा कि कोटकपुरा पुलिस गोलीबारी की घटना में एसआईटी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से पूछताछ के बाद कुछ नहीं हुआ.
इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, तृप्त बाजवा के आवास पर उपस्थित रहे छह विधायकों और एक पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री के खिलाफ विद्रोह से खुद को अलग कर लिया है.
इनमें विधायक कुलदीप वैद, दलवीर सिंह गोल्डी, संतोख सिंह, अंगद सिंह, राजा वारिंग और गुरकीरत सिंह कोटली के अलावा पूर्व विधायक अजित सिंह मोफर शामिल हैं.
मोफर ने कहा कि वह तो इस कथित बैठक में शामिल तक नहीं हुए थे जबकि वहां मौजूद एक कैबिनेट मंत्री से मुलाकात करने गए थे.
वहीं, चारों कैबिनेट मंत्री बुधवार को देहरादून में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात करने जा रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि चार मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी एआईसीसी महसचिव और पंजाब मामलों के प्रभारी से मुलाकात करने के लिए उत्तराखंड में देहरादून जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि रावत से मुलाकात के बाद उनके दिल्ली जाने की संभावना है.
हम 2022 का पंजाब चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेंगे: हरीश रावत
हालांकि, समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, हरीश रावत ने कहा, ‘हम 2022 का पंजाब चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेंगे.’
We will contest 2022 Punjab elections under the leadership of Captain Amrinder Singh: AICC in-charge of Punjab, Harish Rawat pic.twitter.com/iQqE8u4f3V
— ANI (@ANI) August 25, 2021
उन्होंने कहा, ‘जब हमने पंजाब कांग्रेस समिति में बदलाव लाया था तब हम कुछ संभावित मुद्दों के सामने आने का अंदाजा था. हम कोई न कोई समाधान ढूंढ लेंगे. हर किसी को सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भरोसा है. हम मामले को देखेंगे और सुलझाने का प्रयास करेंगे. 4.5 साल बीत गए. यह अच्छा है. लेकिन अचानक क्या हो गया, आखिर बड़ी संख्या में विधायक असंतुष्ट क्यों हैं. हम देखेंगे और इसका समाधान ढूढेंगे.’
4.5 years have passed by. It was good. But suddenly what has happened, why a large number of MLAs are disappointed. We will see & find a solution to it: AICC in-charge of Punjab, Harish Rawat on Punjab political situation pic.twitter.com/lVBhiwxxsp
— ANI (@ANI) August 25, 2021
मुख्यमंत्री के करीबी नेताओं ने सिद्धू पर साधा निशाना
सिद्धू को भी मुख्यमंत्री सिंह के करीबी माने जाने वाले पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के एक समूह द्वारा निशाना बनाया गया जिन्होंने सिद्धू के दो सलाहकारों की ‘कथित राष्ट्र विरोधी एवं पाकिस्तान समर्थक टिप्पणी’ को लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और चेतावनी दी कि लगभग छह महीने में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले यह कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.
सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग कश्मीर और पाकिस्तान पर अपनी हालिया विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर विपक्ष और पार्टी के निशाने पर आ गए हैं.
इससे पहले अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को अपने सलाहकारों पर लगाम लगाने के लिए कहा था और उनकी टिप्पणी को गलत बताया था, जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को पार्टी में रखा जाना चाहिए.
मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु, बलबीर सिंह सिद्धू और साधु सिंह धर्मसोत के साथ विधायक राज कुमार वेरका ने यहां एक संयुक्त बयान में कहा कि सिद्धू के नवनियुक्त सलाहकारों की टिप्पणी स्पष्ट रूप से ‘भारत के हितों के खिलाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह’ थी.
मंत्रियों और विधायकों के समूह ने सलाहकारों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से सिद्धू को पार्टी के साथ-साथ देश के हित में अपने सहयोगियों पर तुरंत लगाम लगाने का निर्देश देने का आग्रह किया.
पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि कश्मीर पर माली का बयान इस मुद्दे पर भारत की घोषित स्थिति से विपरीत और खतरनाक था और ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि गर्ग का बयान भी पाकिस्तान के समर्थन में प्रतीत होता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)